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Palwal: मंडी में MSP से अधिक रेट पर बिक रही फसल, जानिए क्या रहे भाव

Cottan Bhav :इन दिनों मंडियो में किसानो को कपास के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक मिल रहे हैं। इस बार नई कपास की खरीद शुरू होते ही माल न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक भाव पर बिक रहा है। इससे किसान खुश नजर आ रहें है। भाव अधिक मिलने की मुख्य वजह रकबा कम होना और बारिश की वजह से जल भराव होने से उत्पादन कम होना है।

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Palwal: मंडी में MSP से अधिक रेट पर बिक रही फसल, जानिए क्या रहे भाव

Cotton Rate : इन दोनों माड़ियों में नई कपास की आवक शुरू हो गई है। इस बीच पलवल की होडल मंडी में कपास न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक दामों में बिक रही है। इसकी मुख्य वजह कपास का रकबा घटना और बारिश से जल भराव होने के कारण उत्पादन कम होना है। कपास के अच्छे भाव जल भराव से फसल में हुए नुकसान से किसानों को राहत दिला रहे हैं। इन दोनों किसान क्षेत्र की होडल मंडी में नई कपास लेकर पहुंच रहे हैं।

मौसम के वजह से गुणवत्ता पर पड़ा गहरा असर

मौसम की मार के कारण कपास की क्वालिटी अपेक्षाकृत अच्छी नहीं है। हालांकि इसके बावजूद भी किसानों को अच्छे भाव मिल रहे हैं। मंडी में अब तक जितनी कपास पहुंची है उसकी खरीद प्राइवेट हुई है। होडल मंडी में सितंबर 2023 के शुरुआती दिनों में कपास का भाव किसानों को 5200 रूपए से लेकर 6000 रूपए प्रति क्विंटल मिल रहे थे। बाद में थोड़ा उछाल आया था। नवंबर में किसान धान की कटाई और गेहूं की बिजाई में व्यस्त हो गए थे। जिससे बहुत कम किसान मंडी में कपास लेकर आते थे। इलाके में भारी बारिश के चलते फसल में काफी नुकसान हुआ है।

फिलहाल मिल रहे अच्छे भाव

पलवल की होडल मंडी में इन दिनों किसानों को कपास के का न्यूनतम भाव 7400 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है और उच्चतम भाव 7900 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहे हैं। वही गत वर्ष 2023 में 23 सितंबर तक मंडी में 11,528 क्विंटल कपास की आवक रही। जबकि वित्त वर्ष में 4144 क्विंटल कपास मंडी में बिक्री के लिए आई है। जानकारी के लिए बता दें कि सरकार ने छोटे रेशे की कपास के लिए 7121 रुपए प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण किया है। वहीं लंबे रेशे की कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7521 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।

होडल इलाके में किस मुख्य रूप से लंबे रेशे वाली कपास की बिजाई करते हैं। 2022-23 के सीजन तक किसानों को कपास एमएसपी पर बेचने के लिए आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ता था तो अबकी बार हालात अलग हैं क्षेत्र में कपास का रकबा कम हो गया और दूसरा सितंबर में बारिश से खेतों में जलभराव होने से फसल में बड़े स्तर पर नुकसान हुआ। जलभराव से उत्पादन कम हुआ। इस बार कपास कम होने से बाजार में रुई के भाव तेज हैं। व्यापारी कपास से बिनौला निकाल कर रुई बेचते हैं तो उन्हें अच्छे भाव मिल रहे हैं। कपास की कमी से प्रतिस्पर्धा बढ़ गई और व्यापारी किसानों की फसल के अच्छे भाव लगा रहे हैं।

बारिश से अधिक नुकसान हुआ

मंडी सचिव वीरेंद्र कुमार ने बताया कि गत वर्ष अनाज मंडी में 11528 क्विंटल कपास की 23 सितंबर तक आवक हुई जबकि वित्त वर्ष में 4144 क्विंटल की कपास मंडी में बिक्री के लिए लिए जिससे यह साफ होता है कि किसानों की कपास की फसल में बारिश से नुकसान हुआ है, वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों की माने तो कपास की फसल में रोग अधिक होने के कारण किसानों ने कपास की फसल की बिजाई करना कम कर दिया।