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हर साल तगड़ा मुनाफा देगी इस फसल की खेती, पैसा देखकर आपको भी होगा हैरानी, हेलीकॉप्टर में होता है प्रयोग

Farming Tips : क्या आप जानते हैं कि चूड़ियों में इस्तेमाल होने वाली लाख सिर्फ सजावट का सामान नहीं, बल्कि मुनाफे की बेशकीमती फसल भी है? लाख की खेती से न केवल किसानों को दीर्घकालिक फायदा होता है, बल्कि इसका उपयोग हेलीकॉप्टर पार्ट्स से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट्स तक, हर जगह होता है।  ऐसे में आईए जानते हैं किसान लाख की खेती को अपनाकर कैसे बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं।

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हर साल तगड़ा मुनाफा देगी इस फसल की खेती, पैसा देखकर आपको भी होगा हैरानी, हेलीकॉप्टर में होता है प्रयोग

Lakh Ki Kheti : क्या आप जानते हैं कि चूड़ियों में इस्तेमाल होने वाली लाख सिर्फ सजावट का सामान नहीं, बल्कि मुनाफे की बेशकीमती फसल भी है? लाख की खेती से न केवल किसानों को दीर्घकालिक फायदा होता है, बल्कि इसका उपयोग हेलीकॉप्टर पार्ट्स से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट्स तक, हर जगह होता है।  ऐसे में आईए जानते हैं किसान लाख की खेती को अपनाकर कैसे बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं। 

लाख की खेती के लिए सही वृक्ष का चयन और सही सीजन में लाख चढ़ाना आवश्यक होता है।  कुसुम, बेर, और सेमिलता जैसे वृक्ष लाख के उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं। 

कुसुम के वृक्ष पर जनवरी-फरवरी में और बेर के वृक्ष पर जून-जुलाई में लाख चढ़ाना सबसे उचित होता है, जबकि सेमिलता वृक्ष पर किसी भी समय लाख चढ़ाई जा सकती है।  सही समय पर लाख चढ़ाने से उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ती हैं। 

लाख की खेती के लिए पहले नर्सरी में पौधों को तैयार किया जाता है, फिर उन्हें खेतों में लगाया जाता है।  8 से 10 महीने के पौधों पर लाख के बीज चढ़ाए जाते हैं।  इन बीजों को रस्सी के सहारे पेड़ के तनों पर बांध दिया जाता है, जिसके बाद लाख के कीड़े पेड़ पर फैल जाते हैं। 

लगभग 6 महीने बाद फसल तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को अधिक उत्पादन मिलता है।  विभिन्न वृक्षों पर लाख का उत्पादन अलग-अलग होता है।  बेर के पेड़ पर 1 किलो लाख चढ़ाने से 5 किलो उत्पादन मिलता है, जबकि कुसुम के पेड़ पर 1 किलो से 8 किलो तक लाख का उत्पादन हो सकता है। 

सेमिलता वृक्ष में ये उत्पादन 10 किलो तक पहुंच जाता है, जिससे यह सबसे उत्पादक वृक्ष साबित होता है।  उत्पादन क्षमता का बढ़ना सीजन और वृक्ष की देखभाल पर निर्भर करता है।  लाख का उपयोग कई उद्योगों में होता है जिसके कारण लाख की मांग हमेशा बनी रहती है।  इस वजह से किसानों को इससे अच्छा लाभ मिलता है।