Wheat News: 2022 में गेहूं के थोक भावों में 22 प्रतिशत तक उछाल, अब इस कारण भाव गिरने के आसार
The Chopal, New Dehli: वर्ष 2022 में गेहूँ के थोक भावों में अधिक उछाल देखने को मिल रहा है। और ताजा आँकड़ों के मुताबिक देश में गेहूं का औसत थोक मूल्य नवंबर में 22 % बढ़कर 2,721 रुपये प्रति तक क्विंटल हो गया. बता दे कि जनवरी में यह 2,228 रुपये प्रति क्विंटल तक था. बता दे कि सरकारी आंकड़ों से यह सारी जानकारी मिली है. जानकारों के मुताबिक कीमतों में बढ़त रूस और यूक्रेन संकट के साथ साथ इस साल समय से पहली गर्मी की जल्द शुरुआत से गेहूँ की फसल पर पड़ने वाला असर के कारण देखी जा रही है. वहीं कीमतों में अगले साल 2023 में नरमी की संभावना बन रही है क्योंकि इस साल गेहूं की बुवाई पिछले साल के मुकाबले कुछ बढ़ी है और किसानों ने ऐसे बीजों का ज्यादा इस्तेमाल किया है जिससे मिलने वाली फसल ज्यादा तापमान में भी आराम से रह सकती हैं.
आंकड़ों के मुताबिक, गेहूं का अखिल भारतीय मासिक औसत थोक मूल्य जनवरी में 2,228 रुपये प्रति क्विंटल, फरवरी में 2,230 रुपये, मार्च में 2,339 रुपये, अप्रैल में 2,384 रुपये, मई में 2,352 रुपये तक , जून में 2,316 रुपये, जुलाई में 2,409 रुपये प्रति क्विंटल तक , अगस्त में 2,486 रुपये तक , सितंबर में 2,516 रुपये, अक्टूबर में 2,571 रुपये और नवंबर में 2,721 रुपये प्रति क्विंटल तक था. अक्टूबर और नवंबर की कीमतें अभी अस्थायी हैं. केंद्र सरकार ने कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध भी लगा दिया था.
राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में देश की केंद्र सरकार में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि गेहूं सहित कृषि उपज की कीमतें बाजार में मांग और आपूर्ति की स्थिति, अंतरराष्ट्रीय कीमतों आदि से तय होती हैं. मंत्री ने कहा, गेहूं का उत्पादन वर्ष 2020-21 में 10 करोड़ 95.9 लाख टन से घटकर 2021-22 में 10 करोड़ 68.4 लाख टन तक रह गया है और वर्ष 2021-22 में गेहूं की अखिल भारतीय उपज 3,521 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से घटकर वर्ष 2021-22 में 3,507 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक रह गई है. इस गिरावट का कारण मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में मार्च और अप्रैल, 2022 के दौरान लू का चलना भी था. उन्होंने कहा कि वर्ष 2022-23 के रबी बाजार सत्र (अप्रैल-जून) में गेहूं की खरीद वर्ष 2021-22 के 433.44 लाख टन के मुकाबले घटकर 187.92 लाख टन तक रह गई, क्योंकि इस अवधि के दौरान गेहूं का बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से कहीं ज्यादा था.
कृषि मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक , मौजूदा रबी (सर्दियों के सीजन) सत्र में गेहूं की बुवाई पिछले साल के मुकाबले बढ़कर 2 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश में रबी की बुवाई भी बढ़ी है. रबी की मुख्य फसल गेहूं की बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है। इसकी कटाई मार्च-अप्रैल में किसानों द्वारा होती है।
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