Sarso: सरसों की लेट बुवाई वाली ये वैरायटी, कम समय में मिलेगी ज्यादा पैदावार

Mustard Cultivation : भारत -7 वैराइटी और सरसों के राधिका के बीज बरकछा बीएचयू के कृषि विज्ञान केंद्र पर उपलब्ध हैं। लेट सरसों की खेती करने वाले किसानों को इस वैराइटी के बीज लगा सकते हैं। इससे कम समय में ज्यादा उत्पादन होगा।
धान की खेती इस वर्ष बारिश के अभाव में पूर्वांचल में पिछड़ गई है। धान की कटाई करने के बाद राधिका व भारत सरसों-7 वैराइटी की खेती करें। इससे बिना किसी नुकसान के बड़ा मुनाफा मिलेगा।
कृषि विज्ञान केंद्र पर उपलब्ध हैं, सरसों के बीज
पूर्वी उत्तर प्रदेश में बीएचयू ने सौगात दी है। दक्षिणी क्षेत्र में कृषि विज्ञान केंद्र पर सरसों के बीज बांटे जा रहे हैं। भरतपुर अनुसंधान केंद्र, राजस्थान में निर्मित सरसों के बीज किसानों के लिए वरदान साबित होंगे।
लेट खेती के लिए बनाया गया है, नया बीज
तीन अलग-अलग वैराइटी के सरसों के बीज हैं, जो भारत सरसों-7 और बीएचयू कृषि केंद्र, बरकछा कलां, मिर्जापुर में उपलब्ध हैं। किसान चाहें तो बीज खरीद सकते हैं। लेट खेती के लिए नया बीज बनाया गया है।
25 दिन बाद करें, नैनो यूरिया का छिड़काव
उन्हें बताया गया कि खेत की सिंचाई के 25 दिन बाद, सरसों की बुवाई के बाद ओट आने पर नैनो यूरिया छिड़काव करें। अगर किसान ने बुवाई के समय सल्फर का उपयोग नहीं किया है, तो घुलनशील सरसों का छिड़काव करना चाहिए।