Haryana Weather: हरियाणा में जबरदस्त ठंड, कई जगह पारा 1 डिग्री तक, किसानों के लिए मौसम विभाग ने दी ये सलाह
Weather Haryana: पहाड़ी इलाकों से जारी ठंडी बर्फीली हवाओं ने मैदानी इलाकों का पारा नीचे की और ला दिया है। पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में शीतलहर के साथ-साथ पाला जमने का अलर्ट मौसम विभाग ने जारी की है. हालांकि, बुधवार को धूप खिलने से ठंड से कुछ देर राहत भी मिली. सुबह 11 बजे एकदम सही धूप खिली, जो शाम तक भी रही. सोमवार को प्रदेश में अधिकतम तापमान 11 से 13 डिग्री के मध्य था, वो तापमान मंगलवार को बढ़कर 14 से 17 डिग्री सेल्सियस तक हो गया. वहीं न्यूनतम तापमान में भी हल्की बढ़ोतरी भी देखने को मिली।
हरियाणा से लगते राजस्थान के चुरू और हरियाणा के नारनौल में न्यूनतम तापमान जमाव बिंदु पर भी है. चुरू में तापमान 0.5 डिग्री तो नारनौल में पारा 1 डिग्री तक दर्ज किया गया. वहीं राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले से लगता हिसार के बालसमंद में न्यूनतम तापमान 1.7, हिसार शहर में तापमान 3.9 और सिरसा में तापमान 4.0 दर्ज तक किया गया. मौसम विज्ञान विभाग ने अलर्ट दिया है कि आने वाले दिनों में अभी ठंड से राहत मिलने की उम्मीद भी नहीं है. पंजाब, उत्तरी राजस्थान और हरियाणा में शीतलहर भी चलेगी जिससे तापमान में भी गिरावट आएगी.
ठंड में ठिठुर रहे विद्यार्थी
ठंड की सबसे ज्यादा मार विद्यार्थियों पर भी पड़ रही है. विद्यार्थी कड़ाके की ठंड में ठिठुरते हुए स्कूल जाने को मजबूर है. हालांकि, स्कूलों ने समय में परिवर्तन कर इसे बढ़ा भी दिया है, मगर इससे ना तो विद्यार्थियों को राहत भी मिली नहीं मिली है. शीतलहर के कारण गेहूं और सरसों की फसल की उचित देखभाल की जरूरत भी बनी रहती है. मौसम विभाग ने फसलों और पशुओं को लेकर एडवाइजरी भी जारी की है.
फसलों को लेकर की एडवायजरी
फसलों व सब्जियों को ठंड से बचाने के लिए बार-बार सिंचाई करने की सलाह भी दी गई है. गेहूं की फसल में मैंगनीज की कमी के कारण पत्तियों का पीलापन दिखाई दे तो फसल पर मैंगनीज सल्फेट का भी छिड़काव करें. नर्सरी के साथ-साथ टमाटर, बैंगन और मिर्च जैसी सब्जियों की फसलों को सर्द हवा और ठंडे मौसम से भी बचाएं. सब्जियों की फसलों जैसे फूलगोभी, पालक, मेथी, धनिया, मूली, शलजम, मटर की पलटते भी रहे। प्याज की पौध को खेत में रोपने का यह सबसे अच्छा समय भी है. इन दिनों में आलू की फसल का नियमित सर्वेक्षण भी करें. आलू की फसल को पछेती झुलसा रोग से बचाने के लिए दवा का छिड़काव भी करें.
पशुओं को खुले में मत बांधे, खुराक का ध्यान रखें
पशुओं को कभी खुले स्थान पर भी ना बांधे. अधिक ठंड होने पर पशुओं के पास अलाव भी जलाएं। उनके शेड या छत के नीचे बांधे. शीत लहर से बचाने के लिए रात में चद्दर ओढ़ाएं. दूध निकालने के बाद कभी भी थनों पर नहीं मलना चाहिए. थनों के कटने पर नियमित तौर पर 1:4 के अनुपात में ग्लिसरीन और आयोडीन का प्रयोग भी करें. जानवरों में सूजन को रोकने के लिए बरसीम को गेहूं के भूसे जैसे सूखे चारे के साथ मिलाएं. चावल की भूसी को कभी भी अकेले भी न खिलाएं.
