राजस्थान में ड्रोन तकनीक से मिलेगी खेती को नई रफ्तार, फसल उत्पादन में होगी बढ़ोतरी

Rajasthan News: राजस्थान में खेती को आधुनिक बनाने की दिशा में एक और ठोस कदम उठाया गया है। ड्रोन के जरिए एक बीघा खेत में दवा या नेनो यूरिया का छिड़काव मात्र 5 से 7 मिनट में पूरा हो रहा है।  इससे फसल उत्पादन बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।

   Follow Us On   follow Us on
राजस्थान में ड्रोन तकनीक से मिलेगी खेती को नई रफ्तार, फसल उत्पादन में होगी बढ़ोतरी 

Rajasthan Hindi News : राजस्थान में खेती को आधुनिक बनाने की दिशा में एक और ठोस कदम उठाया गया है। भीलवाड़ा जिले की पंचायत समिति हुरड़ा क्षेत्र के खेजड़ी और कोटड़ी गांवों में अब किसानों को ड्रोन के माध्यम से नेनो खाद और फसलों पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करने की सुविधा मिल रही है। यह पहल इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र को-ऑपरेटिव लिमिटेड (इफ्को) के सहयोग से शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य खेती में समय, श्रम और लागत तीनों की बचत करना है।

ड्रोन तकनीक के उपयोग से जहां किसानों को परंपरागत छिड़काव की कठिन प्रक्रिया से राहत मिली है, वहीं फसलों पर खाद और दवाओं का छिड़काव भी अधिक समान और प्रभावी ढंग से हो पा रहा है। इससे फसल उत्पादन बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।

5 से 7 मिनट में एक बीघा खेत का छिड़काव

ड्रोन के जरिए एक बीघा खेत में दवा या नेनो यूरिया का छिड़काव मात्र 5 से 7 मिनट में पूरा हो रहा है। इसके लिए किसानों से केवल 100 रुपये प्रति बीघा का शुल्क लिया जा रहा है, जो पारंपरिक तरीकों की तुलना में काफी कम है। पहले जहां छिड़काव में अधिक समय, मजदूर और लागत लगती थी, अब वही काम तेजी और सटीकता से पूरा हो रहा है। किसानों का कहना है कि ड्रोन से छिड़काव करने पर खेत में उतरने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे स्वास्थ्य पर पड़ने वाला जोखिम भी कम हो गया है।

इफ्को ने उपलब्ध कराया अत्याधुनिक ड्रोन सिस्टम

खेजड़ी ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापक भंवरलाल योगी ने बताया कि इफ्को द्वारा समिति को ड्रोन के साथ-साथ जनरेटर और इलेक्ट्रिक ऑटो थ्री-व्हीलर वाहन भी उपलब्ध कराया गया है। यह ड्रोन पूरी तरह बैटरी से संचालित है और वाहन में ही बैटरी चार्जिंग की व्यवस्था की गई है, जिससे खेतों तक पहुंचना आसान हो गया है।

उन्होंने बताया कि इस ड्रोन की बाजार कीमत करीब 20 लाख रुपये है, लेकिन इफ्को ने इसे सहकारी समिति को मात्र 2 लाख रुपये में उपलब्ध कराया है। इसके अलावा ड्रोन के संचालन के लिए समिति के कर्मचारियों को इफ्को द्वारा विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है, ताकि तकनीक का सुरक्षित और सही उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

लागत में कमी, पर्यावरण को भी लाभ

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक वी.के. जैन के अनुसार ड्रोन से छिड़काव करने पर खाद और दवाओं की मात्रा नियंत्रित रहती है, जिससे अनावश्यक अपव्यय नहीं होता। इससे किसानों की लागत कम होती है और रासायनिक पदार्थों के अत्यधिक उपयोग से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान में भी कमी आती है।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार और सहकारी संस्थाएं मिलकर इस तकनीक को अन्य जिलों तक विस्तार देने की योजना पर काम कर रही हैं। ड्रोन आधारित कृषि सेवाएं राजस्थान जैसे बड़े कृषि प्रधान राज्य के लिए भविष्य की खेती की दिशा तय कर सकती हैं।

भविष्य की खेती की ओर कदम

विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रोन तकनीक से खेती न केवल अधिक लाभकारी बनेगी, बल्कि युवा किसानों को भी आधुनिक कृषि की ओर आकर्षित किया जा सकेगा। समय की बचत, कम लागत और बेहतर उत्पादन के कारण यह तकनीक आने वाले वर्षों में खेती का अहम हिस्सा बन सकती है। भीलवाड़ा के इन गांवों में शुरू हुई यह पहल अब प्रदेश में डिजिटल और स्मार्ट खेती की ओर बढ़ते कदम के रूप में देखी जा रही है।