Chicory Farming: किसानों को यह खेती कम लागत में देगी मोटा मुनाफा, जंगली जानवर से भी नहीं कोई खतरा
UP News : उत्तर प्रदेश के एटा जिले में 2814 हेक्टेयर क्षेत्र में चिकोरी की खेती का होना और इससे 30 हजार से अधिक किसानों का जुड़ना, यह दर्शाता है कि यह फसल अब वहां की अर्थव्यवस्था और कृषि व्यवस्था का एक अहम हिस्सा बन चुकी है।

Uttar Pradesh News : अब किसानों ने परंपरागत खेती से हटकर चिकोरी की खेती शुरू की है। इसे उगाकर किसान कम लागत व कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। विशेष रूप से, चिकोरी खेती (Chicory Farming) जंगली जानवरों भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। उत्तर प्रदेश के एटा जिले में चिकोरी की खेती करीब 2814 हेक्टेयर में की जाती है। 30 हजार से अधिक कृषक इससे जुड़े हुए हैं। मुख्य बात यह है कि इस फसल में नुकसान की संभावनाएं बहुत कम हैं। यह न तो जानवरों को खाकर नुकसान पहुंचाता है और न ही ज्यादा उत्पादन होने पर कीमतें गिरने का कारण बनता है। कंपनियां बीज देकर रेट निर्धारित करती हैं और फिर उपज खरीदती हैं।
इसके पाउडर की मांग विदेशों में है
किसानों से खरीदने के बाद इसे रोस्ट कर पाउडर बनाया जाता है। इस पाउडर की देश भर में मांग है। इसे अक्सर अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, रूस, बेलारूस, फ्रांस, पुर्तगाल, सेनेगल, वियतनाम और अन्य देशों में निर्यात किया जाता है।
क्या चिकोरी है?
चिकोरी पौधे की मूली के आकार की जड़ है। काटने और सुखाने के बाद मशीनों में भूनकर पाउडर बनाया जाता है। इसे कॉफी पाउडर में मिलाकर सुगंध, रंग, स्वास्थ्य और गाढ़ापन देता है। यह सीधे चाय-कॉफी की तरह भी पीया जा सकता है। इसका उपयोग कुछ बीमारियों में भी किया जाता है।
बुवाई कब की जाती है?
दिसंबर-जनवरी में चिकोरी की बुवाई करें। पौधों को एक दूसरे से 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी पर रखें, और प्रत्येक लाइन में 2 से 3 फुट की दूरी होनी चाहिए। चिकोरी के लिए वही मिट्टी ठीक है, जहां नमी बनी रहती है और पानी की निकासी अच्छी होती है। इसकी बुवाई ठंडे स्थानों में अधिक लाभदायक होती है। Chichori सबसे अधिक कॉफी उत्पाद है। इसका स्वाद चॉकलेट की तरह है और इसमें कैफीन नहीं है। दवा उद्योग भी इसका उपयोग करता है।