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Paddy Nursery: किसान साथी धान की नर्सरी में मात्र 30 रुपये की यह दवाई डालें, फसल में नहीं लगेंगे रोग, मिलेगी बंपर उत्पादन

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Paddy Nursery:

The Chopal, खेतीबाड़ी डेस्क: अगले महीने के पहले हफ्ते में मानसून का आगमन हो जाएगा। इसके बाद बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, पंजाब और हरियाणा सहित लगभग पूरे देश में किसान धान की खेती की तैयारी में लग जाएंगे। लेकिन, धान की बुवाई शुरू करने से पहले किसानों को कुछ जरूरी बातों पर ध्यान देना चाहिए। इससे धान की बर्बादी कम होगी और बंपर पैदावार मिलेगी।

धान की नर्सरी तैयार करने के लिए हमेशा प्रमाणित बीजों का ही उपयोग करना चाहिए। इससे धान की पैदावार में वृद्धि होती है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और अन्य कई राज्यों में सरकारें किसानों को बंपर सब्सिडी पर प्रमाणित धान के बीज प्रदान कर रही हैं। इससे इन राज्यों के किसानों को आसानी से प्रमाणित बीज मिल जाएंगे। अगर किसान भाई इन प्रमाणित बीजों का शोधन करके बुवाई करते हैं, तो फसल में विभिन्न प्रकार के रोग नहीं लगेंगे। इसका मतलब है कि शोधित बीजों से तैयार की गई धान की फसल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।

बीज का शोधन करने पर महज 20 से 30 रुपये खर्च 

यह बात विशेष है कि बीजों का शोधन करने की प्रक्रिया महंगी नहीं होती है। किसान भाइयों को खुद अपने घर पर बीजों का शोधन करने की क्षमता होती है। एक हेक्टेयर में धान के बीजों का शोधन करने पर मात्र 20 से 30 रुपये ही खर्च होते हैं। इसके लिए किसान भाइयों को 25 किलो धान के बीज में 75 ग्राम थीरम और 4 ग्राम स्ट्रेपटोसाइक्लीन मिलाकर शोधित करना होता है। इससे इन बीजों से तैयार धान की फसल में कोई रोग नहीं लगेंगे।

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धान की नर्सरी तैयार करते समय कीट-पतंगों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। इसलिए नर्सरी को कीटों के हमले से बचाने के लिए, एक हेक्टेयर में 1.25 लीटर क्लोरोसाइपार या 250 एमएल इमिडाक्लोप्रिड को पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव किया जा सकता है। इससे कीटों का हमला रोका जा सकता है। अगर किसान भाई अपनी धान की नर्सरी को खैरा रोग से बचाना चाहते हैं, तो उन्हें 400 ग्राम जिंक सल्फेट को 1.6 किलो यूरिया के साथ 60 लीटर पानी में मिलाकर मिश्रण तैयार करना चाहिए। इसके बाद नर्सरी में इस मिश्रण को छिड़काव करना चाहिए। इससे खैरा रोग का खतरा काफी कम हो जाता है। इसके साथ ही, इस प्रक्रिया से नर्सरी की तैयारी भी तेजी से हो जाती है। इसके बाद आप पहले से तैयार खेत में धान की बुवाई कर सकते हैं।

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