Tax on Gold : सोना खरीदने वालों के लिए टैक्स नियम जानना जरूरी, नहीं तो आ जाएगी परेशानी
Gold tax rules : अब लोग सोना खरीदने की ओर बढ़ रहे हैं। सोने ने पिछले कुछ वर्षों में शानदार प्रदर्शन किया है। इसलिए दिन-प्रतिदिन इसमें गोल्ड निवेश बढ़ता ही जा रहा है। सोना खरीदने या बेचने पर टैक्स भी देना होगा। यदि आप भी सोना खरीदने या बेचने की योजना बना रहे हैं, तो पहले सोने पर लगने वाले टैक्स (Gold Tax Ke Niyam) के बारे में जानकारी प्राप्त करें, ताकि आपको बाद में नुकसान नहीं होगा।

The Chopal, Gold tax rules : भारत में विवाह और त्योहारों पर सोना खरीदना एक पुरानी परंपरा है। कुछ समय बाद, कई लोग इसे अपने पास रखकर बेच भी देते हैं। सोने की इस खरीद फरोख्त (gold selling tips) पर भी टैक्स नियम लागू हैं।
सोना एक खूब मूल्यवान धातु है और इसमें बहुत अच्छा रिटर्न मिलता है। इसलिए इसे सोने की बिक्री पर टैक्स लगाया गया है। ज्यादातर लोग सिर्फ सोना खरीदते हैं, लेकिन उन्हें इस पर लागू होने वाले टैक्स नियमों का पता नहीं है। Gold buying tips: जब भी आप सोना खरीदने या बेचने की योजना बनाते हैं, तो आपको इन लगने वाले टैक्स नियमों को जानना होगा, ताकि आप पारदर्शी ढंग से सोना खरीदने या बेच सकें।
सोना इन तरीकों से खरीद सकते हैं-
सोना खरीदने के विभिन्न तरीके हैं। भारत में चार प्रकार का सोना खरीदा जाता है (सोने की कीमत भारत में)। इनमें सॉवरेन गोल्ड बांड, डिजिटल गोल्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड या ETF और फिजिकल गोल्ड शामिल हैं। यदि आपने सोना खरीदा है (gold Buying tips) या खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आपको इस पर भी टैक्स देनदारी देनी होगी। इस टैक्स देनदारी को जानना महत्वपूर्ण है। टैक्स आयकर कानून की अलग-अलग धाराओं के अनुसार दिखता है।
जैविक सोना खरीदने पर टैक्स
सोना कारोबारी अधिकतर लोगों को गहनों के रूप में सोना खरीदते हैं। भारत में सोने के सिक्के खरीदने पर कर भी लंबे समय से है। GST (Gold GST) सुनार से पक्के बिल पर खरीदने पर 3% लगता है।
यदि सोने की बिक्री होती है, तो ग्राहक इसे बेचते समय टैक्स इस आधार पर चुकाएगा कि सोने को कितने समय तक उसने अपने पास रखा था। पुराने गहने बेचने वाले टिप्स अक्सर नए डिजाइन में ही बनाते हैं। इस तरह के गहने बहुत दुर्लभ हैं। इस सोने पर आवश्यकतानुसार लोन लेना आम है।
कैपिटल गेन टैक्स प्रणाली—
सोना खरीदने वाले बिल पर तारीख होती है। यदि सोना इस तिथि से तीन साल के भीतर बेचा जाता है तो इससे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन का लाभ माना जाएगा। इस लाभ को आपकी सालाना आय (income rule) में जोड़ा जाता है।
इसके बाद टैक्स देनदारी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार चुकानी होगी। तीन साल के बाद सोना बेचना लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन है। इस लाभ पर 20 प्रतिशत की टैक्स स्लैब लगती है और इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के साथ 4 प्रतिशत सेस और सरचार्ज भी देना पड़ता है।
ई गोल्ड या डिजिटल गोल्ड के नियम-
डिजिटल गोल्ड (Digital Gold Par Tax) खरीदने और बेचने का प्रचलन भी बढ़ गया है। डिजिटल सोना कई बैंकों, मोबाइल वॉलेटों और ब्रोकरेज कंपनियों से खरीद सकते हैं। डिजिटल सोना बेचने पर भी टैक्स चुकाना होगा, जैसे कि फिजिकल सोना या गोल्ड म्यूचुअल फंड्स, यानी गोल्ड ईटीएफ, पर टैक्स चुकाना होता है। इस पर 20 प्रतिशत टैक्स देने के अलावा सेस और सरचार्ज देने पड़ते हैं। 3 साल से पहले बेचा गया डिजिटल सोना लाभ पर टैक्स नहीं लगता।
सॉवरेन गोल्ड बांड्स प्रोग्राम के नियम
सोने में निवेश करने पर 2.5 फीसद वार्षिक दर से ब्याज देने वाली एक स्कीम है Sovereign Gold Bond। ब्याज से मिलने वाली आय को करदाताओं की आय से अन्य आय में जोड़ा जाता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर आठ वर्ष की मैच्योरिटी के बाद टैक्स नहीं लगता।
योजना से समय से पहले बाहर होने वालों पर रिटर्न पर अलग-अलग टैक्स लागू होता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड लॉक अक्सर पांच साल तक रहता है। गोल्ड बॉन्ड की बिक्री से मिलने वाले रिटर्न को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है, जो 5 साल की अवधि पूरी होने के बाद और मैच्योरिटी पीरियड से पहले प्राप्त होता है। इसके तहत 20% टैक्स और 4% सेस के साथ सरचार्ज चुकाना होगा।
गोल्ड म्यूचुअल फंड्स और गोल्ड ईटीएफ पर लागू होने वाले नियम
फिजिकल गोल्ड में ग्राहक के निवेश के पैसे को गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में निवेश किया जाता है। फिजिकल गोल्ड की तरह, इस तरह से खरीदे गए सोने पर टैक्स का नियम भी समान है। दूसरी ओर, सोने के म्यूचुअल फंड्स का धन सोने के ईटीएफ में लगाया जाता है।