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रबी सीजन 2025 के लिए कौन सी फसल रहेगी बेस्ट, गेहूं या सरसों में से किससे मिलेगा शानदार उत्पादन

पानी की कमी वाले क्षेत्रों में उत्पादन और लाभसरसों की खेती भी किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। आम तौर पर एक एकड़ सरसों की उपज 8 से 10 क्विंटल होती है। चलिए जानते है विस्तार से 
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रबी सीजन 2025 के लिए कौन सी फसल रहेगी बेस्ट, गेहूं या सरसों में से किससे मिलेगा शानदार उत्पादन 

The Chopal, Rabi Sijan 2025 : किसानों को रबी सीजन में सरसों की खेती करनी चाहिए या गेहूं की। दोनों फसलों में अलग-अलग लाभ और चुनौतियां हैं और आपके खेत की मिट्टी, जलवायु और सिंचाई व्यवस्था पर निर्भर करता है कि आप किस फसल को चुनना चाहते हैं। गेहूं और सरसों दोनों लाभकारी फसलें मानी जाती हैं, और इनकी कीमतें वर्तमान में बाजार में अच्छी चल रही हैं। 

गेहूं की खेती के लाभ और कमियां

गेहूं बहुत कम जोखिम वाली अनाज फसल है। इसकी अपेक्षाकृत अधिक उत्पादन क्षमता भी है। गेहूं की एक एकड़ की उपज लगभग 18 से 20 क्विंटल होती है। किसान की कुल आय 50,000 रुपये हो सकती है अगर गेहूं की कीमत प्रति क्विंटल 2500 रुपये होती है। साथ ही गेहूं एक ऐसी फसल है जिसकी बाजार में हमेशा अच्छी मांग होती है, इसलिए किसानों को आसानी से अपना माल बेचने का अवसर मिलता है।

गेहूं की खेती के लिए पर्याप्त सिंचाई प्रबंध होना जरूरी है। यह चार से पांच बार पानी की जरूरत है, जिससे सिंचाई की लागत भी बढ़ जाती है। गेहूं की खेती में सिंचाई की कमी परेशान कर सकती है। पानी की कमी वाले क्षेत्रों में गेहूं की खेती करने से पहले सावधान रहना चाहिए।

लेबर की लागत बढ़ी क्योंकि गेहूं की कटाई और थ्रेशिंग में इसकी अधिक मांग होती है। ताकि फसल की गुणवत्ता बनी रहे और नुकसान से बचा जा सके, फसल तैयार होने पर लेबर को समय पर प्रबंध करना भी महत्वपूर्ण है। लाइव चावल भाव देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।

गेहूं की खेती के लिए काली मिट्टी सबसे अच्छी होती है, लेकिन बलुई मिट्टी में भी इसे उगाया जा सकता है। लेकिन रेतीली मिट्टी में सिंचाई के बाद हवा चलने पर फसल गिरने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे उपज कम हो सकती है।

सरसों की खेती के लाभ और हानि

पानी की कमी वाले क्षेत्रों में उत्पादन और लाभसरसों की खेती भी किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। आम तौर पर एक एकड़ सरसों की उपज 8 से 10 क्विंटल होती है। किसानों को हर क्विंटल सरस की कीमत 5000 रुपये मिल सकती है, जिससे उनकी कुल आय लगभग 50,000 रुपये हो सकती है। यद्यपि गेहूं की तुलना में सरसों की उत्पादन दर कम होती है, लेकिन सरसों का भाव गेहूं की तुलना में अधिक होता है और कम लागत होती है। 

गेहूं की तुलना में सरसों की फसल को काफी अधिक पानी की आवश्यकता होती है। यह कम सिंचाई सुविधा वाले क्षेत्रों में एक अच्छा विकल्प है क्योंकि इसे केवल दो से तीन बार पानी देना पड़ता है। कम सिंचाई से किसानों को पानी का खर्च भी कम करना होगा, जिससे खर्च कम होगा।

लेबर भाइयों, सरसों की खेती में भी लेबर की कम आवश्यकता होती है। कटाई और थ्रेशिंग में इसकी कम लेबर की आवश्यकता होती है, इससे लेबर की लागत कम होती है। साथ ही, सरसों की फसल बहुत जल्दी तैयार हो जाती है, जिससे किसान को अधिक समय मिलता है अगली फसल करने के लिए।

मिट्टी का चयन: आजकल किसानों ने सरसों की ऐसी किस्में भी बनाई हैं जो विभिन्न मिट्टियों में आसानी से उगाई जा सकती हैं। काली, बलुई या दोमट मिट्टी सभी सरसों की खेती के लिए उपयुक्त हैं। इससे किसानों को मिट्टी चुनना आसान होता है और उनकी फसल बेहतर होती है। लाइव चावल भाव देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।
राजस्थान और उत्तर भारत के कई हिस्सों में सरसों की फसल पर मौसम का बड़ा प्रभाव होता है। ज्यादा बारिश होने पर पाले का खतरा बना रहता है, जो फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, इन क्षेत्रों में किसानों को पाले से बचाव करने के लिए सल्फर का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।