RBI ने दी अहम जानकारी- भारत के इन 3 बैंको में सुरक्षित रहेगा पैसा, कभी नहीं होगा नुकसान
RBI - आज की दुनिया में शायद ही कोई व्यक्ति बैंक अकाउंट नहीं होगा। खासकर, देश में पीएम जनधन खाता योजना की शुरुआत के बाद करोड़ों नए बैंक खाते खोले गए हैं। इससे ग्राहकों की जमा राशि भी काफी बढ़ी है। लोग घर में पैसे रखने की जगह बैंक में पैसे रखना पसंद करते हैं। लोगों का मानना है कि बैंक उनके पैसे को सुरक्षित रखते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यदि बैंक डूब या दिवालिया घोषित हो जाए तो आपको कितना पैसा मिलेगा?
The Chopal, Top 3 Safest Bank in India- बैंक ग्राहकों की जमा पूंजी पर 5 लाख रुपये का इंश्योरेंस देते हैं अगर बैंक डूब जाता है। पहले ये राशि एक लाख रुपये की थी। यह रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी कवर डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के तहत दिया जाता है। भारत के सभी कॉ मर्शियल बैंकों को इस योजना में शामिल किया गया है। मतलब, इनमें पांच लाख रुपए का इंश्योरेंस सुरक्षित है। लेकिन सहकारी समीतियां इसमें नहीं हैं। लेकिन DICGC के तहत मिलने वाले इंश् योरेंस (मूलधन और ब्याज सभी) पर अधिकतम पांच लाख रुपये की राशि ही मिलेगी। अब एक सवाल उठता है कि देश का सबसे सुरक्षित बैंक कौन सा है? जिस स्थान पर आपके पैसे पूरी तरह से सुरक्षित हैं
2023 में चार अमेरिकी बैंक डूब गए। भारत का बैंकिंग सिस्टम मजबूत होने से ऐसा कोई संदेह नहीं दिखाई देता। लेकिन आप भारत के तीन ऐसे बैंकों के बारे में जानते हैं जो कभी नहीं डूबेंगे और सरकार उन्हें ऐसा करने नहीं देगी?
इसका अर्थ यह है कि इन बैंकों में रखे पैसे को अभी रत्तिभर भी खतरा नहीं है। इनमें से दो सरकारी और दो निजी बैंक भारत के सबसे सुरक्षित बैंकों में शामिल हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि देश के कुछ बैंकों के डूबने की कोई संभावना बिल्कुल नहीं है।
आपका पैसा इन तीन बैंकों में नहीं डूबेगा।
भारतीय स्टेट बैंक, ICICI बैंक और HDFC बैंक। इन तीनों बैंकों को D-SIB, जिसका अर्थ है डोमेस्टिक सिस्टमेटिकली इम्पॉर्टेंट बैंक, का दर्जा प्राप्त है। इसका अर्थ है कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए इन बैंकों का डूबना सरकार कतई बर्दाश्त नहीं कर सकती। इनके डूबने से देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
2015 से RBI निकाल रहा D-SIB लिस्ट: 2008 की आर्थिक मंदी के बाद बैंकों को D-SIB घोषित करने का प्रणाली शुरू हुई। तब बहुत से देशों के बड़े बैंक डूब गए, जो लंबे समय तक आर्थिक संकट में डाल दिया। 2015 से RBI हर साल D-SIB की सूची बनाता है। 2015 और 2016 में D-SIB केवल SBI और ICICI बैंक थे। 2017 से, HDFC भी इस लिस्ट में है। RBI कड़े नियमों से सुनिश्चित करता है कि D-SIB वाले बैंक हर तरह की आर्थिक आपातकाल के लिए तैयार हैं।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया देश के सभी बैंकों को सिस्टम इम्पॉर्टेंस अंक देता है जो उनके कस्टमर बेस और प्रदर्शन पर निर्भर करता है। D-SIB के तौर पर सूचीबद्ध होने के लिए किसी बैंक की संपत्ति राष्ट्रीय जीडीपी के दो प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए। D-SIB को बैंक के आधार पर पांच अलग-अलग बकेट्स में रखा जाता है। फाइव बैंक सबसे अधिक इम्पॉर्टेंट बैंक है, जबकि वन बैंक सबसे कम इम्पॉर्टेंट है। SBI अभी बकेट थ्री पर है, जबकि HDFC और ICICI बैंक अभी बकेट वन पर हैं।
इसके लिए विशिष्ट प्रबंध आवश्यक हैं-
आरबीआई डी-सिब बैंकों को देखता है। इन बैकों को बाकी बैंकों की तुलना में अधिक कैपिटल बफर रखना होगा, ताकि वे इमरजेंसी या घाटा होने पर भी इससे निपट सकें। ऐसे बैंकों को कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET1) कैपिटल नामक एक अतिरिक्त फंड (एडिशनल फंड) भी रखना होगा।