1 साल कोमा: साढ़े 3 साल बिस्तर पर रहा, फिर भी पास किया सीईटी, हौसला बुलंद तो बिस्तर को बनाया मंजिल
Sirsa News: गांव गुड़िया खेड़ा के 32 वर्षीय युवक विनोद कुमार गोदारा ने असंभव को संभव कर दिखाया है. बाइक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होकर जीवन मृत्यु के बीच झूलने वाले विनोद ने बिस्तर पर लेटे-लेटे ही मेहनत से हरियाणा CET-2025 परीक्षा पास कर ली है. अब गांव से लेकर सोशल मीडिया तक हर तरफ बस एक ही आवाज है विनोद को सरकारी नौकरी दो, विनोद से लेकर मां-बाप और पत्नी भी खुशी से समाए हुए नहीं है. साढ़े 3 साल पहले सिरसा में एक बाइक दुर्घटना और उसके बाद पूरा 1 साल कोमा में, जब होश आया तो न बोल पाता था ना हिल-डुल पाता था. न उठ-बैठ पाता. डॉक्टर ने भी बहुत कम उम्मीद की थी परिवार पर मानो पहाड़ टूट पड़ा. इलाज के लिए तीन एकड़ जमीन बिक गई. मां-बाप, पत्नी ने दिन-रात सेवा की हार नहीं मानी.
पिता पूर्णाराम गोदारा बताते हैं कि साल 2021 में विनोद सिरसा से बाइक पर घर लौट रहे थे. लाल बत्ती चौक के पास अचानक सामने गाय से बाइक टकरा गई. सर पर गहरी चोट लगी विनोद कोमा में चला गया पुरे 1 साल बाद होश में आया. जब 2002 में होश में आया तब ना बोल पाता था ना हिल डुल पता था. डॉक्टर ने भी जवाब दे दिया था हमने हिसार, रोहतक, दिल्ली तक इलाज करवाया 3 एकड़ जमीन बिक गई. कर्ज भी हो गया. लेकिन बेटे को बचाने की जिद थी.
बिस्तर पर ही शुरू की पढ़ाई ठाना नौकरी करूंगा
साढे तीन साल तक बिस्तर पर रहने के बाद जब विनोद का दिमाग काम करने लगा. सोशल मीडिया पर जब उसे पता चला कि हरियाणा सरकार सीईटी की परीक्षा करवा रही है. तो उसने कहा पिताजी से मुझे तैयारी करनी है मैं एग्जाम दूंगा. परिजन हैरान रह गए. पत्नी शारदा कहती है. उनकी आवाज भी ठीक से नहीं निकलती थी. लेकिन आंखों में जिद साफ दिख रही थी. पिता ने किताबें मंगवाई और मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से विनोद ने लेटे-लेटे पढ़ना शुरू किया और फिर हाल ही में हुई सीईटी की परीक्षा दी.
व्हीलचेयर और परिजनों के साथ विनोद को ओढा परीक्षा केंद्र तक पहुंचाया गया. 3 घंटे का पेपर उसने किसी तरह पूरा किया. रिजल्ट आया तो घर में खुशी के आंसू, गांव में बधाइयों का तांता लगा रिजल्ट आने की तारीख 5 दिसंबर थी. जब स्क्रीन पर क्वालीफाई दिखा तो विनोद खुशी से उछल पड़ा. बोला मैंने एग्जाम क्लियर कर लिया. पूरे परिवार की मायूसी में पहली बार खुशी की झलक नजर आई. सोशल मीडिया पर विनोद की कहानी वायरल हो गई.
विनोद को दिव्यांग कोटे से मिले नौकरी
विनोद अभी भी पूरी तरह चल फिर नहीं पाते. बोलने में दिक्कत है. लेकिन दिमाग पूरी तरह सक्रिय है. परिवार और गांव वाले अब हरियाणा सरकार से अपील कर रहे हैं कि विनोद की इस अतुल्य हिम्मत को देखते हुए उन्हें दिव्यांग कोटे से सरकारी नौकरी दी जाए. पिता पूर्णाराम कहते हैं, अगर सरकार बेटे को नौकरी दे दे तो हमारा सारा कर्ज उतर जाएगा. यह हमारे लिए ऑक्सीजन से कम नहीं. विनोद मुस्कुराते हुए इशारे से कहते हैं. मैं अभी और पढ़ूंगा और सरकारी नौकरी प्राप्त करूंगा. विनोद की यह जज्बा ही कहानी बताती है कि अगर हौसला बुलंद हो तो बिस्तर भी मंजिल बन सकता है.
