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RBI : ग्राहकों की खुशी का नहीं ठिकाना, मिल रहा सस्ता लोन, आरबीआई ने लिया बड़ा फैसला

Loan Rules : ये खबर आपके लिए बहुत उपयोगी हो सकती है अगर आप भी बैंक ग्राहक हैं।  ग्राहकों को RBI ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण सूचना दी है।  इससे ग्राहकों को काफी राहत मिली है  (latest update for bank coustmers)।  ग्राहक अब काफी कम ब्याज दर पर बैंक से लोन ले सकेंगे।  लोन की किस्तों का भुगतान करना भी बहुत आसान होगा।  आइए इस बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें।

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RBI : ग्राहकों की खुशी का नहीं ठिकाना, मिल रहा सस्ता लोन, आरबीआई ने लिया बड़ा फैसला

The Chopal, Loan Rules : बैंक ग्राहकों को आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण सूचना दी है।  आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है।  इसकी वजह से रेपो रेट अब 6.25% तक घट गया है।  यह मई 2020 के बाद रेपो दर में पहली कटौती थी और दो वर्ष के बाद पहली संशोधन था।  रेपो रेट में कटौती होने से बैंक से लोन लेना और भी आसान हो जाएगा।  आरबीआई के इस निर्णय को खबर में पढ़ें। 

ये मुद्दे RBI की MPC मीटिंग में उठाए जाएंगे:

आरबीआई गवर्नर के अलावा एमपीसी में केंद्रीय बैंक के दो वरिष्ठ अधिकारी और सरकार द्वारा नियुक्त तीन लोग हैं।  फरवरी 2023 से, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो दर, या अल्पकालिक उधार दर, को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा था।  RBI ने पिछली बार कोविड के दौरान मई 2020 में रेपो दर में कमी की थी, फिर इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया।

एक्सपर्ट्स ने जानकारी दी:

बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank Of Baroda) के प्रमुख अर्थशास्त्री ने बताया कि इस सप्ताह घोषित की जाने वाली नीति एक ऐसे समय में आएगी जब पूरी दुनिया और भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत कुछ हो रहा है।  उनका कहना था कि अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्क में वृद्धि की उम्मीद है, जिससे मुद्रा पर कुछ असर होगा।  इसलिए एमपीसी को भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति को सामान्य दृष्टिकोण से अलग देखना होगा।

जबकि कुछ विश्लेषकों ने कहा कि इस बार रेपो दर में 0.25 प्रतिशत तक की कटौती हो सकती है क्योंकि तरलता स्थिर है और मुद्रास्फीति की संभावनाएं कम हैं।  साथ ही, इस साल दरों में और कटौती की उम्मीद है, क्योंकि केंद्रीय बैंक ने अपने रुख को अधिक स्पष्ट किया है।

ट्रंप ने 60 देशों पर टैरिफ लगाया—

दो अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन सहित 60 देशों पर 11 से 49 प्रतिशत तक के जवाबी शुल्क लगाए, जो नौ अप्रैल से लागू होंगे।  एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत के पास चुनौतियां और अवसर दोनों हैं क्योंकि उसके कई प्रतिस्पर्धी देश, जैसे चीन, वियतनाम, बांग्लादेश, कंबोडिया और थाइलैंड, निर्यात (Tariff kya h) में ऊंचे शुल्क का सामना कर रहे हैं।

रेटिंग एजेंसी ने प्रदान की सूचना-

रेटिंग एजेंसी ने भी उम्मीद जताई कि एमपीसी (MSP) अपनी आगामी बैठक में रेपो दर में चौथाई प्रतिशत तक की कटौती करेगा, जो तटस्थ रुख बनाए रखेगा।  इक्रा ने कहा कि एमपीसी बैठक में रिपो दर में कटौती या नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में कटौती जैसी किसी महत्वपूर्ण घोषणा की उम्मीद नहीं है।

आरबीआई रेपो दर की स्थिति को स्थिर रखेगा—

उस समय, उद्योग मंडल एसोचैम ने एमपीसी (MPC) को आगामी मौद्रिक नीति में मौजूदा स्थिति में दर में कटौती करने की जगह देखो और इंतजार करो की सलाह दी है।  एसोचैम के अध्यक्ष ने कहा कि आरबीआई ने हाल ही में कई तरीकों से बाजार में तरलता को बढ़ाया है।  इन उपायों की लागत में वृद्धि और उनके खपत पर असर तक धैर्य रखना चाहिए।  वर्तमान नीति चक्र में आरबीआई रेपो दर को स्थिर रखेगा।

भारतीय अर्थव्यवस्था का नया वित्त वर्ष-

उन्हें बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था के नए वित्त वर्ष में मजबूत स्थिति में रहने के अलावा बाहरी मोर्चे पर चुनौतियों भी हैं।  व्यापारिक मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहेगी, और वित्त वर्ष 2025–26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 6.7 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है।  फल, अंडे और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की कीमतों में फरवरी में गिरावट आई है, जो सात महीने के निचले स्तर 3.61 प्रतिशत पर आ गया है। 

खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ेगी—

जनवरी 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.26 प्रतिशत थी, जबकि फरवरी 2024 में 5.09 प्रतिशत थी, जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित था।  केंद्रीय बैंक ने खपत को बढ़ाने और आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए रेपो दर में चौथाई प्रतिशत तक की कटौती करके इसे छह प्रतिशत पर लाने की योजना बनाई है।

नीतिगत दर में हुई गिरावट—

उन्हें बताया कि नीतिगत दरों में कमी, जो कर्ज लेने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाती है, अधिक लोगों को घर खरीदने के लिए निवेश करने के लिए प्रेरित करती है, जिससे आवास बाजार में मांग में वृद्धि होती है।  वास्तविक दर में कटौती (Repo rate cut effect) का असली प्रभाव आरबीआई के नीतिगत निर्णयों को वाणिज्यिक बैंकों तक कितने प्रभावी तरीके से और जल्दी पहुंचाते हैं।