Sarso Tel : सरसों तेल में आया उछाल, अब इतने रुपए में आएगा 15 किलो
Sarso Tel Price : पिछले कुछ दिनों से सरसों के तेल की कीमतें में उछाल देखने को मिल रहा हैं। कई खाद्य तेलों में गिरावट आई है। पहले के मुकाबले सोयाबीन का तेल भी अधिक महंगा हुआ है। उधर मूंगफली तेल की कीमतों में गिरावट आई है। 15 किलोग्राम के टिन के हिसाब से बाजार में उपलब्ध खाद्य तेलों के दामों में अंतर दिखाई दिया। आइए जानें जारी हुए नए रेट।
The Chopal, sarso oil update price : सरसों तेल की कीमतें अब आसमान छूने लगी हैं क्योंकि यह लगातार बढ़ती जा रही है। सोयाबीन तेल की कीमतें पहले वाली नहीं हैं, बल्कि काफी तेजी से बढ़ रही हैं। हाल ही में मूंगफली की नई फसल की आवक से मूंगफली तेल की कीमतों में भी गिरावट हुई है। तिलहन पहले से मंदे दर पर बिक रहा है। इनके अलावा, सरसों तेल की कीमतों में भी भिन्नता है, साथ ही भावों में भी तेजी और मंदी हैं।
मूंगफली तेल की कीमत गिरने का कारण
देश में कई खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ी हैं और कुछ की कीमतें घटी हैं। हाल के आंकड़ों को देखें तो, सॉफ्ट ऑयल की कमी के चलते, सरसों (Sarso) तेल, तेल-तिलहन, सोयाबीन, पामोलीन और बिनौला तेल के दाम बढ़ते क्रम में बंद हुए। पिछले सप्ताह देश के खाद्य तेल-तिलहन बाजार में कम कारोबार हुआ है। इसके अलावा, मूंगफली तेल-तिलहन और डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कम मांग भी इसका कारण रही। सोयाबीन तिलहन के दाम (soyabean tel ke daam) इसके बाद कम हो गए। विशेषज्ञों का कहना है कि नई फसल की आवक के कारण मूंगफली तेल की कीमतें घट गई हैं।
MSP से भी कम मूल्य पर सूरजमुखी का तेल बिका
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे मूंगफली और सोयाबीन बाजार में ट्रेड कर रहे हैं क्योंकि मांग कम हो गई है। यह लगभग 8 प्रतिशत की गिरावट है। इसके अलावा, सूरजमुखी का तेल 26 से 28 प्रतिशत तक सस्ता हो गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सूरजमुखी के तेल की कीमत (सूरजमुखी के दाम) 1,060–1,065 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1,095–1110 डॉलर प्रति टन हो गई है। सरसों का तेल (Sarso tel ke daam), बिनौला तेल, सोयाबीन तेल और पामोलीन सब महंगे हो गए हैं क्योंकि इनमें कम आपूर्ति है।
बिनोला तेल का मूल्य भी बढ़ा
खाद्य तेलों के भावों से जुड़े लोगों का कहना है कि मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में नरमा कपास की कीमत प्रति क्विंटल करीब 1 हजार रुपये बढ़ी है। पिछले वर्ष 6,400 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले यह अब लगभग 7,450 रुपये प्रति क्विंटल से भी अधिक है। मध्य प्रदेश और गुजरात के कुछ हिस्सों में भी नरमा की आवक शुरू हो गई है, जिसमें किसानों को करीब 8010 रुपये प्रति क्विंटल की दर मिल रही है। लेकिन गुणवत्ता के हिसाब से भाव भी गिर रहे हैं। फिर भी, इससे बिनौला तेल की कीमतें बढ़ी हैं।
2300 रुपये का टिन सरसों का तेल
सरसों दाने का थोक भाव, पिछले सप्ताह करीब 80 रुपये बढ़कर 6,680 से 6,730 रुपये प्रति क्विंटल था। Sarso tel ka bhav भी प्रभावित हुआ है। टिन प्रति 15 किलोग्राम के लिए सरसों की कच्ची घानी का मूल्य लगभग 2,310 रुपये और 2,285 रुपये था। पक्की और कच्ची घानी तेल की कीमत लगभग 45 रुपये बढ़ी है। सप्ताह की समीक्षा में 70 रुपये की गिरावट के कारण सोयाबीन का भाव प्रति क्विंटल लगभग 4,840 रुपये रहा, जबकि लूज का भाव 80 रुपये की गिरावट के साथ 4,740 रुपये प्रति क्विंटल रहा। इसके अलावा, दिल्ली में सोयाबीन का भाव (Delhi me soyabean ka bhav) 1010 रुपये प्रति क्विंटल से लगभग 12,860 रुपये हो गया है। पिछले सप्ताह के अंत में इंदौर में सोयाबीन का मूल्य 710 रुपये बढ़कर 12,860 रुपये/क्विंटल पर पहुंच गया था।
इन खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट जारी है
पिछले सप्ताह के अंत में मूंगफली तिलहन में 135 रुपये की गिरावट हुई, जो 6,345 रुपये प्रति क्विंटल से 6,620 रुपये तक गिर गया। गुजरात का मूंगफली तेल (mungfali tel ke daam) लगभग 15,090 रुपये प्रति क्विंटल रहा है, जो 285 रुपये की गिरावट है। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का मूल्य प्रति टिन 2,280–2,560 रुपये तक गिर गया। कम आपूर्ति के कारण कच्चे पाम तेल के दाम तेजी से बढ़ते दिखाई दिए। यह 11,550 रुपये प्रति क्विंटल था। दिल्ली में पामोलीन की कीमत एक हजार से भी अधिक की तेजी दिखाई दी। पामोलीन एक्स कांडला तेल का मूल्य 1,060 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि यह 13,160 रुपये प्रति क्विंटल था। 12,250 रुपये प्रति क्विंटल मिल गया। कम स्टॉक के कारण बिनौला तेल पिछले सप्ताह के अंत में करीब 660 रुपये के सुधार के साथ 12,060 रुपये प्रति क्विंटल था।
पशु आहार की मांग
सूत्रों का कहना है कि अक्टूबर में नरमा की आवक और अधिक होगी। बिनौले को लेकर मिलावटखोरों पर शिकंजा कसना आवश्यक है। यही कारण है कि सरकार को पशु आहार (pashu aahar) के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए ताकि नकली खल कारोबार करने वालों को सबक सिखाया जा सके। बिनौला खल और बिनौला तेल की दरों में आगे भी गिरावट हो सकती है। इसलिए विदेशों में बायोडीजल बनाने के लिए कच्चे पामतेल का प्रयोग बढ़ने से पाम-पामोलीन की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। ऐसे में देश का तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर तत्काल ध्यान देना चाहिए। इसी बायोडीजल में सीपीओ के अधिक प्रयोग शायद पामतेल की कीमतों को बढ़ा रहा है।