Gurmeet Ram Rahim को 21 दिन की फरलो मिली है, जानिए फरलो और पैरोल में अंतर

   Follow Us On   follow Us on
Gurmeet ram rahim furlough

The Chopal

Difference between Furlough and parole : सिरसा डेरा प्रमुख राम रहीम गुरमीत रेप व हत्या के केस में सजा काट रहा है. फिलहाल राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिल गई है और वह जेल से 4 साल बाद बाहर आ गया है. लेकिन कुछ लोग सोच रहें है फरलो और पैरोल में क्या अंतर होता है. तो आइये हम बताते है दोनों में किस प्रकार से है अंतर, 

फरलो क्या है

- फरलो एक प्रकार की छुट्टी जैसा ही होती है. फरलो की अवधि को कैदी की सजा में छूट समेत उसके कई अधिकारों के तौर पर देखा जाता है.

- वहीं दूसरी बात फरलो मात्र सजा पा चुके कैदी को मिलती है. लंबे वक्त के लिए जेल में रहने वाले कैदी को फरलो दी जाती है.

-  फरलो का उदेश्य परिवार और समाज से मिलना जुलना होता है.  

- लेकिन हर राज्य में फरलो को लेकर अलग नियम है. यूपी में फरलो देने का कोई प्रावधान नहीं है. 

फरलो और पैरोल में अंतर समझें,

- फरलो व परोल दोनों अलग हैं. प्रिजन एक्ट 1894 में इन दोनों का जिक्र है. फरलो सज़ा पाए कैदी को मिलती है. वहीं परोल पर किसी भी कैदी को थोड़े दिन के रिहा किया जानें का नियम है.

- वहीं फरलो के लिए कोई कारण की आवश्यकता नहीं होती. परंतु परोल के लिए कारण होना आवश्यक है.

पैरोल मिलना जब कैदी के परिवार में किसी की मौत हो जाए, ब्लड रिश्ते में किसी की शादी हो या कुछ व कोई अन्य आवश्यक कारण

- किसी कैदी को परोल देने का मना किया जा सकता है. अधिकारी ये कहकर मना कर सकता है की कैदी को पैरोल देना समाज के लिए नुकसानदायक है.

यह है पैरोल और फरलो के नियम 

-  2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने परोल व फरलो के लिए नए नियम जारी किए थे. इसमें गृह मंत्रालय जानकारी दी थी की किसी को परोल व फरलो कब नहीं दी जाएगी? नीचे पढ़िए नियम 

- ऐसे कैदी जिनके कारण समाज में माहौल बिगड़े और जिनके होने से शांति व कानून व्यवस्था बिगड़ने का खतरा हो,

- ऐसे कैदी जो हमला, दंगा भड़काने, विद्रोह और फरार होने की कोशिश करने जैसी जेल हिंसा से जुड़े अपराधों में लिप्त रहे हों

- आतंकवाद संबंधी अपराध, फिरौती, अपहरण, मादक द्रव्यों,  तस्करी जैसे अपराधों के दोषी हो.

-  ऐसे कैदी जो परोल और फरलो की अवधि पूरा कर वापस जेल लौटने पर संशय हो. 

- यौन अपराध, हत्या, बच्चे अपहरण व हिंसा जैसे गंभीर अपराधों के मामलों में एक समिति सारे तथ्यों पर गौर कर परोल या फरलो देने का फैसला कर सकती है.