हरियाणा सरकार के निजी क्षेत्र में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी नौकरी क़ानून पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
The Chopal, Haryana
हरियाणा राज्य में निजी कंपनियों की नौकरियों में हरियाणा के लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने के हरियाणा सरकार प्रावधान पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अब रोक लगा दी है. वहीं आरक्षण को चुनौती देने वाली फरीदाबाद इंडस्ट्रियल एसोसिएशन द्वारा याचिका पर प्रदेश सरकार से जवाब तलब कर लिया है.
प्रदेश के जिले फरीदाबाद इंडस्ट्रियल एसोसिएशन व अन्य ने हाईकोर्ट को बताया था कि प्राइवेट कंपनियों में योग्यता से नागरिकों चयन किया जाता है. अगर निजी उद्योगों से कर्मी को चुनने का अधिकार खो जाएगा तो उद्योग प्रगति कैसे करेंगे. राज्य सरकार का इस आरक्षण वाला फैसला योग्य लोगों के लिए नुकसानदायक है.
इस प्रकार का क़ानून संविधान के उन अधिकारों का हनन है जो एजुकेशन व काबिलियत के आधार पर देश के सभी नागरिकों को अपने हिस्से में नौकरी करने को स्वतंत्र हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि इस प्रकार के क़ानून से हरियाणा में निजी क्षेत्र में नौकरीयों को लेकर अराजकता जैसा माहौल पैदा हो जाएगा. यह कानून निजी क्षेत्र के विकास को भी बाधित करेगा व इसके कारण राज्य से उद्योग पलायन भी कर सकते हैं.
याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसा कानून वास्तविक तौर पर योग्य युवाओं के अधिकारों का शोषण है. 75 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित करने के लिए 2 मार्च, 2021 को लागू अधिनियम व 6 नवंबर, 2021 की अधिसूचना संविधान, संप्रभुता के प्रावधानों के खिलाफ है. रोजगार अधिनियम 2020 को खारिज करने की याचिका में मांग की गई है.
वहीं याचिकाकर्ता पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब कर लिया था. प्रदेश सरकार ने जवाब दाखिल करते हुए कहा कि संविधान के जिस प्रावधान का हवाला देकर यह एसोसिएशन हाईकोर्ट पहुंची हैं वह लोगों के लिए है, कंपनी पर वह लागू ही नहीं होता. ऐसे में याचिका आधारहीन है व इसे खारिज किया जाए.
