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बारिश से राहत के बाद किसानों के लिए नई आफत, इन फसलों में लगी नई बीमारी, खेती खर्च निकालना हुआ मुश्किल

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The Chopal, उत्तर प्रदेश: अप्रत्याशित बदलते मौसम ने उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में विपरीत रूप ले लिया है। धारातल पर छाए काले बादलों के साथ तेज हवाओं और बारिश के मौसम के आने से लोगों को ठंडक मिली है, लेकिन इस बारिश ने किसानों को मुसीबत में डाल दिया है। टमाटर, तरबूज, और खरबूज जैसी फसलें खेतों में भारी नुकसान उठा रही हैं। खासकर बारिश के कारण टमाटरों का फल सड़ रहा है। इस अचानक परिस्थिति में किसानों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।

किसानों के अनुसार, पिछले साल मार्केट में टमाटर, तरबूज, खरबूज और खीरा के दाम अच्छे थे इसलिए इस साल किसानों ने इन्हीं फसलों की खेती की थी ताकि अच्छी कमाई हो सके। लेकिन, अचानक हुई बारिश ने सबकुछ बदल कर रख दिया है। किसानों ने बताया है कि बारिश के कारण तरबूज, खरबूज और टमाटर की फसल में रोग फैलने लगे हैं और उनके फल सड़ रहे हैं। तरबूज और खरबूज में दाग-धब्बे भी आ गए हैं, जिसके कारण इन फलों की कीमत मार्केट में काफी कम हो गई है। इस परिस्थिति में किसान लागत को भी नहीं निकाल पा रहे हैं।

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टमाटर को व्यापारी भी नहीं रहें खरीद 

राज्य के किसान मोहित वर्मा ने दुखद अनुभव साझा किया है कि इस बार उन्होंने बड़ी स्थानकारी टमाटर की खेती की थी, जहां टमाटर पक चुके थे और कुछ दिनों में उनकी पकाई शुरू होने वाली थी। लेकिन, अचानक आयी बारिश ने उनके टमाटरों में कीटों का प्रकोप बढ़ा दिया और सड़न भी शुरू हो गई। अब व्यापारियों को उनके टमाटर खरीदने में रुचि नहीं हो रही है। मोहित वर्मा ने बताया कि इस बार उन्होंने 2 बीघे भूमि में टमाटर की खेती की थी और इसके लिए 60 हजार रुपये का खर्च भी किया था। अब उन्हें लग रहा है कि उनकी लागत भी पूरी नहीं हो पाएगी।

तरबूज और खरबूज की खेती का हाल 

राज्य के एक और किसान बहादुर नामक किसान ने दुखद अनुभव साझा किया है कि इस बार उन्होंने तरबूज और खरबूज की खेती की थी, जिसमें उन्होंने चार बीघे भूमि पर 70 हजार रुपये खर्च किए थे। लेकिन बारिश की वजह से तरबूज और खरबूज के फल सड़ने लगे हैं। उनकी फसल में दाग-धब्बे भी दिखाई देने लगे हैं। इस कारण से उन्हें मंडी में उचित कीमत नहीं मिल रही है। यदि ऐसी ही स्थिति मंडी में बनी रही, तो तरबूज और खरबूज की खेती में नुकसान होगा। इसके अलावा, महाराष्ट्र में बारिश के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ है, जहां प्याज की फसल को सैकड़ों एकड़ में नुकसान पहुंचा है।

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