The Chopal

Dry Fruit: देश में आलू प्याज की कीमत पर मिलगें आपको काजू बादाम, काजू शहर के नाम से पुकारते है लोग

Dry Fruit: ड्राई फ्रूट्स का सेवन हमारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है। ये पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और शरीर को ऊर्जा, विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करते हैं। । यही कारण है कि आज की खबर में हम आपको काजू शहर नामक एक स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आलू प्याज और काजू बादाम की कीमत बहुत कम है।

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Dry Fruit: देश में आलू प्याज की कीमत पर मिलगें आपको काजू बादाम, काजू शहर के नाम से पुकारते है लोग 

The Chopal : लोग ड्राई फ्रूट खाते हैं। रोजाना सीमित मात्रा में बादाम, अखरोट, काजू, किशमिश और अंजीर खाने से दिल की सेहत, मस्तिष्क की कार्यक्षमता और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। ठंड़ में ड्राई फ्रूट्स खाने वालों की संख्या में और भी वृद्धि होती है। लेकिन जो लोग हिम्मत करते हैं, वे कम मात्रा में खरीदकर अपनी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, लेकिन अधिकांश लोग कीमत सुनते ही खरीदने से बचते हैं। अक्सर ड्राई फ्रूट में काजू बहुत महंगा सौदा होता है (महंगा सौदा dry fruits में)। तुमने सही सुना है। काजू की मलाईदार बनावट और मीठा स्वाद सबसे लोकप्रिय सूखे मेवों में से एक है। इसमें मौजूद पोषक तत्व आपको स्वस्थ रखेंगे। काजू की कीमत हमेशा उच्च रहती है, जो 800 से 1000 रुपये प्रति किलोग्राम होती है। 

जब कोई कहे कि काजू (Cashew Nut) की कीमत आलू-प्याज से भी कम है तो शायद कोई विश्वास नहीं करे।  आपको बता दें कि झारखंड में जामताड़ा नामक एक जिला है, जो भारत की फ़िशिंग राजधानी भी कहलाता है और इस प्रसिद्ध मेवे को बहुत सस्ता बेचता है। 

काजू शहर कहते हैं

इस जामताड़ा शहर से महज चार किलोमीटर की दूरी पर 'नाला' नाम का एक गांव है, जिसे झारखंड का काजू शहर कहा जाता है। इस गांव में आप आसानी से 20-30 रुपये प्रति किलो की कीमत पर काजू प्राप्त कर सकते हैं, जो कि देश भर में किसी भी अन्य सब्जी के समान है।

यहाँ काजू इतनी महंगी क्यों हैं?

इस गांव में पचास एकड़ का एक क्षेत्र है जहां ग्रामीण काजू की खेती करते हैं, जो काजू इतनी सस्ती दर पर बेचने का पहला कारण है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि वन विभाग ने 2010 के आसपास नाला गांव की मिट्टी और जलवायु को काजू की खेती के लिए अनुकूल पाया, जिसके बाद सभी को काजू की खेती करने का विचार आया। इसके बाद काजू की खेती बड़े पैमाने पर की गई। जैसे ही पौधों में काजू के फल निकलते हैं, किसान उन्हें इकट्ठा करके सड़क किनारे औने-पौने दाम में बेच देते हैं। यह स्थान बहुत विकसित नहीं है, इसलिए ग्रामीण काजू इतना सस्ता बेचते हैं।