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Rent Agreement : किराए पर प्रोपर्टी लेने और देने से पहले जानिए रेंटल अग्रीमेंट की जरुरत, ऐसे आएगा काम

रेंट अग्रीमेंट में दो पार्टी होती हैं. इसमें पहली पार्टी प्रॅापर्टी के ओनर / लैंडलॉर्ड हैं, जो अपनी प्रॅापर्टी को किराए पर दे रहे हैं. और सेकंड पार्टी किरायेदार है जो कॅान्ट्रैक्ट के खत्म होने तक किराए की प्रॅापर्टी पर पजेशन/ रहने वाला पर्सन है. एक रेंट अग्रीमेंट को रेंट डीड और लीज डीड भी कहा जाता है. इसमें रेजिडेंशियल प्रॅापर्टी, प्रॅापर्टी के मालिक, टेनेंट, किराये के पीरियड और राशि का बेसिक ब्योरा होता है.
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Rent Agreement : किराए पर प्रोपर्टी लेने और देने से पहले जानिए रेंटल अग्रीमेंट की जरुरत,  ऐसे आएगा काम

The Chopal : रेंट अग्रीमेंट में दो पार्टी होती हैं. इसमें पहली पार्टी प्रॅापर्टी के ओनर / लैंडलॉर्ड हैं, जो अपनी प्रॅापर्टी को किराए पर दे रहे हैं. और सेकंड पार्टी किरायेदार है जो कॅान्ट्रैक्ट के खत्म होने तक किराए की प्रॅापर्टी पर पजेशन/ रहने वाला पर्सन है. एक रेंट अग्रीमेंट को रेंट डीड और लीज डीड भी कहा जाता है. इसमें रेजिडेंशियल प्रॅापर्टी, प्रॅापर्टी के मालिक, टेनेंट, किराये के पीरियड और राशि का बेसिक ब्योरा होता है. रेंट अग्रीमेंट आम तौर पर लिखित रूप में होता है. ये स्टांप पेपर पर तैयार किया जाता है. किराए का कॅान्ट्रैक्ट बनाना जरुरी है क्योंकि ये मकान मालिक और किरायेदार के बीच डिस्प्यूट को रोकने में मदद करता है. ये मकान मालिक के लिए प्रॅापर्टी की सेफ्टी भी इंश्योर करता है. और साथ ही किरायेदारों को मकान मालिक की किसी भी अनचाही मांगों से निपटने से बचाता है. भारत में 2 तरह के रेंटल कॉन्ट्रैक्ट हैं. एक लीज अग्रीमेंट है जो कम से कम 12 महीने तक चलता है. ये राज्य सरकार के बनाए गए किराया नियंत्रण कानूनों के तहत शासित है. और दूसरा 11 महीने तक का लीज और लाइसेंस कॅान्ट्रैक्ट है जो रेंट कंट्रोल लॅा के अंतर्गत नहीं आता है.

क्या होता है रेंट अग्रीमेंट में

एक रेंट अग्रीमेंट में मकान मालिक और किराएदार और उनके एजेंटों के नाम होते हैं इसके साथ ही इसमें प्रॅापर्टी का ब्योरा भी होता है. रेंट अग्रीमेंट में किराए के अमाउंट और पेमेंट की ड्यू डेट, ग्रेस पीरियड और लेट फीस होती है. इसके साथ ही किराए के पेमेंट का तरीका भी इसमें मेंशन रहता है. सिक्योरिटी डिपॅाजिट का अमाउंट भी इसमें मेंशन होता है. लेंडलॅार्ड की दी गई यूटिलिटी और इनके लिए फीस का ब्योरा भी इसमें लिखा होता है. प्रीमिस में फैसिलिटी जैसे कि स्विमिंग पूल, सुरक्षा प्रणाली आदि का यूज करने के लिए किरायेदार हकदार है या नहीं ये मेंशन होता है. इसके साथ ही पेट रुल, नॅाइज रुल और वॅायलेशन के लिए पेनल्टी जैसे रुल्स भी रेंट अग्रीमेंट में लिखे होते हैं. पार्किंग का यूज करने के लिए पार्किंग स्पेस के बारे में डिटेल और रिपेयर रिक्वेस्ट को हेंडल करने के लिए प्रॅासिजर और इमरजेंसी रिक्वेस्ट भी रेंट अग्रीमेंट में मेंशन रहती है. 

रेंट अग्रीमेंट में शामिल टर्म्स

किराया

किराए पर दी गई प्रॅापर्टी के बदले में किरायेदार मकान मालिक को मंथली पेमेंट देता है. इसे रेंट कहते हैं.

डिपॅाजिट

रिक्वायर्ड अमाउंट ऑफ डिपॅाजिट हर रेंट पीरियड के खत्म होने तक रहता है. इसके पीरियड के खत्म होने के बाद लेंडलॅार्ड किराएदार को रिटर्न कर देता है.

यूज करने की शर्तें

प्रॅापर्टी के इस्तेमाल को लेकर टर्म्स और कंडीशन का ब्योरा रेंट अग्रीमेंट में मेंशन होता है.

यूटिलिटी

प्रीमिस में कितनी यूटिलिटी हैं और कितने तरह की यूटिलिटी का इस्तेमाल किराएदार रेंट के तहत कर सकता है. इसका ब्योरा मेंशन होता है. 

इंश्योरेंस

कमर्शियल रेंट अग्रीमेंट में इसका मेंशन होता है. इसके तहत टेनेंट को प्रॅापर्टी का इंश्योरेंस कराना पड़ता है.

मरम्मत और रखरखाव

प्रॅापर्टी की मरम्मत और रखरखाव के लिए मकान मालिक या किरायेदार रिस्पॅान्सिबल है इस बात का मेंशन रेंट अग्रीमेंट में होता है.

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