Slipper Making Business: चप्पल की फैक्ट्री से होगी तगड़ी कमाई, मात्र 1 लाख रुपए आएगा खर्च

Slipper Business Idea: चप्पल, भाईसाहब, ऐसी चीज है जो बच्चा हो या बूढ़ा, हर कोई इस्तेमाल करता है. आजकल तो सबके पास कई जोड़ी चप्पलें होती हैं. घर में पहनने के लिए अलग, बाजार जाने के लिए अलग, सर्दी के लिए अलग और गर्मी के लिए तो पूछो ही मत.

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Slipper Making Business: चप्पल की फैक्ट्री से होगी तगड़ी कमाई, मात्र 1 लाख रुपए आएगा खर्च

The Chopal, Slipper Business Idea: दुनिया में लाखों तरह के धंधे हैं और सब चल रहे हैं. लेकिन हर कोई हर तरह का बिजनेस नहीं कर सकता. बिजनेस चलाने के लिए तजुर्बे के साथ-साथ पैसा भी चाहिए होता है. मगर, अगर आप हफ्ते भर की ट्रेनिंग लेकर कम लागत में बढ़िया कमाई वाला छोटा-मोटा काम शुरू करना चाहते हैं, तो एक शानदार तरीका है - चप्पल बनाने का काम.

 चप्पल का बिजनेस एक ऐसा काम है जिसे अपने भारत देश में थोड़े से पैसे लगाकर भी शुरू किया जा सकता है और अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. कहते हैं न कि चप्पल तो बचपन से लेकर बुढ़ापे तक हर कोई पहनता है. आजकल तो एक-एक आदमी के पास इतनी चप्पलें हो गई हैं कि पूछो मत - घर के लिए अलग, बाहर जाने के लिए अलग, सर्दी में पहनने के लिए अलग और गर्मी में पहनने के लिए तो बिलकुल अलग. तो इस तरह हर उम्र के लोग इसके ग्राहक हैं और यह धंधा पूरे बारह महीने चलता है.

 अब बात करते हैं कि आप अपनी छोटी सी चप्पल बनाने की फैक्ट्री कैसे लगा सकते हैं. शुरू में कितना पैसा लगाना होगा और कमाई कितनी हो सकती है? दरअसल, आज के समय में चप्पलों के बाजार में एक से बढ़कर एक ब्रांड हैं, लेकिन इन कंपनियों ने भी शुरुआत बहुत कम लागत से ही की थी. खासकर Relaxo जैसी कंपनी इसका सबसे अच्छा उदाहरण है. सबसे बढ़िया बात तो यह है कि आप यह काम शहर में करें या गाँव में, कहीं पर भी कर सकते हैं क्योंकि चप्पलों की मांग तो हर जगह एक जैसी ही है.

 

कैसे शुरू करें चप्पल बनाना?

 

अगर आप चप्पल बनाने की फैक्ट्री लगाने की सोच रहे हैं, तो शुरुआत में हाथ से चलने वाली या थोड़ी ऑटोमैटिक मशीनें खरीद सकते हैं. इसके लिए आपको कम से कम 5 तरह की मशीनें लगानी पड़ेंगी. चप्पल की सीट बनाने से लेकर कटिंग, ड्रिलिंग, घिसाई, डिजाइनिंग, प्रिंटिंग और पट्टा लगाने की मशीनें लेनी होंगी. अगर आप शुरू में चप्पल की शीट बनाने वाली मशीन नहीं लगाना चाहते हैं, तो देश में बहुत सारे बनाने वाले हैं, जहाँ से आप चप्पल की शीट खरीद सकते हैं. क्योंकि सबसे ज्यादा खर्चा तो चप्पल की शीट वाली मशीन का ही होता है.

कितनी लागत, कितनी कमाई?

