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Musatrd Farming: सरसों की फसल के लिए ये दवाई है रामबाण, कीट नहीं फटकेंगे आसपास

Mustard Farming Tips : मौसम में बदलाव के चलते सरसों की फसलों में कीट और रोग लगने के आसार बढ़ गए हैं। तापमान में कमी, कोहरा, आसमान में बादल या धुंध छाए रहने और बारिश से सरसों में कीट व बीमारियां अचानक बढ़ने लगती हैं। इससे उत्पादन में कमी आती है। इनसे बचने के लिए किसान भाइयों को कुछ उपाय करने बहुत जरूरी हैं।

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Musatrd Farming: सरसों की फसल के लिए ये दवाई है रामबाण, कीट नहीं फटकेंगे आसपास

Sarson Ki Fasal : सरसों रबी की एक प्रमुख तिलहन फसल है। इस फसल का भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान है। वहीं, इन दिनों देश के कई राज्यों में सरसों की फसल के ऊपर कई रोग का प्रकोप और असर देखने को मिल रहा है। दरअसल, कड़ाके की ठंड और कोहरे के कारण सरसों की फसल पर कीट का भयंकर प्रकोप बढ़ता जा रहा है। इससे कहीं ना कहीं सरसों की फसल की पैदावार को लेकर किसान चिंतित नजर आ रहे हैं क्योंकि इन कीटों से उपज में काफी कमी आ सकती है और किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है। ऐसे में कृषि एक्सपर्ट्स ने सरसों की फसल को कीट से बचाने के लिए वैज्ञानिक तरीके बताए हैं। 

लाही कीट

सरसों की फसल के लिए लाही कीट (Aphid) एक गंभीर खतरा है। ये छोटे भूरे या काले रंग के कीट पौधों का रस चूसकर उनके विकास को रोक देते हैं। जब लाही कीट पौधों का रस चूसते हैं, तो पौधों की पत्तियां धीरे-धीरे मुरझाने लगती हैं और सिकुड़ जाती हैं। इससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और पौधे कमजोर हो जाते हैं। इससे फलियों में दाने नहीं बन पाते, जिससे फसल का उत्पादन भारी मात्रा में कम हो जाता है।

फसलों को लाही कीट से बचाने के लिए 5-6 पीली स्टिकी ट्रैप प्रति एकड़ खेत में लगाना चाहिए। ये ट्रैप कीटों को आकर्षित करके फंसा लेते हैं, जिससे उनकी संख्या में कमी आती है। इसके अलावा खेत में खरपतवार को समय-समय पर हटाएं, ताकि लाही कीट को शरण न मिल सके और इनका प्रकोप कम हो। साथ ही जब सरसों की फसल 40-45 दिन की हो और लाही कीटों का प्रकोप दिखाई दे तो, क्लोरोपायरीफॉस 20% EC 200 मिलीलीटर दवा को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे के माध्यम से छिड़काव करें। इससे लाही कीट और अन्य कीटों को नष्ट किया जा सकता है।

आरा मक्खी कीट

सरसों की फसल में हानि पहुंचाने वाली आरा मक्खी कीट को इंग्लिश में सॉ फ्लाई कहा जाता है। इस कीट के लार्वा काले और भूरे रंग के होते हैं, जो पत्तियों के किनारों या पत्तियों के बीच में रहते हैं। ये सरसों की पत्तियों को टेढ़े-मेढ़े तरीके से खाते हैं और उसमें छेद कर देते हैं। आरा मक्खी कीट पूरे पौधे की पत्तियों को खाकर खत्म कर देती है और पौधा पत्ता विहीन हो जाता है, जिससे उत्पादन पर काफी असर पड़ता है।

आरा मक्खी कीट से नियंत्रण के लिए जब पौधा थोड़ा बड़ा हो रहा हो उस अवस्था में सिंचाई करना बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि अधिकांश लार्वा डूबने के कारण मर जाते हैं। साथ ही सुबह और शाम को आरा मक्खी के ग्रबों को एकत्र करना और नष्ट करना चाहिए। इसके अलावा करेले के बीज के तेल के इमल्शन का एंटीफिडेंट के रूप में उपयोग करना चाहिए। इस कीट का प्रकोप होने पर फसल पर मैलाथियान 50 ईसी @ 400 मिली/एकड़ या क्विनालफॉस 25 ईसी @ 250 मिली दवा को 200 से 250 लीटर पानी में प्रति एकड़ हिसाब छिड़काव से करना चाहिए। इस तरह से आरा मक्खी के प्रकोप को समाप्त किया जा सकता है।