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Global Warming : ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ रहा समुद्र जल का स्तर, तटीय बस्तियों पर खतरा, वैज्ञानिक ने चेताया,

THE CHOPAL , GLOBAL WARMING Global Warming :आमतौर पर वैज्ञानिक काफ़ी लंबे समय से ग्लोबल वार्मिग को लेकर कई देशों को काफ़ी लंबे समय से चेता रहें है. हालांकि सरकारें भी इसको लेकर चिंतित है. भारत में ग्लोबल वार्मिग एवं जलवायु परिवर्तन जैसे खतरों ने पूरी दुनिया के बड़े जोखिम पैदा किए हैं. इनमें एक
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Global Warming : ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ रहा समुद्र जल का स्तर, तटीय बस्तियों पर खतरा, वैज्ञानिक ने चेताया,

THE CHOPAL , GLOBAL WARMING 

Global Warming :आमतौर पर वैज्ञानिक काफ़ी लंबे समय से ग्लोबल वार्मिग को लेकर कई देशों को काफ़ी लंबे समय से चेता रहें है. हालांकि सरकारें भी इसको लेकर चिंतित है. भारत में ग्लोबल वार्मिग एवं जलवायु परिवर्तन जैसे खतरों ने पूरी दुनिया के बड़े जोखिम पैदा किए हैं. इनमें एक सबसे बड़ा खतरा समुद्र के जल स्तर में बढ़ोतरी का है. इससे समुद्र तटों के किनारे बसी बस्तियों पर अस्तित्व का खतरा मंडराने लगा है. भारत के समुद्र तटीय इलाके व द्वीप समूह भी इस जोखिम से अछूते नहीं है. हाल में हुए एक अध्ययन में इस खतरे को करीब से महसूस किया गया है.

Global Warming : ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ रहा समुद्र जल का स्तर, तटीय बस्तियों पर खतरा, वैज्ञानिक ने चेताया,

आइआइटी खड़गपुर ने किया अध्यन,

आइआइटी खड़गपुर के वास्तुशिल्प एवं क्षेत्रीय नियोजन और महासागर आभियांत्रिकी एवं नौवहन वास्तुशिल्प की संयुक्त टीम ने इस अध्ययन को मूर्त रूप दिया है. इस अध्ययन के लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत संचालित जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम (सीसीपी) ने भी सहयोग किया है. global warming

अध्ययन में कहा गया है कि देश की पश्चिमी तट रेखा के पास में स्थित लक्षद्वीप में समुद्र तल में सालाना 0.4 एमएम प्रति वर्ष से लेकर 0.9 एमएम प्रति वर्ष के दायरे में बढ़ोतरी हो सकती है. आलम यह है कि समुद्र के जल स्तर में बढ़ोतरी से यह पूरा द्वीप समूह संवेदनशील स्थिति में है.

द्वीप के इकलौते हवाईअड्डा पर भी खतरा,

किए गए अध्ययन के मुताबिक इस द्वीप पर मौजूद इकलौता हवाईअड्डा अगाट्टी द्वीप के दक्षिणी सिरे पर अवस्थित है और समुद्र जल स्तर में बढ़ोतरी से उसको भारी नुकसान पहुंचने की आशंका व्यक्त की गई है. वैज्ञानिकों ने खतरे को कम करने के लिए उचित संरक्षात्मक उपायों और समयबद्ध योजनाएं बनाने की अनुशंसा की है.

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