The Chopal

बंजर भूमि को ये फसल बना देगी हरा भरा, सेहत के साथ मिलेगा शानदार मुनाफा

इस बार संकर व संकुल किस्मों की पैदावार देसी बाजरा से अधिक है। बाजार एमपीएमएच-17 80 दिनों में तैयार होता है। यह चार किलो प्रति हेक्टेयर की बीज दर से बोया जा सकता है।
   Follow Us On   follow Us on
बंजर भूमि को ये फसल बना देगी हरा भरा, सेहत के साथ मिलेगा शानदार मुनाफा

The Chopal, Millet cultivation process : राज्य इस बार मानसून से खुश है। इस बार खरीफ में अच्छी बारिश होने से बाजरे की बंपर पैदावार होने की अनुमान है। आपको बता दें कि बारिश कम होती है, लेकिन इस बार अच्छी बारिश से किसानों को फायदा होगा और बाजरे की गुणवत्ता भी सुधरेगी।

बाजरे से पशुओं को चारे मिलता है, उन्नत किसान विक्रम मीणा ने बताया। यह फसल छोटे फफूंदी और अर्गट रोगों से बचती है। गायों को अधिक दूध देने के लिए पशुपालक अक्सर अधिक बाजरा खिलाते हैं। इससे पशुओं की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। रोगों के लिए उपचार: सफेद लट, फड़का कीट और गोदिया रोग फसल में रहते हैं।

उन्नत किसान मोहन लाल ढाका ने बताया कि सफेद कीट को मारने के लिए फिप्रोनिल एक मिलीलीटर दवा प्रति किलो बीज से बीज उपचार करें। फड़का कीट को दूर करने के लिए, 20 ईसी क्लोरोपायरीफॉस या 25 ईसी क्यूनालफास 1.5 मिलीलीटर दवा को 1 लीटर पानी में घोलकर खड़ी फसल पर छिड़काव करें. या 25 किलो क्यूनालफास पाउडर प्रति हेक्टेयर भुरकाव करें।

संकर व संकुल किस्मों की पैदावार

इस बार देसी बाजार की तुलना में संकर व संकुल किस्मों की पैदावार अधिक है। बाजार एमपीएमएच-17 80 दिनों में तैयार होता है। यह चार किलो प्रति हेक्टेयर की बीज दर से बोया जा सकता है। HHB-68(2) किस्म पछेती और अगेती फसल के लिए लाभकारी है।

राजस्थान के हर क्षेत्र में पौष्टिक तत्वों से भरपूर बाजरा खाया जाता है। डॉ. किशन लाल ने कहा कि बाजरा में बहुत सारा प्रोटीन और फाइबर होता है, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। यह विटामिन और खनिजों से भरपूर होने के कारण डायबिटीज और हृदय रोगियों के लिए एक अच्छा आहार है। बाजरा अपच, गैस और एसिडिटी के लिए भी अच्छा है।

बंजर जमीन पर उगता है बाजरा

बाजरे की फसल के लिए अच्छी बारिश या उपजाऊ भूमि की आवश्यकता नहीं होती। बाजरे की पैदावार कम होती है और रेतीली, चिकनी, काली दोमट और लाल मिट्टी अच्छी होती है। इसकी फसल केवल बारिश पर निर्भर है। पानी की व्यवस्था रहने वाले क्षेत्रों में बारिश नहीं होने पर एक या दो बार सामान्य सिंचाई की जाती है।