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Property New : प्रॉपर्टी खरीदने से पहले जरूरी है सेल डीड, लीज डीड और सबलीज

Property Important Documents - यदि आप कोई संपत्ति खरीदने की सोच रहे हैं तो आपको संपत्ति से जुड़े सभी आवश्यक दस्तावेजों को ठीक से पढ़ना चाहिए। क्योंकि प्रॉपर्टी के मालिकाना हक और पेपर्स की भी जांच करनी चाहिए इस लेख में आज हम आपको बताएंगे कि फ्लैट, फ्लोर, मकान या जमीन खरीदते समय क्या ध्यान रखना चाहिए। कोई भी डील करने से पहले बहुत कुछ जानना चाहिए। वरना आपको धोखा मिल सकता है। Property खरीदने से पहले आपको सेल डीड, लीज डीड और सबलीज क्या हैं पता होना चाहिए। नीचे खबर में विस्तार से पढ़ें- 

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Property New : प्रॉपर्टी खरीदने से पहले जरूरी है सेल डीड, लीज डीड और सबलीज

The Chopal, Property Important Documents - दिल्ली-एनसीआर, मुंबई या लखनऊ। जब आप घर या जमीन खरीदते या बेचते हैं, तो प्रॉपर्टी का एक सेल डीड, एक लीज डीड या सबलीज होता है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि इनमें से कौन-सी डीड सबसे अच्छी मानी जाती है? घर खरीदने से पहले क्या जानना जरूरी है? लीज होल्ड (Power of Attorney, पट्टे पर देना भी कहते हैं) या सबलीज या सेल डीड (रजिस्ट्री) वाली जमीन पर सोसायटी बनाने से पहले यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।

यदि लीज होल्ड वाली है तो कितने वर्षों की लीज दी गई है? यह भी संभव है कि बिल्डर घर बनाकर चला जाए और बाद में लीज बढ़वाने का खर्च खरीदार पर आ जाए, अगर यह 10 बरसों के लिए है। बिल्डर ने लीज के बदले में जो चार्ज संबंधित अथॉरिटी ने लगाया था, उसे भी देखना जरूरी है।

इन बातों का ध्यान रखें

पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney) को कोर्ट में कभी मजबूत सबूत नहीं मानना चाहिए। फिर भी, घर में बिजली कनेक्शन या कोई अन्य सबूत ही क्यों न हो, यह जमीन पर मालिकाना हक के लिए पर्याप्त नहीं है। यह भी जानना महत्वपूर्ण है कि संबंधित अथॉरिटी ने बिल्डर को OC (ऑक्यूपेशनल सर्टिफिकेट) दिया है या नहीं। अगर बिल्डर को यह सर्टिफिकेट नहीं मिला है या बिजली या अन्य कनेक्शन को गलत तरीके से जोड़ा गया है, तो यह भी बंद किया जा सकता है।

रेरा के तहत रजिस्टर्ड नहीं होने वाले डिवेलपर्स में निवेश करने वाले व्यक्ति के ही रिस्क पर है। ऐसे बिल्डर ने फ्लैट समय पर नहीं दिया या ले-आउट बदल दिया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। यदि प्लॉट सरकार द्वारा बेचा गया है या किसी प्राइवेट बिल्डर द्वारा बनाया गया है और रेरा नंबर मिल गया है, तो फंसने की कोई संभावना नहीं है।

प्रॉपर्टी देने के तरीके

सेल डिड (रेकार्ड): सेल डीड वाली संपत्ति को पहली प्राथमिकता दी जानी चाहिए अगर किसी को संपत्ति खरीदने का विकल्प मिलता है। स्टांप पेपर प्रॉपर्टी खरीदने और बेचने का साधन है। इसमें मालिकाना हक पूरी तरह मिलता है। यह भी रजिस्ट्री ऑफिस में होता है। शहरों में म्यूनिसपल कॉरपोरेशन में संपत्ति के लिए रसीदों का भुगतान करना होता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे सबसे अच्छा उपाय मान लिया है।

लीज डीड या सबलीज: देश में कई जगह हैं जहां संपत्ति कुछ वर्षों से लेकर 99 साल तक लीज पर दी जाती है। प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री देश भर में इसी तरह होती है। बेचने से पहले स्थानीय अथॉरिटी से भी अनुमति लेनी होगी। सरकारें अक्सर लीज और सबलीज वाली संपत्ति को सेल डीड वाली संपत्ति बनाने के लिए प्रस्ताव जारी करती हैं। प्रति वर्ग फुट या प्रति यार्ड शुल्क देकर संपत्ति को सेल डीड वाली संपत्ति में बदल सकते हैं।

