Commodity MarKet News: NCDEX पर कपास 2 साल के निचले स्तरों तक गिरा, इन कारणों से दबाव में कॉटन

   Follow Us On   follow Us on
Cotton news Mandi bhav

The Chopal, नई दिल्ली: जून में NCDEX पर कपास के दामों में नीचे की ओर की गति देखी जा रही है। कपास की कीमतें अक्टूबर 2021 के बाद के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। आपने बताया है कि फरवरी में कपास की कीमत 1,608.50 रुपये प्रति क्विंटल के नीचे गिरी थी और उसने 4% की नकारात्मक रिटर्न दिया था। मार्च, अप्रैल और मई में भी कपास की कीमतें निचले स्तर पर रहीं। और अब जून में एनसीडीईएक्स पर कपास की कीमत 1480 रुपये के नीचे पहुंच गई है। यह तरंगवाली वृद्धि और नीचे गिरावट कपास के बाजार में मूल्य वोलेटिलिटी को दर्शाती है। बाजार की स्थिति के आधार पर, आपको यहां उचित निवेश या निर्णय लेने से पहले पेशेवर वित्तीय सलाह लेनी चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन में दबाव 

कॉटन के अंतरराष्ट्रीय बाजार में दबाव दिखा है और कॉटन की कीमतों में गिरावट आई है। कॉटन की कीमतें 4 महीनों की ऊंचाई से नीचे आई हैं और 86 डॉलर प्रति पाउंड के नीचे फिसल गई हैं, जबकि 19 मई को कीमतें 87.98 डॉलर तक चढ़ गई थीं। यह कॉटन बाजार में मूल्य वोलेटिलिटी और गतिविधि का प्रदर्शन करता है। बाजार में कई कारकों के प्रभाव से कॉटन की कीमतें बदल सकती हैं, जैसे कि मौसम, उत्पादन, आपूर्ति और मांग, और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीति। कॉटन के बाजार में निवेश करने से पहले, व्यापारिक और आर्थिक परिस्थितियों का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण होता है और वित्तीय सलाह की आवश्यकता होती है।

यह भी पढ़ें:  Rajasthan: राजस्थान सरकार ने 14 लाख उपभोक्ताओं के खाते में भेजी गैस सब्सिडी, मुफ़्त मोबाइल योजना पर भी गहलोत का बड़ा ब्यान, जानें 

गिरावट इन कारणों के चलते 

कॉटन की कीमतों में दबाव के कई कारण हो सकते हैं जैसे सप्लाई और मांग में बदलाव, किसानों के होल्डिंग स्टॉक, उत्पादन के फ्लक्टुएशन, वित्तीय बाजार की स्थिति आदि। आपने सही बताया है कि सप्लाई के बढ़ने से कॉटन की कीमतों में दबाव आया है। जब कॉटन की सप्लाई बढ़ती है, तो बाजार में अधिक उत्पाद उपलब्ध होता है, जिससे कीमतों में गिरावट आ सकती है।

किसानों के होल्डिंग स्टॉक को बेचने से भी कॉटन की कीमतों पर प्रभाव पड़ सकता है। अगर किसान अधिक कॉटन स्टॉक बेचते हैं, तो यह बाजार में अधिक आपूर्ति का कारण बन सकता है, जिससे कीमतों में दबाव आ सकता है।

मांग में कमी भी कॉटन की कीमतों पर दबाव डाल सकती है। यदि बाजार में कॉटन की मांग कम होती है, तो कीमतों में गिरावट आ सकती है। इसके पीछे के कारण शामिल हो सकते हैं जैसे कि बदलते फैशन और प्राथमिकताएं, वाणिज्यिक और औद्योगिक गतिविधियां, और आर्थिक संकट आदि।

कॉटन के उत्पादन में गिरावट की संभावना है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप वास्तविक उत्पादन में कितनी गिरावट होगी यह अभी तक निश्चित नहीं है। यह केवल संभावना है और उत्पादन के सम्बंध में विभिन्न देशों के मौसमी परिस्थितियों, कृषि नीतियों और अन्य कारकों पर निर्भर करेगा।

यह भी पढ़ें:अफीम की खेती करने के लिए कौन देता है लाइसेन्स? इस तरह करें शुरुआत 

इस बार घटेगा कॉटन का उत्पादन?

चीन और तुर्की में सूखे के हालात बने हुए हैं, जो कॉटन के उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, अमेरिका में बुआई में भी गिरावट हुई है, जो उत्पादन को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, उत्पादन में गिरावट के साथ-साथ कॉटन की दुनियाभर में मांग भी हो सकती है, जो कीमतों पर दबाव बना सकती है। इसलिए, इस विषय में सटीक निष्कर्ष निकालने के लिए विभिन्न कारकों को माध्यम से मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण होगा।