गेहूं की फसल में बड़ा नुकसान पहुंचाता है ये रोग, ऐसे निशान दिखने पर तुरंत कर दें उपाय
Yellow Rust Disease : गेहूं की फसल को पीला रतुआ की बीमारी काफी नुकसान पहुंचाती है। फफूंद जनित इस रोग के लगने से गेहूं की पत्तियां पीले रंग की हो जाती हैं। यदि इसका उपचार जल्द नहीं किया गया तो यह बीमारी हवा और पानी के माध्यम से खेत में लहलहाती पूरी फसल को बर्बाद कर सकती है। आइए इस बीमारी के लक्षण और बचाव के उपाय के बारे में जानते हैं।

Agriculture Tips : रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं है। इस समय खेतों में गेहूं (Wheat) की फसल लगी हुई है। अच्छी पैदवार की उम्मीद है लेकिन जनवरी महीने में जैसे तापमान में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है, उससे किसानों को गेहूं की फसल में एक भंयकर बीमारी लगने की चिंता सताने लगी है। अन्नदाता पीला रतुआ रोग (Yellow Rust Disease) से डरे हुए हैं।
यह गेहूं के लिए इतनी घातक बीमारी है कि यदि इसका समय पर उपचार नहीं किया गया तो पूरी फसल को बर्बाद कर सकती है। कृषि वैज्ञानिकों ने पीला रतुआ रोग को लेकर किसानों को आगाह किया है। उनका कहना है किसान हर दिन फसल का मुआयना करें। यदि उन्हें कहीं भी गेहूं की फसल में पीलापन दिखे तो तुरंत सावधानी बरतें और वैज्ञानिक सलाह से इसका नियंत्रण करें।
क्या है पीला रतुआ रोग
अधिक ठंड और नमी के कारण गेहूं की फसल पर पीला रतुआ रोग का खतरा रहता है। इसे धारीदार रतुआ भी कहते हैं। यह रोग पक्सीनिया स्ट्राइफारमिस नामक कवक से होता है। पीला रतुआ के फफूंद हवा के साथ आते हैं। शुरू में इस रोग का संक्रमण खेत में एक छोटे गोलाकार क्षेत्र से शुरू होता है, जो धीरे-धीरे खेत की पूरी गेहूं की फसल में फैल जाता है। इस तरह से ये पूरी फसल को नुकसान कर सकते हैं। गेहूं की फसल में दिसंबर के अंत से लेकर मध्य मार्च तक रतुआ बीमारी के लगने का डर बना रहता है।
क्या है इस बीमारी के लक्षण
किसान भाइयों को मालूम हो कि गेहूं की फसल का पीला होना हर बार रतुआ रोग होने का लक्षण नहीं होता है। गेहूं की फसल में पोषक तत्वों की कमी, जमीन में नमक की ज्यादा मात्रा और फसल में पानी लगने के कारण भी गेहूं के पौधों का रंग पीला होने लगता है। अब किसान भाइयों के समक्ष यह परेशानी होती है कि आखिर कैसे पहचाने के फसल में रतुआ रोग ही लगा है तो चलिए जानते हैं। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक पीला रतुआ रोग लगने पर गेहूं की पत्तियों पर पीले रंग का पाउडर जैसा बनने लगता है।
इन पत्तियों को छूने से पीला पदार्थ निकलता है।हाथ भी पीले हो जाते हैं।खेतों में प्रवेश करने पर यह पीले रंग का पाउडर कपड़ों पर भी लग जाता है। पीला रतुआ रोग लगी पत्तियों को सफेद कपड़े में रगड़ने पर कपड़ा पीला हो जाएगा। यदि किसी पोषक तत्वों या किसी अन्य कारण से पत्तियां पीली हुई हैं तो कपड़ा पीला नहीं होगा।पीला रतुआ रोग होने पर शुरू में गेहूं के पौधों की पत्तियों के ऊपरी सतह पर पीले रंग की धारियां देखने को मिलती हैं। ये धारियां धीरे-धीरे पूरी पत्ती में फैल जाती है। बाद में पीले नारंगी रंग के धब्बे पौधों के तने और बालियों पर भी पड़ जाते हैं। इस बीमारी के होने पर गेहूं की बालियों में दाने कम बनते हैं।
पीला रतुआ से कैसे करें गेहूं की फसल का बचाव
1. गेहूं की फसल को पीला रतुआ रोग से बचाने के लिए समय रहते फफूंदनाशक दवा का प्रयोग कर लेना चाहिए।
2. पीला रतुआ रोग लगने पर 500 ग्राम जिंक सल्फेट, दो किलोग्राम यूरिया को 100 लीटर पानी में मिलाकर पौन एकड़ खेत में छिड़काव करें। ऐसा कर फसल को बचाया जा सकता है।
3. पीला रतुआ के होने पर प्रोपकोनाजोल 200 मिलीलीटर को 200 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर स्प्रे करें।
4. पीला रतुआ के होने पर मैन्कोजेब या दीथाने एम45 नामक दवाई खेत में डाले। प्रकोप कम नहीं होने पर 10 दिनों के अंदर फिर इस दवा का इस्तेमाल करें।
5. ध्यान दें, यदि पीला रतुआ बीमारी लगी फसल पर दवा का छिड़काव करने के दौरान आपके कपड़ों पर पीला रंग लग गया है तो उन्हीं कपड़ों में खेतों में लगी दूसरी फसल में न जाएं। ऐसा करने पर दूसरा खेत भी पीला पाउडर लगने से संक्रमित हो सकता है।
6. पीला रतुआ का जल्द इलाज न किया जाए तो यह काले रंग का हो जाता है और पौधे को सूखा देता है। यदि कहीं ऐसा दिखाई दे तो अपने नजदीकी कृषि अधिकारी से संपर्क करके आप उस पर नियंत्रण कर सकते हैं।
7. रतुआ रोग पहले खेत में 10-15 पौधों पर एक गोल दायरे के रूप में शुरू होकर बाद में पूरे खेत में फैलता है इसलिए किसान भाई अपने खेतों की नियमित रूप से निगरानी करते रहें। पीले रतुआ रोग की पुष्टि होते दवा का इस्तेमाल करें।
8. यदि किसी खेत में पीला रतुआ दिखाई देता है तो अगले साल उस गेहूं के बीज का प्रयोग बुवाई में न करें।
9. पीला रतुआ बीमारी अधिकतर एचडी 2967, एचडी 2851, डब्ल्यू एच 711 गेहूं की किस्मों में अधिक लगने की संभावना रहती है। ऐसे में इन किस्मों की बिजाई कर रखी है तो विशेष ध्यान रखें।
10. गेहूं की डब्लू एच 157, डब्लू एच 283, डब्लू एच 542, डब्लू एच 896 किस्मों में पीला रतुआ कम लगता है। इसलिए इनकी बिजाई करें।