सामन्य 3 प्रकार की जमीन

1. खुली जमीन

इस तरह से खरीदी गई जमीन को कोर्ट ने सबसे वैध माना। इसकी वजह यह है कि इसमें संपत्ति का स्टांप पेपर है। सरकार को रेवेन्यू मिलता है और इस पर नए मालिक का नाम लिख दिया जाता है। जब जमीन की रजिस्ट्री की जाती है, इसका सीधा अर्थ है कि सरकार जमीन के लगभग सभी पूर्व मालिकों के बारे में जानती है और उनके पास उसका सबूत है।

2. लाल डोरा क्षेत्र

ये स्थान हैं, ज्यादातर गांवों में, जिनका इतिहास सरकार को नहीं मालूम है। वह जमीन पहले किसके पास थी और कब बेची गई, इसकी जानकारी के लिए आम तौर पर स्थानीय लोग ही स्रोत हैं। दिल्ली में भी यमुना के किनारे कई स्थान हैं।

3. कृषि के लिए उपयुक्त जमीन

घर कहीं भी बनाया जा सकता है, लेकिन घर बनाने के बाद कानूनी मामलों से बचने के लिए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह कृषि योग्य जमीन पर बनाया गया है या नहीं। अगर ऐसा है तो उसे सरकार से रिहाइशी देने की मांग करनी चाहिए। अगर आप इस तरह की जमीन में निवेश करने जा रहे हैं तो आप संबंधित अथॉरिटी में जमीन का खाता-खसरा नंबर देख सकते हैं।

रेरा आपकी सुरक्षा के लिए

1. प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन आवश्यक है: बिल्डर रेरा में पंजीकृत होना चाहिए। विक्रेता को रेग्युलेटरी अथॉरिटी में रजिस्टर्ड फ्लैट, प्लॉट या दुकान उसी परियोजना में खरीदना चाहिए। बिल्डर को स्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी में अपना प्रोजेक्ट रजिस्टर करना होगा। साथ में काम से जुड़े सभी विवरण देने होंगे। देश के ज्यादातर राज्यों में रेरा है।

2. कैद सजा: यदि बिल्डर किसी खरीदार से धोखाधड़ी या वादाखिलाफी करता है, तो खरीदार रेग्युलेटरी अथॉरिटी से शिकायत कर सकता है।

3. सरकारी कार्य भी शामिल हैं: यह कानून निजी बिल्डर्स और डिवेलपरों के अलावा हाउसिंग और कमर्शल प्रोजेक्ट बनाने वाले डीडीए (GDA) जैसे संस्थाओं को भी लागू करेगा. इसका अर्थ है कि अगर डीडीए फ्लैट को समय पर नहीं बनाता, तो खरीदार को जमा राशि पर ब्याज देना होगा। यही नहीं, रियल एस्टेट रेग्युलेटरी कानून कमर्शल परियोजनाओं पर भी लागू होगा।

4. पांच साल तक बिल्डर की भूमिका: निर्माणकर्ता को पांच साल की गारंटी मिलेगी अगर वह एक परियोजना बनाता है। यदि पांच साल में स्ट्रक्चर में कोई खराबी पाई जाती है, तो बिल्डर को इसकी मरम्मत करनी होगी।

5. काम में देरी: उत्पादों की देरी खरीदार को सबसे अधिक परेशान करती है। बिल्डर अक्सर खरीदारों के पैसे को दूसरे निर्माण में लगा देते हैं, जिससे पुराने निर्माण धीरे-धीरे बंद हो जाते हैं। रेरा ने कहा कि बिल्डर्स को प्रत्येक परियोजना के लिए एक अलग खाता बनाना होगा। इसमें खरीदारों से मिलने वाले पैसे का सत्तर प्रतिशत जमा करना होगा, जो सिर्फ उसी परियोजना में खर्च किया जा सकेगा।

6. वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी: बिल्डर को अथॉरिटी की वेबसाइट पर पेज बनाने के लिए लॉग-इन आईडी और पासवर्ड मिलेंगे। इसके माध्यम से उन्हें काम से जुड़े हर विवरण को वेबसाइट पर अपलोड करना होगा। प्रोजेक्ट की स्थिति को हर तीन महीने पर अपडेट देना होगा। रेरा में रजिस्ट्रेशन के बिना किसी परियोजना का प्रचार नहीं किया जा सकेगा।

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