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सरकार द्वारा जारी करने के बाद गेहूं की नई किस्म एचआई 1655 की मांग बढ़ी

आईसीएमआर इंदौर द्वारा गेहूं की दो नई किस्म को विकसित किया गया है. इसमें एचआई 1655 के लॉन्च होते ही मांग बढ़ गई है.
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सरकार द्वारा जारी करने के बाद गेहूं की नई किस्म एचआई 1655 की मांग बढ़ी

HI 1665 Wheat Variety: सरकार द्वारा गेहूं का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयास किया जा रहे हैं. क्योंकि पिछले दो सालों में गेहूं का गिरता उत्पादन चिंता का विषय बन गया है. पिछले साल बेमौसम बारिश और गर्मी का सीधा असर गेहूं की फसल पर पड़ा. जिसके चलते उत्पादन में गिरावट आई. वैज्ञानिक उत्पादन बढ़ाने के लिए गेहूं की नई प्रजातियों की खोज कर रहे हैं जो जलवायु परिवर्तन के अनुकूल हो. कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली में फसलों की 109 किस्मों को जारी किया था. इस कार्यक्रम में गेहूं की नई किस्म HI 1665 को भी लॉन्च किया गया था. इसके अलावा एचआई 8840 गेहूं की एक और किस्मको भी जारी किया था. गेहूं की यह दोनों किस्म आईसीएआर इंदौर द्वारा विकसित की गई है.

पांच राज्यों के लिए अनुशंसित

प्रधानमंत्री द्वारा इन दोनों ही किस्मों को लॉन्च करने के बाद मांग में उछाल आ गया. गेहूं की एचआई 1655 किस्म को आईसीएआर इंदौर द्वारा शरबती गेहूं की एचआई 1531 (हर्षिता) और एचआई 1544 (पूर्णा) को क्रॉस करके विकसित किया है. गेहूं की ये किस्म बिहार, गुजरात, और उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान एवं मध्य प्रदेश के किसानों के लिए अनुशंसित की गई है. किसानों द्वारा इसकी समय पर बुवाई और सिंचाई करने पर ज्यादा उत्पादन लिया जा सकता है. एचआई 1655 ज्यादा उपज देने वाली शरबती गेहूं की एक किस्म है.

अनुकूल मिट्टी देती है ज्यादा पैदावार

कई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एचआई गेहूं की किस्म की खेती करने पर किसान को प्रति हेक्टेयर लगभग 35 से 40 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है. परंतु अगर गेहूं की इस किस्म को उसके लिए अनुकूल मिट्टी और सही वातावरण मिल जाए तो फिर उत्पादन और ज्यादा बढ़ जाता है. जिससे प्रति हेक्टेयर 10 क्विंटल तक की पैदावार बढ़ जाती है. इस किस्म में दो सिंचाई करने के बाद भी किसान को अच्छी पैदावार मिल जाती है. यह 110 से 115 दिन में पककर तैयार हो जाती है. और पौधे की ऊंचाई 85 से 90 सेंटीमीटर तक होती है.