Sarso: सरसों में तेजी के बाद बना ठहराव, आगे उछाल आएगा या मंदी, देखें
Sarso: सरसों का भाव कब बदल जाए इस बात का पता नहीं चलता. अप्रैल से लेकर सितंबर के बीच सरसों में जिस प्रकार का दौर चला है. वह थोड़ा हैरान कर देने वाला है. क्योंकि यही सरसों अप्रैल के महीने में 5000 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास बिक रही थी. उसे दौरान किसानों के पास माल भी बचा हुआ था. परंतु भाव के बढ़ने का इंतजार करते-करते किसानों ने धीरे-धीरे माल बेच दिया. अब सरसों सिर्फ गिने-चुने किसानों के पास बची हुई है. मार्च के महीने में सरसों 5000 रुपए से लेकर अब चल रहें सितंबर में 7000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच जाना. इस बात का कोई भी विशेषज्ञ बता नहीं सकता की कब किस फसल में तेजी आ जाए, परंतु इस चीज से आमतौर पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जब मंडियो में फसल की आवक कम हो रही हो तो भाव बढ़ने का चांस बढ़ जाता है. बुधवार को सलोनी प्लांट में सरसों का भाव 7050 पहुंच गया. सरसों में हर प्रकार की रिपोर्ट और बाजार में चल रहे दौर से हम यह रिपोर्ट आपके लिए लेकर हाजिर हुए हैं. सही और सटीक जानकारी के लिए आप अंत तक जरूर पढ़ें.
एकदम से बढ़े सरसों भाव
मंगलवार को बाजार में सुस्ती के चलते व्यापारी माल को ऊंची कीमतों पर खरीदने से कतरा रहे थे. वहीं जब उनकी मांग के मुताबिक माल नहीं मिला तो तेल मिलों को मंडियो से ऊंची कीमतों पर ही माल खरीदना पड़ा. इसके चलते सरसों के भाव में 120 रुपए से लेकर 190 रुपए तक की तेजी रही. सलोनी प्लांट में 7050 का भाव 2 सालों का सबसे उच्चतम भाव रहा. उसी दिन मंडियो, व्यापार केंद्रों और प्लांटों के भाव में इजाफा हो गया.
इसी प्रकार जयपुर, नोहर, भरतपुर, दिल्ली, आदमपुर, गंगापुर इत्यादि कई मंडियो के सरसों भाव में तेजी आई. जानकारों का मानना है कि सरसों की सप्लाई न होने के चलते प्लाटों ने शाम को सरसों के भाव में 150 से लेकर 200 रुपए तक भाव में इजाफा किया. बुधवार को सरसों की आवक 2 लाख 15000 बोरी के स्तर पर आ गई. विदेशी बाजारों में कल बुधवार से मामूली तेजी नजर आई है. कल और आज दोनों के यदि आंकड़े देखे तो तेजी 4.5% रही. व्यापारियों का कहना है कि मलेशिया में मौसम खराब होने के चलते ज्यादा बारिश हो रही है जिससे बाढ़ आने का खतरा बना हुआ है. इस कारण के चलते बाजार में तेजी आ रही है.
ओर आएगी तेजी या नहीं
किसान भाइयों पिछले दिनों सरसों में चले तेजी के सिलसिले के बाद हर तरफ यह चर्चा होने लगी की सरसों का भाव 8000 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच सकता है. परंतु मौजूदा परिस्थितियों देखे तो ऐसा संभव होना कहीं से नजर नहीं आ रहा है. सही मायने में अगर इसको देखा जाए तो सरसों का बाजार सट्टा बाजार की तरह नजर आ रहा है. सरसों की कमी होने के कारण इसको खूब समर्थन भी मिल रहा है. हालांकि कुछ जानकारी का मानना है कि अगर सरसों में लगातार आवक कम रहती है तो बाजार में 200 से लेकर 300 रुपए तक का उछाल आ सकता है.ऐसा अनुमान है की इससे ज्यादा तेजी की गुंजाइश कम ही देखने को मिल सकती है.
बेचे या रोके
परंतु अब अगर मंदी पर चर्चा करें तो माल की कमी के कारण यह बात तो साफ हो जाती है कि अगर सरसों के भाव में मंदी आएगी तो वह एकदम से नहीं आएगी. क्योंकि सरसों की कम उपलब्धता होने के कारण एकदम से मंदी आना संभव नहीं है. इस दौरान माल को निकालने का मौका मिल जाएगा. आपको शेयर बाजार की स्टॉप लॉस नीति को अपनाना चाहिए जिसमें यदि तेजी आ रही है तो अपना माल रोक कर रखें और जैसे ही ठहराव आए वापस मंदी आने लगी उसे दौरान माल निकाल देना चाहिए. बाकी किसी भी प्रकार खरीद-बेच का व्यापार आपको अपने विवेक से करना चाहिए.