Haryana: सिरसा में गांव पन्नीवाला मोटा का इतिहास, 200 साल पहले हरिराम कस्वां के बेटों ने रखी थी गांव की नींव

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Haryana: सिरसा में गांव पन्नीवाला मोटा का इतिहास, 200 साल पहले हरिराम कस्वां के बेटों ने रखी थी गांव नींव

Haryana (Sirsa) Panniwala Mota Village History: राष्ट्रीय राजमार्ग 9 पर स्थित हरियाणा में सिरसा जिले का गांव पन्नीवाला मोटा (Panniwala Mota) की स्थापना करीब 200 वर्ष पूर्व 1826 में हुई थी. यह गांव हरियाणा के पूर्व सिंचाई मंत्री चौधरी जगदीश नेहरा की ससुराल के नाम से भी जाना जाता है. गांव के समाजसेवी प्रदीप बेनीवाल ने बताया कि सबसे पहले हरिराम कस्वां ने जमाल, कुतियाना से आकर मोडी जोहड़ी नामक स्थान पर डेरा डाला था. उनके चार पुत्र उदाराम, मोटाराम, जालूराम और मालुराम ने गांव की नींव रखी. बाद में डूडी, राहड़ और दईया बिरादरी भी यहां बसी. राहड़ और दहिया बिरादरी बाद में गांव से पलायन कर गई. गांव के नाम को लेकर दो मान्यताएं हैं. एक के अनुसार यहां पन्नी (खरपतवार) अधिक थी इसलिए नाम पड़ा पन्नीवाला मोटा. दूसरी मान्यता के अनुसार मोटाराम की मां का नाम पन्नी था. इसलिए गांव का नाम पड़ा पन्नीवाला मोटा. 

सुरजाराम कस्वां पहले सरपंच बने 

गांव में 1952 में सुरजाराम कस्वां पहले सरपंच बने इसके बाद सुरजाराम डूडी, बेगराज कस्वां, कमला देवी कस्वां, जोतराम कासनियां, गिरधारीलाल कस्वां, दाताराम पड़ियार, नारायणी देवी कस्वां, श्रवण कुमार डूडी, मंदौरी देवी पड़ियार, सतवीर सिंह कस्वां, सरपंच रहे. वर्तमान में मंजूबाला बैनीवाल सरपंच है.

गांव में ये सुविधाएँ मौजूद 

वर्तमान में गांव में डाकघर बहु तकनीकी कॉलेज, पीएम श्री स्कूल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पशु अस्पताल, केनरा बैंक, सहकारी समिति, हैफेड गोदाम, पक्की गलियां नेटवर्क, बस सुविधा, जलघर, गौशाला, निजी स्कूल, लाइब्रेरी और निजी आईटीआई जैसी सुविधाएं शामिल है. चौटाला सरकार में यहां शुगर मिल बनी थी जो बाद में शिफ्ट हो गई. अब वहां हेफेड का गोदाम है गांव में जल निकासी, बिजली और पानी की समस्या बनी हुई है.

पंचायत का लेखा-जोखा

जनसंख्या :13000

साक्षरता दर: 80%

जिला मुख्यालय से दूरी 24 किलोमीटर 

कनेक्टिविटी स्टेट हाईवे 25 से जुड़ा है. 

पहचान: ग्रेनाइट कारोबार

प्रमुख उत्पादक अदरक, धान, नरमा, कपास, ग्वार, बाजरा, गेहूं, सरसों

आय का प्रमुख स्रोत: कृषि और पशुपालन

आजाद हिंद फौज में शामिल रहे ग्रामीण

गांव में शिक्षा की शुरुआत गांव वासियों ने मिलकर एक कमरे से की थी. 1952 में सरकार ने चार कमरों का स्कूल मंजूर किया. अब गांव में पीएम श्री राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, राजकीय कन्या हाई स्कूल, निजी स्कूल, राजकीय बहू तकनीकी कॉलेज, निजी आईटीआई और लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं शामिल है. गांव के जोतराम दुल्लाराम और पदमाराम नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में भर्ती हुए थे.