हरियाणा में सिरसा जिले के नहराना गांव का इतिहास, द्वितीय विश्व युद्ध में सैनिकों ने लिया था भाग

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हरियाणा में सिरसा जिले के नहराना गांव का इतिहास, द्वितीय विश्व युद्ध में सैनिकों ने लिया था भाग

Haryana (Sirsa) Nehrana Village History: हरियाणा में सिरसा जिले के नाथूसरी चौपटा खंड में बसा नहराना गांव अपने आप में कई इतिहास समेटा हुआ है. हम इस लेख के दौरान गांव के इतिहास, जनसंख्या शिक्षा, खेती-बाड़ी पर हम चर्चा करेंगे. सबसे पहले हम ये बात करेंगे की इस गांव का नाम नहराना कैसे पड़ा. इस गांव को वर्ष 1766 में बसाया गया था. 1766 से लेकर 2025 तक गांव को बसे हुए 259 साल हो चुके हैं. वर्ष 1766 में चौधरी नानूराम नेहरा ने नहराना गांव को बसाया था. गांव के ही कुछ जानकारों से पता चला की इसके बाद सहारण और बैनीवाल गोत्र के लोगों ने गांव का विस्तार किया.

गौत्र और धार्मिक स्थल

गांव में सहारण, बैनीवाल, हुड्डा, नागल, बिजारणिया, ब्राह्मण, कुंडू, भादू, चूरनिया सहित 36 बिरादरी के लोग भाईचारे के साथ मिलजुल कर रहते हैं. नहराना गांव का देश सेवा में गौरवमयी इतिहास रहा है और कई तीर्थ और धार्मिक स्थल भी है. गांव में एक दादा पीर की समाधि है. जहां देश भर से गडरिया लुहार जाति के लोग पहुंचते हैं. जो एक ऐतिहासिक तीर्थ स्थल है. साथी गांव में प्राचीन हनुमान मंदिर, रामदेव जी का मंदिर, भोमिया जी का मंदिर और गौशाला भी है.

द्वितीय विश्व युद्ध में गांव के कई लोग शामिल

गांव के ज्यादातर लोग खेती बाड़ी और पशुपालन से जुड़े हुए हैं. देश सेवा के जज्बे वाले इस गांव में कई युवा आर्मी में भर्ती है. इतना ही नहीं बल्कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गांव के कई लोगों ने भाग लिया था. भारत की आजादी से पहले वर्ष 1939 से लेकर 1945 तक द्वितीय विश्व युद्ध में भी भारतीय सैनिकों में नेहराणा गांव के ठाकर पुत्र ख्यालीराम हुड्डा, हेतराम पुत्र बस्तीराम हुड्डा और रमेश कुमार पुत्र भाल सिंह हुड्डा शामिल थे. जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लड़े थे.

भाईचारे की मिसाल है दादा पीर की समाधि

गांव के सरपंच राजेश सहारण ने बताया कि गांव की गौशाला ग्रामीणों का एक बड़ा भाईचारे का प्रमाण है. यहां सर्व समाज के लोग मिलजुल कर गायों की सेवा करते हैं. किसी भी तरह के गांव हित के सार्वजनिक और सांझे कार्य में सर्व समाज के लोग एकत्रित होते हैं. गांव के बुजुर्ग मंगतूराम बिजारणिया और गौशाला प्रधान हनुमान शर्मा ने बताया कि गांव में दादा पीर की एक समाधि है और यहां पूरे देश भर से गडरिया लुहार जाति के लोग हर साल इकट्ठा होते हैं. इसी वजह से नहराना पूरे देश में प्रसिद्ध है. गांव के रामरतन सेठ द्वारा 82 कनाल भूमि गांव में मंदिर के लिए दान दी गई थी.

नहराना गांव की जनसंख्या, मतदाता, शिक्षा और कनेक्टिविटी

जनसंख्या : 3232 

मतदाता : 2166 

शिक्षा दर : 75% 

जिला मुख्यालय सिरसा से दूरी:  35 किलोमीटर

कनेक्टिविटी: सड़क के जरिए नाथूसरी चौपटा और यहां से जिला सिरसा तक 

नहराना गांव में फसलों का उत्पादन : गेहूं, सरसों, कपास, बाजरा, ग्वार इत्यादि अनेक कई फसलों की खेती की जाती है.