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Sarso Farming: पहाड़ी इलाकों के लिए सरसों की 5 अच्छा उत्पादन देने वाली किस्में

Sarson Variety : हिमालय क्षेत्रों में किसान आमतौर पर 15 नवंबर से दिसंबर के पहले सप्ताह तक सरसों की बुवाई करते हैं। Expert कहते हैं कि यह समय सरसों की बुवाई के लिए सही है। हिमालयीय क्षेत्रों में अधिकांश किसान गेहूं के साथ-साथ सरसों भी बोते हैं, जो उनके लिए लाभदायक है। ईश्वर सिंह ने कहा कि भारत में सरसों का तेल बहुत खपत होता है, इसलिए किसानों को उन्नत किस्म के बीजों से बुवाई करने की कोशिश करनी पड़ी है।
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Sarso Farming: पहाड़ी इलाकों के लिए सरसों की 5 अच्छा उत्पादन देने वाली किस्में

Mustard Farming : रबी में सबसे महत्वपूर्ण फसल सरसों है। हिमालय क्षेत्रों में किसान आमतौर पर 15 नवंबर से दिसंबर के पहले सप्ताह तक सरसों की बुवाई करते हैं। Expert कहते हैं कि यह समय सरसों की बुवाई के लिए सही है। हिमालयीय क्षेत्रों में अधिकांश किसान गेहूं के साथ-साथ सरसों भी बोते हैं, जो उनके लिए लाभदायक है। किसानों को पर्वतीय क्षेत्रों में सरसों की अच्छी किस्मों का चयन करने से दोगुना लाभ मिल सकता है। गढ़वाल विश्वविद्यालय के उद्यानिकी विभाग के कृषि विशेषज्ञ ईश्वर ने मीडिया को बताया कि किसी भी फसल का उत्पादन उसके बीजों पर निर्भर करता है। गुणवत्तापूर्ण बीज अच्छी पैदावार देता है।

ईश्वर सिंह ने कहा कि भारत में सरसों का तेल बहुत खपत होता है, इसलिए किसानों को उन्नत किस्म के बीजों से बुवाई करने की कोशिश करनी पड़ी है। ऐसे में पंत पीली सरसों पर्वतीय किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प है। चार से पांच बार पंत पीली सरसों की बुवाई से लेकर कटाई तक सिंचाई की जरूरत होती है। जहां सिंचाई नहीं है 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन है। यह किस्म लगभग चार महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

पूसा मस्टर्ड 26 किस्म

ईश्वर सिंह ने कहा कि पूसा मस्टर्ड 26 दोनों तराई और पर्वतीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। यह किस्म लगभग 120 दिनों में विकसित होती है और वर्षा आधारित खेती के लिए सर्वश्रेष्ठ मानती है। यह 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देता है, लेकिन मौसम और जलवायु के अनुसार यह उत्पादन बदल सकता है।

पूसा 27 किस्म

ईश्वर सिंह ने बताया कि पूसा 27 सरसों की किस्म उच्च उत्पादकता वाली है। यह किस्म रोग प्रतिरोधक है और अच्छा तेल बनाती है। यह लगभग 110 दिनों में बुवाई से लेकर हार्वेस्टिंग तक तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर औसतन 15 क्विंटल उत्पादन देती है। साथ ही, इस प्रजाति को बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती।

पंत तोरया-1 किस्म

ईश्वर सिंह ने बताया कि पंत तोरया-1 मुख्य रूप से पहाड़ी इलाकों में उपयुक्त है। यह किस्म उच्च तेल उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए प्रसिद्ध है। 120 से 130 दिनों में यह किस्म तैयार हो जाती है। कम सिंचाई में भी यह लगभग 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देता है। यह किस्म पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक लोकप्रिय है क्योंकि वहाँ कम सिंचाई की सुविधा हैं।

पंत तोरया-2 किस्म

ईश्वर सिंह ने बताया कि पंत तोरया-2 भी पहाड़ी क्षेत्रों में के लिए बेहतर किस्म है। इस प्रकार की सरसों को सिर्फ एक सिंचाई की जरूरत होती है और यह 90 दिनों में तैयार हो जाती है। यह प्रति हेक्टेयर लगभग 15 क्विंटल उत्पादन देती है, इसलिए यह पर्वतीय किसानों की पहली पसंद बन चुकी है।