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modern farming : दैनिक खेती छोड़कर किसान ने बदला तरीका, आधुनिक सिस्टम से कमा रहा मोटी आमदनी

Agriclture : देश के किसान अब कृषि के क्षेत्र में नई-नई आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल करने लगे हैं. इस नए तरीके से किसानों को काफी मुनाफा भी हो रहा  है. साथ ही उनके आय में बढ़ोतरी भी हो रही है. ऐसे ही एक किसान हैं जो पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक तरीके से खेती कर रहे हैं.
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modern farming : दैनिक खेती छोड़कर किसान ने बदला तरीका, आधुनिक सिस्टम से कमा रहा मोटी आमदनी

The Chopal, Agriclture : देश के किसान अब कृषि के क्षेत्र में नई-नई आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल करने लगे हैं. इस नए तरीके से किसानों को काफी मुनाफा भी हो रहा  है. साथ ही उनके आय में बढ़ोतरी भी हो रही है. ऐसे ही एक किसान हैं जो पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक तरीके से खेती कर रहे हैं. एक किसान गन्नौर के गांव खेडी गुज्जर निवासी दिनेश कुमार है।, जिन्होंने प्राकृतिक खेती कर बढ़िया मुनाफा कमाया और प्रगतिशील किसानों की लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवाया.

गांव खेड़ी गुज्जर निवासी दिनेश ने बताया कि उसके पिता भी परंपरागत खेती करते है। उसने कुछ अलग करने की ठानी और वह 2021 में बजाना गांव के एक किसान प्रवीण से मिला। प्रवीण काफी समय से स्टो बैरी की खेती कर रहा था। उसने प्रवीण के पास स्टो बैरी के खेती के बारे में जानकारी। शुरु में उसके घर वालों ने उसे इंकार किया, लेकिन उसने मन में कुछ अलग करने की ठान रखी थी और उसके बाद उसने 2022 में आधा एकड़ से स्टो बैरी की खेती की शुरुआत की। 

जिसमें उसे शुरु में खर्च निकाल कर 7 महीने की खेती में करीब ढाई लाख रुपये की बचत हुई। जिसके बाद उसके हौसले बुलंद हो गए और घर वालों को भी सहारा मिल गया। जिसके बाद उसने अपनी खेती को आगे बढ़ाया और 2 एकड़ में फसल की शुरुआत की। दो एकड़ की फसल में उसे करीब 20 लाख रुपये खर्च आया और उसे दो एकड में करीब 10 से 12 लाख रुपये की बचत हुई। उसने अपनी खेती को आगे बढ़ाया और खेती आधा एकड़ से शुरुआत करने के बाद चार एकड में स्टो बैरी की खेती कर रहा है और हर वर्ष करीब लाखों रुपये कमा रहा है।

किसान दिनेश ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती सितंबर में शुरू होती है और अप्रैल में खेती खत्म हो जाती है। वे पुणे से बीज प्राप्त करते हैं। बीजों के आने के बाद खेत को अच्छी तरह से साफ किया जाता है और बीज को लाइन बनाकर उसमें बोया जाता है और ऊपर पॉलिथीन रखा जाता है ताकि फसल खराब न हो। कुछ दिनों बाद कटाई शुरू हो जाती है।

जिसे वे बाजार में बेचते हैं। दिनेश ने कहा कि उनके पास लगभग 40 लोग काम कर रहे हैं। जब उन्होंने काम शुरू किया तो केवल तीन लोगों ने काम शुरू किया था। अब वह खेती के साथ-साथ लगभग 40 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। अगर अन्य किसान भी उनके पास आते हैं। स्टोबेरी की खेती के बारे में कौन पूछता है।

वह अब अन्य किसानों के लिए एक उदाहरण बन रहे हैं। किसान दिनेश ने कहा कि इसकी कीमत लगभग 4 से 5 लाख रुपये प्रति एकड़ है और वह लगभग 10 से 12 लाख रुपये प्रति एकड़ बचाता है। आजादपुर मंडी के अलावा, इसके भंडार कक्ष की मांग गुवाहाटी, नागपुर में भी है। जहां उनके चूल्हे बैरी की मांग लगातार बढ़ रही है।

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