कुछ आम गलतियाँ से गेहूं के आटा बनेगा जहर, जरा रखें ध्यान
Health Tips : रोज़ाना इस्तेमाल होने वाला गेहूं का आटा, अगर गलत तरीके से संग्रह, प्रोसेसिंग या इस्तेमाल किया जाए, तो वह हमारे स्वास्थ्य के लिए धीरे-धीरे ज़हर बन सकता है। आइए जानते हैं वे आम गंभीर लेकिन नजरअंदाज की जाने वाली गलतियाँ, जो आटे को नुकसानदायक बना देती हैं

Wheat Flour Toxic: हर भारतीय रसोई में आटे की रोटी होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हर दिन खाने वाले हेल्दी आटा भी आपकी सेहत को खराब कर सकता है? हाँ, हम अक्सर कुछ आम गलती करते हैं जो गेहूं के आटे को जहरीला बना देती हैं। ये गलतियाँ छोटी लग सकती हैं, लेकिन उनके गंभीर परिणाम होते हैं। इनकी वजह से एलर्जी, पाचन समस्याएं और पेट की बीमारियां हो सकती हैं। चलिए कुछ गलतियों के बारे में जानते हैं जो आपके हेल्दी आटा को खराब कर सकते हैं।
पुराने गेहूं का उपयोग
बहुत से लोग एक बार में महीने या साल भर का गेहूं खरीदकर स्टोर करते हैं। फिर समय आने पर उसे पिसवाकर आटा बनाते हैं। लंबे समय तक रखे गए गेहूं में न तो फ्रेशनेस होते हैं, न ही पोषण होते हैं। साथ ही इसकी वजह से नमी आ सकती है, कीड़े लग सकते हैं या फफूंदी जम सकती है। ऐसे गेहूं का आटा विषैला हो जाता है। इसलिए गेहूं हमेशा ताजा और साफ होना चाहिए।
पिसे हुए आटे को महीनों तक सुरक्षित रखें
बहुत से लोग एक बार में भरपूर आटा पिसवाकर महीनों तक इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ऐसा करना पूरी तरह से गलत है। नमी खींचने से आटा जल्दी खराब हो सकता है। लंबे समय तक रखा गया आटा ऑक्सीडाइज हो जाता है, जिससे इसमें पोषण की कमी होती है और बैक्टीरिया फैलते हैं। इसलिए आटे को ताजा रखने के लिए 15-20 दिन में एक बार ताजा आटा पिसवाएं और उसे सूखी, ठंडी जगह पर एयरटाइट डिब्बे में रखें।
मिलावट आटा का उपयोग करना
उसमें मिलावट की अधिक संभावना होती है, लेकिन सस्ता आटा कई जगह मिलता है। कभी-कभी स्टार्च, मैदा या चॉक पाउडर भी मिलाया जाता है। इस मिलावट वाले आटे को खाने से पाचन क्षति होती है। इससे गैस, एसिडिटी और एलर्जी हो सकती हैं। इसलिए हमेशा भरोसेमंद दुकान से अच्छे ब्रांड का आटा खरीदें।
आटा एक प्लास्टिक डिब्बे में रखना
बहुत से घरों में आटा प्लास्टिक के डिब्बों में रखा जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। प्लास्टिक गर्मी और नमी से संपर्क में आने से आटे में मौजूद हानिकारक केमिकल बाहर निकल सकते हैं। इनसे शरीर में टॉक्सिन्स की मात्रा बढ़ सकती है। ताकि आटा शुद्ध रहे, उसे स्टील या काँच के डिब्बे में रखना बेहतर है।