बहुत सारे बनाने वालों से बात करने के बाद एक बात तो पक्की हो गई है कि अगर आप चप्पल बनाने की छोटी सी यूनिट भी लगाते हैं, तो 35 से 40 रुपये की लागत में एक जोड़ी चप्पल बनकर तैयार हो जाती है. कुछ बनाने वाले तो यह भी दावा करते हैं कि उनकी लागत तो केवल 25-27 रुपये प्रति जोड़ी ही आती है. यही चप्पल बाजार में 120-150 रुपये में बिकती है. ज्यादातर छोटी दुकानों और साप्ताहिक बाजारों में यही चप्पलें मिलती हैं, जो बड़े ब्रांड की तो नहीं होतीं, लेकिन देखने में और फिनिशिंग में अच्छे-अच्छे ब्रांड को टक्कर देती हैं. थोक में यही चप्पल 60-70 रुपये जोड़ी आसानी से बिक जाती है.

चप्पल बनाने की शीट

अगर आप बनी बनाई शीट खरीदकर चप्पल बनाते हैं, तो एक शीट से 25 जोड़ी चप्पलें तैयार हो जाती हैं. और अगर एक जोड़ी पर 20 रुपये भी मुनाफा कमाते हैं, तो एक छोटी मशीन से रोजाना कम से कम 200 से 300 जोड़ी चप्पलें बना सकते हैं. मतलब, रोजाना 4000 से 6000 रुपये का मुनाफा. इस धंधे से महीने में आराम से 1 लाख रुपये कमाए जा सकते हैं. वहीं, ऑटोमैटिक मशीन से तो 8 घंटे में 1500-2000 जोड़ी चप्पलें बन जाती हैं. इस मशीन पर 5 साल की गारंटी भी मिलती है.

इन मशीनों से बनती हैं चप्पलें

जैसा कि हमने पहले भी बात की है, चप्पलें बनाने के लिए 4 से 5 तरह की मशीनों की जरूरत होती है. कटिंग, ड्रिलिंग, घिसाई, डिजाइनिंग, एम्बॉसिंग (यानी प्रिंटिंग) और पट्टा लगाने की मशीन.

लागत: चप्पल बनाने की यूनिट लगाने के लिए छोटे स्तर पर 20,000 से 1 लाख रुपये तक, मध्यम स्तर पर 1 से 3 लाख रुपये और बड़े स्तर पर 6 से 10 लाख रुपये तक का खर्चा आ सकता है.

कच्चा माल: रबर, पीवीसी, फोम और पैकिंग का सामान. यह सब आपको थोक में आसानी से मिल जाएगा. यूट्यूब और इंडिया मार्ट पर इसकी पूरी जानकारी मिल जाएगी.

मशीन की कितनी कीमत?

मैनुअल सोल कटिंग मशीन: 10,000-20,000 रुपये में.

ऑटोमैटिक चप्पल बनाने की मशीन: 1-2.5 लाख रुपये में.

प्रिंटिंग और फिनिशिंग मशीन: 20,000-50,000 रुपये में.

कुल मशीनों की लागत: 40,000-2 लाख रुपये में.

कैसे बनती हैं चप्पलें?

सबसे पहले सोल कटिंग यानी रबर या पीवीसी शीट को चप्पल के आकार में काटा जाता है. फिर फिनिशिंग के लिए किनारों को चिकना करते हैं. उसके बाद चप्पल पर डिजाइन या लोगो प्रिंट किया जाता है. फिर चप्पल में रबर, चमड़े या कपड़े की पट्टियां लगाई जाती हैं. आखिर में बढ़िया पैकिंग के साथ चप्पल को बेच के लिए तैयार कर दिया जाता है.

चप्पल कैसे बेचें?

आप सीधे थोक व्यापारियों से बात कर सकते हैं. इसके अलावा, इसे खुदरा में भी बेचा जा सकता है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (जैसे Amazon, Flipkart) या सोशल मीडिया के जरिए भी ग्राहकों तक पहुंचा जा सकता है.

