Cotton Prices Fell: अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1 साल में 11 फीसदी गिरे कॉटन के दाम, बुवाई में बढ़ोतरी, तेजी की संभावना कम

Cotton Prices: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन के दाम लगातार गिर रहे हैं. इसके अलावा भारत में 20 जून तक कॉटन की बुवाई में पिछले साल के मुकाबले 2% बढ़ोतरी हुई है. सीसीआई के पास ज्यादा स्टॉक बचा हुआ है. फिलहाल कॉटन के भाव में तेजी आने की संभावना नजर नहीं आ रही.
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Cotton Prices Fell: अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1 साल में 11 फीसदी गिरे कॉटन के दाम, बुवाई में बढ़ोतरी, तेजी की संभावना कम

Cotton: भारत के अनेक राज्यों में किसान कपास (Cotton) की बुवाई करते हैं. परंतु पिछले कुछ समय से कॉटन की कीमतों में उतार चढ़ाव का सिलसिला बना हुआ है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन के दाम कम हो रहें हैं. भारत में पिछले सीजन के मुकाबले इस बार कॉटन की बुवाई 2% ज्यादा हुई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन का भाव चार महीनों में निचले स्तर पर है. सप्लाई में हुई बढ़ोतरी और मांग में कमी के चलते कॉटन के रेट लगातार गिर रहे हैं. भारत के अलावा अन्य कई देशों में भी कपास का उत्पादन होता है. साल 2024-25 सीजन के दौरान ब्राजील में कपास का बंपर उत्पादन हुआ है. इतना ही नहीं बल्कि ब्राजील के एक्सपोर्ट में भी 11% की गिरावट आई. तो वहीं चीन में कॉटन की मांग कम हो रही है. जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन की रेट पर दबाव है.

1 साल में कॉटन के रेट 11 फीसदी कम हुए

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन भाव एक सप्ताह के दौरान चार फ़ीसदी कमजोर हुआ है. अगर कपास की 30 दिनों की चाल के आंकड़े देखे तो इसमें 6 फीसदी गिरावट आई है. वहीं 1 साल में कॉटन के रेट 11 फीसदी कम हुए हैं. कॉटन में गिरावट का सिलसिला जारी रहने के बावजूद भी इस साल बुवाई 2% ज्यादा हुई है. 20 जून तक 31.25 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है. उत्तर भारत की कृषि उपज मंडियो में बीटी कॉटन न्यूनतम 7500 से लेकर उच्चतम 8000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बिक रहा है. तो वहीं लंबे रेशे वाला देसी कॉटन ( कपास) न्यूनतम 6800 से लेकर ₹7000 प्रति क्विंटल के बीच बिक रही है.

110 में से 45 मिलें बंद

देश में कॉटन की मांग पिछले साल से लगातार कम हो रही है. अभी केस में में स्पिनिंग मिल्स भी 70 से लेकर 80% की क्षमता पर कार्य कर रही है. आंध्र प्रदेश में कॉटन की खपत कम होने के कारण 110 में से 45 मिलें बंद हो गई है. देश में कॉटन की बुवाई बढ़ाने का कारण एमएसपी बढ़ने को भी माना जा सकता है. अगर 10 अगस्त तक कॉटन की बुवाई होती है तो पिछले साल के मुकाबले तीन से चार प्रतिशत अधिक हो सकती है. अभी के समय सीसीआई के पास 70 लाख बेल्स से ज्यादा का स्टॉक पड़ा हुआ है. आने वाली 30 सितंबर तक सीसीआई के पास 20 लाख के आसपास बेल्स स्टॉक बच जाएगी. ज्यादा स्टॉक का होना सरकार के लिए चिंता की बात है. पिछले 15 सालों में इस बार सबसे ज्यादा क्लोजिंग स्टॉक रहने का अनुमान है. देश में कॉटन का स्टॉक ज्यादा होने के कारण तेजी आने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही.

चावल की बुवाई में 5% का इजाफा

इतना ही नहीं बल्कि कमोडिटी मार्केट से एक और जानकारी मिल रही है. शुरुआत से ही मौसम विभाग मानसून की अच्छी बारिश होने की आशंका जाता रहा था. जिसका फायदा अब किसानों को मिलने लगा है. इस बार चावल की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है. 20 जून तक 13.5 लाख हेक्टेयर में चावल की बिजाई हो चुकी है. जो पिछले साल 2024 के मुकाबले देखे तो 5% का बुवाई में इजाफा हुआ है. राजस्थान, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में कॉटन और चावल की खेती को मानसून फायदा मिल रहा है.