इस कारण के चलते देश भर में नरमा-कपास के भाव में कमजोरी, जानें दामों पर एक्सपर्ट्स की किसानों को सलाह

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Cotton News: बीते कुछ समय से कपास की मांग में अच्छी डिमांड के चलते इसके दामों में अच्छा उछाल देखा जा रहा है। भारत में इस खरीफ सीजन में कई राज्यों में सही मानसून के चलते अच्छा उत्पादन हासिल हुआ है। लेकिन किसानों ने कपास की उपज को बाजार में उतारने से मना भी कर दिया है। इसकी वजह, कपास के बाजार में गिरावट का रुख देखा जा रहा है, जिससे चलते अब व्यापारियों को भी कपास के निर्यात (Cotton Export) में भी समय अधिक लग रहा है। बाजार एक्सपर्ट्स की मानें तो किसानों को उम्मीद है कि पिछले सीजन की तरह इस बार भी कपास के भाव जरूर बढ़ जाएंगे, जिसके बाद वो अपनी उपज को लेकर बाजार में जाएगे।  बाजार विशेषज्ञों की मानें को कपास की सप्लाई को सीमित करने पर इसके स्थानीय भाव (Cotton Price)  पर भी असर जरूर पड़ता है।

बीते साल हुई थी रिकॉर्ड कमाई

कई रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले सीजन भी बाजार भाव में गिरावट के चलते कई किसानों ने कपास की फसल को बाजार में देरी से ही उतारा। इस तरह सही समय पर कपास बेचकर किसानों को रिकॉर्ड भुगतान भी मिला था, लेकिन एक्सपर्ट्स की मानें तो नई फसल से किसानों को उतने अच्छे भाव मिलना अब मुश्किल है, क्योंकि इस साल उत्पादन भी अधिक हुआ है, जिससे वैश्विक बाजार में भी कपास की कीमतों में कमी देखी गई है।

कपास के भाव में 40% तक गिरावट

इस साल जून के महीने में कपास का बाजार भाव अपने उच्चतम स्तर पर भी रहा।  तब उत्पादन में कमी के कारण वैश्विक कीमतें भी ज्यादा थीं, जिससे कपास की बिक्री 52,410 रुपये प्रति 170 किलो तक हुई, लेकिन इन दिनों कपास की कीमतों में 40 % तक गिरावट देखी जा रही है। कपास के किसानों ने भी इस मामले पर अपनी राय दी है। किसान का कहना है कि पिछले साल भी कपास को 8,000 रुपये प्रति 100 किलोग्राम के भाव पर बेचना पड़ा, लेकिन बाद में कीमतें 13,000 रुपये तक बढ़ गई थी, इसलिए इस साल हम वही गलती बिल्कुल नहीं दोहराना चाहते। यही वजह है कि इस बार हम कपास को 10,000 रुपये के भाव से नीचे नहीं बेच पाएंगे। बता दें कि बांग्लादेश, वियतनाम और चीन को भारतीय कपास के प्रमुख खरीददारों को तौर पर भी जानते हैं।

एक्सपर्ट्स की सलाह 

कपास के कारोबार में आई मंदी को लेकर एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अब किसानों ने कपास की तुड़ाई के बाद उचित भंडारण की व्यवस्था भी की है, जिससे सही समय पर कपास को बेचकर अच्छा पैसा भी कमा सकें। वहीं व्यापारियों का मानना है कि ज्यादा उत्पादन के बावजूद बाजारों में कपास की आपूर्ति में एक-तिहाई तक कमी देखी गई है। बता दें कि भारत ने 1 अक्टूबर से चालू सीजन 2022-23 के तहत 34.4 मिलियन गांठ का उत्पादन भी किया, जो पहले के मुकाबले 12 प्रतिशत ज्यादा है।

एक्सपर्ट्स की मानें तो अभी तक भारतीय व्यापारियों ने कपास की 70,000 गांठ तक के निर्यात का कांट्रेक्ट ही किया है, जो पिछले साल के मुकाबले काफी कम भी है। पिछले साल इसी अवधि के दौरान भारत से कपास की 5 लाख खेप का कांट्रेक्ट भी हुआ था, लेकिन इस साल कीमतों में गिरवाट के कारण निर्यात में बढोत्तरी भी नहीं हो रही। 

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