चना की फसल को ये रोग कर देगा बर्बाद, लक्षण पहचान कर समय पर करें उपाय
Agriculture News : इस मौसम में किसान चना की फसल में विशेष ध्यान रखें। क्योंकि इस मौसम में चना की फसल में कई बीमारी फैलने का खतरा रहता है। चना में अंगमारी या झुलसा के आक्रमण से किसान सचेत रहे। विशेषकर यदि नम व ठंडा रहे और वर्षा के आसार दिखाई दें तो प्रभावित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें।

Chickpea Crop Tips : मध्य प्रदेश के खरगोन में रबी सीजन में करीब 70 हजार हेक्टेयर में किसान चना की खेती करते हैं। 80 फीसदी एरिया में बुआई हो चुकी है। वहीं, जिन किसानों के खेत देरी से खाली हुए हैं वह चना की पिछेती बुआई में जुटे है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, चना की खेती करने वाले किसानों को सचेत रहना चाहिए, क्योंकि बुआई के बाद फसल के प्रारंभिक अवस्था में दो गंभीर बीमारियों का प्रकोप देखा जाता है, जो पूरी फसल को बर्बाद कर देती है।
खरगोन कृषि विज्ञान केंद्र प्रमुख एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जीएस कुलमी बताते हैं कि, चना की खेती में प्रायः प्रारंभिक अवस्था यानि बुआई के 20 से 25 दिन बाद फसल में सड़न और कॉलर रॉट नामक दो बीमारियां का प्रकोप देखा जाता है। समय रहते है ध्यान नहीं दिया जाए, तो फसल बर्बाद हो सकती है। इसके लिए जरूरी है किसान बुआई के समय ही बीजोपचार कर लें, फिर भी बीमारी लग जाए, तो फिर दवाइयों का छिड़काव करना चाहिए।
फफूंद नाशक दवाई वीटावेक्स पॉवर से करें
वैज्ञानिक के अनुसार, चना के बीजोपचार करने के लिए फफूंद नाशक दवाई वीटावेक्स पॉवर, या ट्राईकोडर्मा का उपयोग करना चाहिए। ट्राईकोडर्मा 5 ग्राम प्रति एक किलो बीज दर से और वीटावेक्स पॉवर 3 ग्राम प्रति एक किलो बीज में उपयोग करें। इन दोनों दवाइयों को मिक्स करके बीजोपचार करना चाहिए। इसके बाद राइजोबियम कल्चर और पीएचबी कल्चर 5-5 ग्राम प्रति किलो के हिसाब से उपचार करना चाहिए। इससे फसल में गांठें जल्दी बनती है।
कॉलर रॉट बीमारी लगने पर बचाव के उपाय
वैज्ञानिक डॉ. कुलमी ने बताया कि, कॉलर रॉट बीमारी लगने पर पौधा हल्का पिला पड़ने लगता है और फिर सुख जाता है। वहीं, जड़ सड़न बीमारी में पौधे की जड़ों फफूंद, कीड़े लग जाते है और पौधे को सड़ा देते है। बुआई के समय बीजोपचार के बाद भी यह लक्षण फसल में दिखाई दे तो फिर मेटालेक्जिल और मैनकोज़ेब नामक दवाई 30 ग्राम पति पंप के हिसाब से जमीन में या ड्रिंकिंग करके छिड़काव करना चाहिए। यह दवाई उपलब्ध नहीं होने पर कार्बेंडाजिम 50 का भी इस्तेमाल कर सकते है।