सरसों की खेती से मिलेगा शानदार उत्पादन, इन पांच किस्मों से होगा तगड़ी कमाई
Mustard Cultivation: डॉ. एनसी त्रिपाठी, कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के कृषि एक्सपर्ट, ने बताया कि अगर आप सरसों की अगेती खेती करना चाहते हैं, तो अक्टूबर का महीना सबसे अच्छा है। अगेती बुवाई से सरसों की कई किस्में अधिक उत्पादन और अधिक तेल दे सकती हैं।

The Chopal, Mustard Cultivation: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (RACAAR) ने सरसों की RLC-1 किस्म विकसित की है। इस किस्म से 25 से 30 क्विंटल उत्पादन हो सकता है। 120 से 125 दिन में सरसों की यह किस्म पककर तैयार हो जाती है। इसमें 42 से 45 प्रतिशत तेल है। यह प्रजाति रोग प्रतिरोधी है।
PLL 501 सरसों की किस्म अधिक उत्पादन और रोग प्रतिरोधी है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने इस किस्म को विकसित किया है। 120 से 125 दिन में सरसों की यह किस्म पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से 25 से 30 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन हो सकता है। इस किस्म में 42 से 45 प्रतिशत तेल होता है।
सरसों की पूसा अग्रणी किस्म की पैदावार अच्छी है और रोग प्रतिरोधक है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूसा संस्थान ने इस किस्म को विकसित किया है। अक्टूबर से नवंबर तक यह बोया जा सकता है। 120 से 125 दिन में सरसों की यह किस्म पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से 22 से 25 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन हो सकता है। इसमें 40 से 42 प्रतिशत तेल होता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूसा संस्थान ने बोल्ड सरसों की पूसा किस्म विकसित की है। 20 से 25 क्विंटल प्रति एकड़ यह किस्म देती है। यह किस्म कम लागत में तैयार होती है, जो इसकी खास बात है। इस किस्म में 40 से 42 प्रतिशत तेल होता है। जलवायु परिवर्तन की भी यह किस्म सहनशील है। 120 से 130 दिन में सरसों की यह किस्म पककर तैयार हो जाती है।
पूसा ज्वालामुखी सरस एक अधिक उत्पादक किस्म है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूसा संस्थान ने इस किस्म को विकसित किया है। रोग प्रतिरोधी प्रजाति है। 120 से 130 दिनों में यह किस्म तैयार हो जाती है। इस किस्म में 40 से 45 प्रतिशत तेल होता है। ज्वालामुखी सरसों से प्रति एकड़ 25 से 30 क्विंटल उत्पादन मिलता है। किसान इस किस्म को अक्टूबर से नवंबर तक लगा सकते हैं।