The Chopal

मटर की ये खास किस्में बदल देगी किस्मत, 60 दिन में बना देगी लखपति

Best Variety Of Peas : किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर विभिन्न प्रकार की सब्जियों का उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। सरकार द्वारा भी किसानों को पारंपरिक खेती से हटकर जैविक खेती एवं नई तकनीक का लाभ उठाते हुए अपनी आमदनी को बढ़ावा देने पर लगातार जोर दिया जा रहा है। इस तरह से किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए खेतों में कैच क्रॉप की खेती कर रहे हैं।  ऐसे में किसान कम समय में और कम लागत में अधिक लाभ कमा रहे हैं।

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मटर की ये खास किस्में बदल देगी किस्मत, 60 दिन में बना देगी लखपति

Azamgarh Farmers : कृषि में दलहन फसलें अति महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। यह भोजन में प्रोटीन की मात्रा को पूरा करती हैं। इसके अलावा यह खेतों की मिट्टी की उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाती हैं। बीते कुछ समय से दलहन के उत्पादन में कमी दर्ज की गई है। वहीं, अन्य फसलों में भी लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में यदि किसान कैच क्रॉप की खेती करते हैं, तो कम अवधि में और कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। यदि किसान कम अवधि में तैयार होने वाली सब्जी मटर की खेती करें तो उनकी आमदनी आसानी से बढ़ सकती है।

60 दिनों में हो जाती है तैयार

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर अखिलेश कुमार का कहना है कि सब्जी की खेती में मटर 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है। इससे अगली फसल की बुवाई के समय खेत समय पर खाली भी हो जाता है। ऐसे में खाली समय में खाली पड़े खेतों में कैच क्राफ्ट की खेती करके किसान अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं। सब्जी मटर की मार्केट में डिमांड काफी अधिक है। मटर में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाई जाती है, जो की खाने की पोशाक्त को बढ़ाता है।

प्रोटीन से है भरपूर

रश्मि और मधु सब्जी मटर की उन्नत किस्म हैं। इसे भारतीय किसी अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के अनुवांशिक विभाग के द्वारा विकसित किया गया है। इन किस्मों में फलियां की सतह पर अन्य किस्म की तरह रेशेदार झिल्ली नहीं पाई जाती है। इस किस्म की मटर में 9।3 प्रतिशत प्रोटीन पाई जाती है। फसल बोने के 60 से 70 दिनों में फलियां तैयार हो जाती हैं। जहां प्रति हेक्टेयर 60 से 70 क्विंटल का उत्पादन आसानी से किया जा सकता है।

इस महीने में करें बुवाई

सब्जी मटर की बुवाई के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। खेत में जल निकासी के लिए व्यवस्था होनी चाहिए। अन्यथा फसल खराब होने का खतरा बना रहता है। हरी मटर की बुवाई के लिए सितंबर और अक्टूबर का महीना सबसे उपयोगी माना गया है। सितंबर के अंतिम सप्ताह एवं मध्य अक्टूबर तक इन फसलों की बुवाई की जाती है।