The Chopal

सरसों की यह किस्म करवा देगी किसानो की बल्ले बल्ले, रोग-रोधी क्षमता के साथ देगी 28 क्विंटल तक उत्पादन

Highest Producing Variety Of Mustard :खरीफ सीजन की फसल धान, ग्वार, मुंग, मोठ और मूंगफली की कटाई शुरू हो गई है। जैसे-जैसे फसल कट रही है खेत खाली हो रहे हैं। खाली जमीन में किसान रवि सीजन की मुख्य फसल सरसों की बिजाई करने की योजना बना रहे हैं। इस महीने में सरसों की कुछ अगेती किस्म है। उन किस्मों की बिजाई कर किसान अत्यधिक मुनाफा कमा सकते हैं। यह किसम किसानों की बल्ले बल्ले करवा देगी। कम पानी और खर्चे में 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देने में सक्षम है।

   Follow Us On   follow Us on
सरसों की यह किस्म करवा देगी किसानो की बल्ले बल्ले, रोग-रोधी क्षमता के साथ देगी 28 क्विंटल तक उत्पादन

Top 5 Varieties Of Mustard : खरीफ सीजन की फसल की कटाई में किस जुट गए हैं। जैसे-जैसे खेत खाली हो रहे हैं किसान उनमें रबी सीजन की अगेती फसल सरसों की बिजाई कर रहे हैं। ऐसे में यह खबर सरसों की बिजाई करने वाले किसानों के लिए लाभदायक हो सकती है। हम किसानों को सरसों की अगाती किस्म के बारे में बता रहे हैं जो किसानों को अत्यधिक मुनाफा देकर मौज करवा सकती है। 

किसान अक्टूबर के महीने में सरसों की भी फसल लगा सकते हैं. ठंड के मौसम में सरसों की खेती करना सबसे ज्यादा उपयुक्त माना जाता है. इसकी खेती के लिए 15 से 25 सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता होती है.

कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ एनसी त्रिपाठी ने बताया कि सरसों की फसल में किसानों को कम लागत लगानी पड़ती है और बहुत कम दिनों में सरसों की फसल तैयार हो जाती है. जिससे किसानों को अच्छी आमदनी मिलती है, लेकिन सरसों की फसल की बुवाई करते वक्त उन्नत किस्म का चयन करना बेहद जरूरी है, जो रोग रोधी होती हैं.

इस दिन तक करें बुवाई

डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि सरसों की किस्म पूसा-32 भारतीय कृषि अनुसंधान नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है. इस किस्म की बुवाई 15 अक्टूबर तक की जा सकती है. राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में भी इसको उगाया जा सकता है. यहां किसानों को उसकी फसल लगाने से अच्छा उत्पादन मिलता है. 

देती है बंपर पेदावार 

डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि पूसा सरसों-32 के पौधे के तने की लंबाई करीब 73 सेंटीमीटर तक रहती है. फली का घनत्व काफी अच्छा होता है. यह किस्म 132 से 145 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. खास बात यह है कि सरसों की इस किस्म से किसानों को 27 से 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलता है. अच्छी देखभाल करने से उत्पादन को बढ़ाया भी जा सकता है.