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भारत में पहली बार हुआ ड्रोन से ब्लड बैग की डिलीवरी का हुआ सफल परीक्षण

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भारत में पहली बार हुआ ड्रोन से ब्लड बैग की डिलीवरी का हुआ सफल परीक्षण

THE CHOPAL: आपको बता दे की ड्रोन से एक शहर से दूसरे शहर या एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक ब्लड, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स या अन्य कोई जरूरी मेडिकल सामान पहुंचाना अब काफी ज्यादा आसान भी होगा। बता दे की ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान से करीब 35 KM दूर सेक्टर-62 स्थित जेपी इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में रक्त और प्लाज्मा ड्रोन की मदद से सुरक्षित पहुंचाया भी गया। ICMR की देखरेख में देश में पहली बार यह सफल ट्रायल भी किया गया।

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ट्रायल -

भारतीय काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ओर से जिम्स में करीब 15 दिन से यह ट्रायल चल भी रहा है। आपको बता दे की JIIT के प्रोफेसर और स्टूडेंट्स की रिसर्च टीम एक स्थान से दूसरे इलाके तक ड्रोन के पहुंचने की निगरानी और संचालन भी कर रही है। रिसर्च के दौरान ये यह देखा गया कि जहां से इनको भेजा भी गया वहां लाल रक्त कोशिका, ताजा जमे हुए प्लाज्मा, प्लेटलेट्स की गुणवत्ता ठीक है या नहीं। इसके प्राथमिक रिजल्ट पाजिटिव भी आए हैं।

ड्रोन से भेजेंगे -

जिम्स के निदेशक ब्रिगेडियर डॉ. राकेश गुप्ता और रिसर्चर के अनुसार पहले फेज में थैलियां में रखे सभी रक्त उत्पाद की गुणवत्ता बेहतर भी रही। मानकों के मुताबिक अभी इसके कई सारे चरण में ट्रायल भी होंगे। रिसर्च सफल रहा तो ड्रोन के माध्यम अस्पतालों में रक्त, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स आदि पहुंचाए भी जा सकेंगे। इसके अलावा पैथोलॉजी में जरूरत के मुताबिक जांच के लिए भी रक्त के नमूने भेजे भी जा सकेंगे।

एम्बुलेंस

ट्रायल के दौरान जिम्स और लेडी हार्डिंग अस्पताल से सेक्टर-62 तक ड्रोन से 10 यूनिट रक्त, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स के सैंपल भेजे भी गए हैं। जिम्स से सेक्टर-62 तक की दूरी लगभग 35 KM की थी। इसी प्रकार लेडी हार्डिंग अस्पताल से भी ब्लड को जेपी इंस्टीट्यूट तक भेजा भी गया। पाया यह गया कि एम्बुलेंस से ब्लड को उसी जगह पहुंचने में लगभग सवा घंटे का समय भी लगा। वहीं, ड्रोन से ये दूरी महज 10 से 15 मिनट में पूरी हो गई।