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गेहूं की इस किस्म की करें खेती, मिलेगा बेहतर उत्पादन, देखें कुछ और किस्मों की डिटेल

Wheat Production : अभी रबी सीजन में गेहूं की बुआई का समय आ गया है। किसानों ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। गेहूं और धान यहां की मुख्य फसल हैं। अगेती गेहूं की खेती 25 नवंबर से शुरू होनी चाहिए। जिसके बारे में कृषि विज्ञान केंद्र गंधार के फसल विशेषज्ञ डॉक्टर मनोज कुमार ने जानकारी दी है।
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गेहूं की इस किस्म की करें खेती, मिलेगा बेहतर उत्पादन, देखें कुछ और किस्मों की डिटेल

Wheat Farming Scientific Method : बिहार में धान की खेती का अंतिम चरण चल रहा है। अभी रबी सीजन में गेहूं की बुआई का समय आ गया है। किसानों ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। गेहूं और धान यहां की मुख्य फसल हैं। अगेती गेहूं की खेती 25 नवंबर से शुरू होनी चाहिए। इतना ही नहीं, बुआई के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातों पर भी ध्यान देना जरूरी होता है। जिसके बारे में कृषि विज्ञान केंद्र गंधार के फसल विशेषज्ञ डॉक्टर मनोज कुमार ने जानकारी दी है।

उनका कहना है कि बिहार में किसान गेहूं की खेती चार परिस्थितियों में करते हैं। पहला असिंचित स्थिति, जो जहानाबाद जिले में अपेक्षाकृत कम है। इसके बाद अगात, मध्यात और पिछात सिंचित अवस्था में खेती की जाती है, जिसमें कई प्रजातियां हैं। जब बात सिंचाई अवस्था की करें, तो गेहूं की HD 2967 सबसे अच्छी किस्म है। इसका उत्पादन अविश्वसनीय है। इसके अलावा, सबौर श्रेष्ठ और सबौर निर्जल दोनों अच्छे गेहूं की प्रजातियां हैं, दोनों प्रजातियाँ बहुत अच्छा उत्पादन देती हैं। 25 नवंबर से 5 दिसंबर तक अगेती गेहूं की बुआई करनी चाहिए।

गेहूं की उत्तम प्रजातियां

कृषि विशेषज्ञ का कहना है कि 6 दिसंबर से 20 दिसंबर तक मध्यात प्रजातियों की बुआई होती है। साथ ही, DBW 187, WR 544 और K 307 जैसे कई उत्तम प्रजातियां बाजार में उपलब्ध हैं। वहीं, गेहूं की अंतिम किस्म की बुआई 21 दिसंबर से 10 जनवरी तक करनी चाहिए। इसके लिए भी कई प्रजातियां उपलब्ध हैं। जिसमें DBW 14 और HW 2045 प्रजातियां शामिल है। जिसकी बुआई करने से किसानों को अधिक उत्पादन मिलेगा।

बीजों का उपचार करना, बेहद जरूरी

कृषि विशेषज्ञ के मुताबिक किसान सिर्फ बीज दर के हिसाब से बुआई करें। अगर 5 दिसंबर तक बीज दे रहे हैं तो 50 किलो बीज प्रति एकड़ दें। 5 दिसंबर के बाद बुआई करने पर 60 किलो प्रति एकड़ और पिछात बुआई पर 70 किलो प्रति एकड़ बीज देना चाहिए।

अच्छी उपज के लिए बीजों का उपचार किया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। 50 प्रतिशत W कार्बेंडाजिम का उपयोग करें। 2 ग्राम बीज प्रति किलो का उपयोग करें। बीज बुआई से आधा घंटा पहले बीज को उपचार देना चाहिए। यह पक्का फ्लोर पर किया जाना चाहिए। उपचारित बीज को धूप में ज्यादा देर तक नहीं रखना चाहिए।

बुआई करने से बढ़ता है, फसल का उत्पादन

एक्सपर्ट ने बताया कि गेहूं की बुवाई के लिए जीरो टिलेज मशीन, हैप्पी सीडर या फिर मिनिमम टिलेज का उपयोग करना बेहतर है। यह विशेष बुआई करने से पहले आप कृषि विज्ञान केंद्र में सीधे एक यांत्रिकी विशेषज्ञ से सलाह लें। बुआई करने से फसल का उत्पादन बढ़ता है। 25 प्रतिशत से 55% तक उपज बढ़ने की संभावनाएं रहती हैं। किसानों अभी भी गेहूं की फसल में DAP और पोटास का उपयोग करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। 150, 60 और 40 अनुशंसित मात्रा हैं। प्रति हेक्टेयर 150 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस और 40 किलो पोटास देना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण के उपाय

एक्सपर्ट कहते हैं कि खरपतवार भी किसानों को बहुत परेशान करते हैं। इससे खेती में 5 से 95 प्रतिशत तक का नुकसान होता है। इससे बचने के लिए, गेहूं बुआई के तुरंत बाद या फिर दो दिन के अंदर 60 एमएल प्रति टंकी में Pendimethalin 30% EC मिलाकर स्प्रे करें. इससे खरपतवार पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। गेहूं इससे प्रभावित नहीं होगा।

सिंचाई करने के तरीके

एक्सपर्टस् का कहना है कि जीरो टिलेज या हैप्पी सीडर से गेहूं की बुआई करने पर खेत की जुताई नहीं होती। इसलिए 12 वें या 13 वें दिन हल्की सिंचाई करनी चाहिए। इसके बाद 45 किलो यूरिया और 10 किलो सल्फर प्रति एकड़ देने से उत्पादन बढ़ेगा। पहली सिंचाई 21 दिन बाद, दूसरी सिंचाई 45 से 50 दिन, तीसरी सिंचाई 55 से 60 दिन और चौथी सिंचाई 75 से 80 दिन में करनी चाहिए।

आवश्यकता के अनुसार करें, अंतिम सिंचाई

यदि आवश्यकता हो तो अंतिम सिंचाई 110 दिन बाद करनी चाहिए। यानी की आप सिंचाई 15 से 20 तक ही कर सकते हैं। टर्मिनल हिट चुकी गर्मी से मर जाता है। गेहूं इससे सूखने लगता है। 25 फरवरी तक, 10 ग्राम पोटेशियम नाइट्रेट को एक लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करना अनिवार्य है। इससे गेहूं में दाना चटकने की संभावना कम होती है।