काम शुरू करने से पहले रिसर्च

चप्पल बनाने से पहले अपने इलाके की दुकानों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर यह पता कर लें कि किस तरह की चप्पलों की सबसे ज्यादा मांग है. फिर उसी पर ध्यान दें. क्योंकि गाँवों में सस्ती चप्पलें ज्यादा बिकती हैं, जबकि शहरों में फैशनेबल और ब्रांडेड चप्पलें पसंद की जाती हैं. अच्छी पैकिंग ग्राहकों को आकर्षित करती है और आपके ब्रांड की इज्जत बढ़ाती है.

चप्पल बनाने का प्रशिक्षण खादी ग्रामोद्योग (kvic.org.in) या जिला उद्योग केंद्र से लिया जा सकता है. सरकार की योजनाओं जैसे मुद्रा लोन या PMEGP (प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम) के तहत लोन भी मिल सकता है. अगर आप खुद चप्पल बनाते हैं तो लागत कम आती है और मुनाफा 50% तक हो सकता है. आप होलसेलर को 15 से 20% मुनाफे पर अपना माल दे सकते हैं.

(1) छोटे स्तर की फैक्ट्री (Small-Scale Slipper Manufacturing Unit)

उत्पादन क्षमता: 500-1,000 जोड़ी चप्पल हर दिन.

निवेश: 50,000-1.5 लाख रुपये.

मैनुअल सोल कटिंग मशीन: 10,000-20,000 रुपये में.

प्रिंटिंग और फिनिशिंग मशीन: 20,000-50,000 रुपये में.

इसके लिए आपको चप्पल की शीट बाहर से खरीदनी होगी.

(2) मध्यम स्तर की फैक्ट्री (Medium-Scale Slipper Manufacturing Unit)

उत्पादन क्षमता: 1,000-3,000 जोड़ी चप्पल हर दिन.

निवेश: 2-5 लाख रुपये.

ऑटोमैटिक सोल कटिंग मशीन: 50,000-1 लाख रुपये में.

ऑटोमैटिक चप्पल बनाने की मशीन: 1-2 लाख रुपये में.

प्रिंटिंग मशीन (डिजाइन के लिए): 20,000-50,000 रुपये में.

कुल मशीनों की लागत: 1.5-3 लाख रुपये.

प्रति जोड़ी लागत: 24-30 रुपये (हवाई और डिजाइनर चप्पल).

(3) बड़े स्तर की फैक्ट्री (Large-Scale Slipper Manufacturing Unit)

उत्पादन क्षमता: 5,000-10,000 जोड़ी चप्पल हर दिन.

निवेश: 10-20 लाख रुपये.

पूरी तरह ऑटोमैटिक चप्पल उत्पादन लाइन: 5-10 लाख रुपये में.

हाईटेक प्रिंटिंग और फिनिशिंग मशीन: 1-2 लाख रुपये में.

कुल मशीनों की लागत: 6-12 लाख रुपये.

कच्चा माल: शुरुआती स्टॉक (5,000-10,000 जोड़ी): 1-3 लाख रुपये में.

कर्मचारी: 10-20 कर्मचारी (औसत सैलरी 15-20 हजार रुपये) लगभग 1.50 लाख रुपये प्रति महीना.

मुनाफे का हिसाब-किताब

अगर आप मध्यम स्तर की फैक्ट्री लगाते हैं, तो आपका काम भी बढ़ेगा और मुनाफा भी. जब आप इस बिजनेस को बड़े पैमाने पर करते हैं, तो फिर मुनाफा तो और भी ज्यादा होगा.

(नोट: यह रिपोर्ट इंडस्ट्री के जानकारों से बातचीत के आधार पर तैयार की गई है. अगर आप कोई भी बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो पहले अच्छे से सोच-विचार कर लें और उससे जुड़े खतरों के बारे में भी जानकारी जुटा लें.)