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बड़ी खबर! इस राज्य में 15 जून तक धान की रोपाई पर सरकार ने लगाई रोक, बचे वरना भरना होगा भारी जुर्माना

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The Chopal, खेतीबाड़ी डेस्क: ग्राउंड वाटर स्तर देशभर में चिंताजनक रूप से गिर रहा है, इस बात की चर्चा पूरे देश में गर्माई हुई है। यह स्थिति सरकार के साथ-साथ किसानों की भी चिंता को बढ़ा रही है। वातावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इसी गति से जलस्तर नीचे आता रहा, तो एक दिन लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा। इसलिए किसानों को धान की जगह पर मोटे अनाज की खेती करनी चाहिए, जिससे पानी की अधिक से अधिक बचत हो सके। इसका कारण यह है कि मोटे अनाज की फसल को कम सिंचाई की जरूरत होती है।

मीडिया की संबंधित रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा में भूजल स्तर व्यापक रूप से घट रहा है। इस परिस्थिति के मध्यम से, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने खरीफ मौसम में किसानों से मक्के की खेती करने का सुझाव दिया है। इसमें विशेषता यह है कि दूसरी फसलों की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाएगी, जिसकी मात्रा हजारों में होगी। इसके बावजूद, कई किसान धान की खेती जारी रख रहे हैं।

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हरियाणा सरकार ने ऐसे में फैसला लिया है कि किसानों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जो समय से पहले धान की बुवाई करते हैं। सरकार ने घोषणा की है कि यदि किसान भाई 15 जून से पहले धान के पकड़े जाने पर पकड़े जाते हैं, तो उनकी फसल को नष्ट कर दिया जाएगा। पटवारी, ग्राम सचिव और कृषि विभाग की टीम खेत में जाकर फसल को नष्ट करेगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि समय से पहले धान की रोपाई करने पर किसानों से प्रति एकड़ के लिए 10,000 रुपये का जुर्माना भी वसूला जाएगा। वास्तव में, हरियाणा सरकार का दावा है कि 15 जून से पहले धान की रोपाई करना भूजल संरक्षण अधिनियम 2009 का उल्लंघन है। इस अधिनियम का उल्लंघन करने पर जुर्माने के साथ-साथ सजा की भी प्रावधानिकता है।

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खट्टर सरकार प्रदेश में धान के बजाय अन्य फसलों की खेती को प्रोत्साहित करना चाहती है। इसके लिए, किसानों को मोटे अनाज की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। यदि किसान भाई धान की जगह पर मोटे अनाज की खेती करते हैं, तो उन्हें प्रति एकड़ के लिए 7,000 रुपये की इंसेंटिव राशि प्रदान की जा रही है। साथ ही, धान की सीधी बुवाई करने पर प्रति एकड़ 4,000 रुपये मिलेंगे।