मूली की 3 अच्छी किस्म, पैदावार देती है ज्यादा, देखें इन किस्मों की खासियत
Radish Farming :किसान आज के इस युग में खेती करने के लिए अनेक प्रकार की आधुनिक सुविधाओं का प्रयोग कर रहे हैं। इसी बीच परंपरागत खेती में अपनी रुचि कम कर नगदी फसल की ओर काफी बढ़ रहे हैं। ऐसे में हम किसानों को मूली की खेती के बारे में बता रहे हैं। जिसकी बाजार में मांग हर समय रहती है। इस वजह से बंपर पैदावार के साथ अच्छा मुनाफा लिया जा सकता है।
Radish Cultivation : मूली की बात की जाए तो यह सब्जी के साथ-साथ सलाद में भी काम आती है। इसलिए बाजार में इसकी मांग हर समय रहती है। वैसे तो आमतौर पर मूली की बिक्री सर्दियों में ज्यादा बढ़ जाती है। परंतु इसकी खेती देश में साल भर की जा सकती है। मूली एक ऐसी नदी फसल है जो कम खर्च बंपर पैदावार देखकर अच्छा मुनाफा देती है। मूली की जड़ों में पानी की मात्रा ज्यादा होने की वजह से यह बेहद स्वादिष्ट होती है। इसमें विटामिन सी पोटेशियम तथा फाइबर पाया जाता है इसलिए यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है।
कई तरह की किसमे पाई जाती है
मूली का प्रयोग सलाद सब्जी तथा अचार के रूप में किया जाता है। कई लोग तो इसके पत्तों को भी सब्जी बनाने के काम में लेते हैं। मूली की खेती काफी आसान है और कम समय में प्यार हो जाती है। कम समय में तैयार होने की वजह से मूली की खेती किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प है। इसकी बंपर पैदावार लेने के लिए किस्म का चुनाव करना बेहद जरूरी है।
पूसा रेशमी किस्म
यह वैरायटी मूली की एक प्रमुख वैरायटी है। यह उच्च गुणवत्ता तथा उत्पादन के लिए मानी जाती है। इसकी जड़ों की लंबाई 30 से 35 सेंटीमीटर लंबी होती है। वहीं इसका स्वाद तीखा होता है। यह किम 55 से 60 दिन में पक कर 315 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार दे सकती है।
रैपिड रेड व्हाइट टिप्ड
यह मूल्य स्वाद में सरपरी होती है। यह वैरायटी अधिक उत्पादन देने वाली वैरायटी में से एक है। 25 से 30 दिन में तैयार होकर 250 क्विंटल तक की पैदावार दे सकती है। इसकी जड़ छोटी और चमकदार लाल रंग की होती है। इसके अंदर का गुदा सफेद होता है।
पंजाब पसंद मूली
पंजाब पसंद मूली 45 दिन की अवधि में पक कर तैयार होने वाली वैरायटी है। इस किस्म की खास बात यह है कि इसकी खेती साल भर की जा सकती है। इसकी जड़े लंबी तथा सफेद रंग की होती है। इसकी जड़ों में बोल नहीं होते। यह मुख्य सीजन में ऑस्टिन 215 से 235 क्विंटल पड़ती हेक्टेयर पैदावार देने में सक्षम है। वही ऑफ सीजन में डेढ़ सौ क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक औसतन पैदावार दे सकती है। इस किस्म की बुवाई बे मौसम में की जा सकती है।