दिल्ली से नहीं जाएंगे किसान और यह 300 साल तक नहीं भूलेंगे- राज्यपाल सत्यपाल मालिक

दिल्ली की सीमाओं पर किसान लगभग 107 दिनों से कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहें है और नए कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग कर रहें है. इसी बीच मेघालय के राज्यपाल और भाजपा नेता सत्यपाल मलिक ने कहा कि मैं थोड़े दिनों पहले एक वरिष्ठ पत्रकार से मिला जो PM नरेंद्र मोदी का करीबी दोस्त हैं. मैंने उनसे कहा कि मैं तो कोशिश कर चुका हूं लेकिन अब तुम प्रधानमंत्री मोदी को समझाओ कि किसानों का अपमान ना करें. साथ ही उन्होंने कहा कि अब किसान दिल्ली से वापस नहीं जाएंगे और इसको 300 साल तक नहीं भूलेंगे
बता दें की एक कार्यक्रम में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि कल मैं एक वरिष्ठ पत्रकार से मिलकर आया हूं जो प्रधानमंत्री के बहुत अच्छे दोस्त हैं,
राज्यपाल सत्यपाल मालिक नें कहा की मैंने उनसे कहा कि मैं तो कोशिश कर चुका हूं मगर अब तुम उन्हें समझाओ कि ये गलत रास्ता है. किसानों को दबाकर और अपमानित करके दिल्ली से भेजना गलत कदम है. वहीं आगे उन्होंने कहा कि पहले तो किसान दिल्ली से जाएंगे नहीं, क्योंकि ये जाने के लिए दिल्ली नहीं आए हैं. अगर ये चले गए तो 300 साल तक नहीं यह अपमान भूलेंगे. अगर सरकार एमएसपी को क़ानूनी मान्यता दे देती है तो मैं अपनी जिम्मेवारी लेकर सारे मामले को निपटा दूंगा,
और वहीं राज्यपाल सत्यपाल मलिक बोले कि अगर ये आंदोलन ज्यादा चलता रहा तो बहुत नुकसान होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि मैं सिखों को जानता हूं. जब इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार किया था तो 1 महीने तक उन्होंने अपने फार्म हाउस पर महामृत्युंजय जाप करवाया था. यह जानकारी मुझे अरुण नेहरू ने दी थी. जब अरुण नेहरू ने उनसे जाप करवाने का कारण पूछा तो इंदिरा गांधी ने कहा कि मैंने सिखों का अकाल तख़्त तोड़ा है ये मुझे छोड़ेंगे नहीं. इंदिरा गांधी को इस बात का इल्म पहले ही था. इन लोगों ने तो जनरल वैद्य को पूना में जाकर मारा था,
इसके साथ ही सत्यपाल मलिक ने कहा आमतौर पर गवर्नर बोलते नहीं हैं मगर मुझे किसी भी मुद्दे पर बोलने की आदत है. अभी किसानों को लेकर जो हो रहा है उस पर मैंने पीएम और गृहमंत्री से भी बात की. मैंने दोनों लोगों से 2 आग्रह किया. पहला ये कि किसानों को दिल्ली से खाली मत भेजना क्योंकि सिख लोग 300 सालों तक किसी चीज को नहीं भूलते हैं. दूसरा इन लोगों पर कभी बल प्रयोग मत करना. इसलिए जिस दिन राकेश टिकैत पर गिरफ़्तारी की तलवार लटक रही थी तो मैंने 11 बजे रात को फ़ोन करके उनकी गिरफ़्तारी रूकवाई थी,