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Supreme Court का फ्लैट खरीदारों के हक में बड़ा फैसला, अब CBI से करवाई जाएगी जांच

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने फ्लैट खरीदने वालों के लिए महत्वपूर्ण फैसला दिया है।  इससे बिल्डरों की परेशानियां बढ़ जाएंगी।  CBI भी मामले में शामिल हो सकता है।  सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से जांच की घोषणा की है।  सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करके फ्लैट खरीदारों को बचाया है। 

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Supreme Court का फ्लैट खरीदारों के हक में बड़ा फैसला, अब CBI से करवाई जाएगी जांच

The Chopal, Supreme Court : आजकल एक फ्लैट को घर के रूप में खरीदने का चलन बढ़ रहा है।  लोग एक बड़ी इमारत में करोड़ों रुपये लगाकर एक अपार्टमेंट खरीदते हैं।  वहीं, पहले प्लॉट खरीदकर उस पर घर बनाने की प्रथा कम हुई है।

 बिल्डर्स भी इस क्षेत्र में बढ़ गए हैं क्योंकि फ्लैट की बड़ी मांग है।  फ्लैट देने में भी बिल्डर्स की कमी दिखाई देती है।  सुप्रीम कोर्ट तक मामला इसी तरह पहुंचा है। 

 पाताल से भी खोज कर दंड देंगे

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा कि बिल्डरों को फायदा देने के लिए खरीददारों को बेवजह समस्या में डाला जा रहा है।  सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन्हें पाताल से ढूंढ कर भी दंड दिया जाएगा।  इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट टिप्पणी की है। 

 बिल्डरों और बैंकों की सांठगांठ पर प्रमुख प्रश्न

सुप्रीम कोर्ट ने एनसीआर क्षेत्र में बैंकों और बिल्डरों के समझौते पर सवाल उठाया है।  सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि बैंक कैसे 60 से 80 प्रतिशत तक लोन देते हैं बिना किसी इमारत में एक ईंट हो।  

 बेवजह खरीदारों को मुसीबत में डाला जाता है

अदालत ने कहा कि बिल्डरों को लाभ मिल रहा है।  वहीं, खरीदारों को बेवजह परेशान किया जा रहा है।  सुप्रीम कोर्ट ने CBI से इस मामले की जांच कराने की मांग की है।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो भी अधिकारी दोषी पाए जाएंगे, उन्हें पाताल से भी ढूंढकर सजा दी जाएगी। 

 यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

वास्तव में, ग्रेटर नोएडा में कुछ निर्माण परियोजनाओं के खरीददार सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंचे थे।  उन्हें बताया गया कि फ्लैट अब तक उनके पास नहीं है क्योंकि बिल्डर ने देरी की है।  वहीं, खरीदारों को EMI चुकाने को मजबूर किया जा रहा है।  

 ये मामला सर्वोच्च न्यायालय की बेंच को मिला

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्य कांत और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने सुनवाई की।  सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि निर्माण परियोजनाएं आधे पूरी हो चुकी हैं, लेकिन बैंक अभी भी 60 से 80 प्रतिशत लोन राशि को बिल्डर के खाते में भेज रहा है. सबवेंशन स्कीम के तहत।  इससे पता चला कि बिल्डर ईएमआई भुगतान नहीं करता तो खरीदार पर दबाव डालता है। 

 सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने कहा

 सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में जजों ने कहा कि पैसे सीधे बिल्डर के खाते में भेजे जाते हैं।  बैंक बिल्डिंग प्रोजेक्ट में किसी भी ईंट को नहीं देख रहा है?  सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या यह बैंक अधिकारियों की ओर से बिल्डर को लाभ देने और उसके बदले खुद भी लाभ कमाने का मामला नहीं है? 

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार से बिल्डर और बैंक मिलकर निर्दोष खरीदारों को धोखा दे रहे हैं?  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्दोष खरीदारों से उन पैसों का हिसाब मांग रहे हैं जो उन्होंने कभी नहीं देखा था।  बैंक ने सीधे बिल्डर के खाते में पैसे भेजे हैं।  

 CBI जांच प्रस्ताव
 
 सुप्रीम कोर्ट में दो जगह की बेंच ने CBI के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से अधिकारियों से बातचीत करने को कहा है।  CBI से दो सप्ताह के अंदर एक प्रस्ताव मांगा गया है, जिसके माध्यम से वह इस मामले की जांच कर सकती है। 

 बैंक वकीलों ने आदेश को खारिज कर दिया

 वहीं, बैंकों के वरिष्ठ अधिवक्ता भी इस आदेश का विरोध करते हैं।  बैंक ने कहा कि वे ब्याज नहीं लेंगे जब तक याचिकाकर्ताओं को उनके फ्लैट नहीं मिलता।  सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि बैंकों के ऐसा करने से वास्तविक मुद्दा हल नहीं होगा।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी खरीदारों को बिल्डर और बैंक की मिलीभगत से होने वाले नुकसान से बचाना चाहिए।