Agriculture: किसानों ने बंजर जमीन से निकाला मोटा मुनाफा, मेहनत से इस फसल की खेती से हो रही बल्ले-बल्ले
Maize Cultivation : मक्का (मकई/कॉर्न) की खेती आज के समय में किसानों के लिए लाभकारी फसल बनती जा रही है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां सिंचाई के सीमित साधन हैं या खेती की लागत को कम करना जरूरी है, वहां मक्का एक बेहतरीन विकल्प साबित हो रही है।

The Chopal : किसानों की आय में वृद्धि के अलावा, मक्का की खेती इस क्षेत्र की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है। कुसहा दुर्घटना के बाद सैकड़ों एकड़ जमीन बंजर हो गई थी, लेकिन किसानों की मेहनत ने फिर से खेती की है। जहां पहले बालू की मोटी परत के कारण केवल कांस और पलास ही उगते थे। आज वहां मक्का के अलावा कई अन्य फसलों की खेती हो रही है। यह बदलाव किसानों और सरकारी योजनाओं के सहयोग से हुआ है। मक्की की खेती से किसानों की आय बढ़ती है और क्षेत्र की आर्थिक स्थिति भी सुधरती है।
बालू से ढंकी हुई जमीन को उपजाऊ बनाया
किसानों ने इन क्षेत्रों में बालू से ढंकी हुई जमीन को उपजाऊ बनाया है। अब मक्का की खेती उनकी अर्थव्यवस्था का आधार बन चुकी है। 2008 में आई बाढ़ ने किसानों के खेतों को बर्बाद कर दिया था। इससे खेतों में फसल नहीं उग रही थी। खेतों में बालू की घनी परत जमा होने से पहले किसानों के चेहरे मायूसी से ढके हुए दिखाई देते थे। खेतों में 8 फीट तक बालू जम गया था, जो खेती करना असंभव लग रहा था, लेकिन किसानों ने अपनी मेहनत से खेतों को फिर से उजागर किया।
किसानों का बेहतर मुनाफा
एक एकड़ में मक्का की फसल लगाने की लागत 20 से 25 हजार रुपये होती है, और उपज प्रति एकड़ 65 से 70 हजार रुपये होती है। यानी किसानों को हर एकड़ में पचास हजार रुपये का मुनाफा मिल रहा है। यह इलाका जो कभी बाढ़ के बाद बेकार हो चुका था, अब मक्का उत्पादन के लिए जाना जाता है.
सरकारी योजनाओं से प्राप्त लाभ
बिहार कृषि विभाग बाजार में बिकने वाले बीजों पर निगरानी रखता है और किसानों को समय पर उर्वरक प्रदान करता है। साथ ही, बाजार समिति ने मूलभूत ढांचे को बनाया जा रहा है जो किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य देगा। किसानों को अच्छे पैसे मिल रहे हैं।