पराली जलाने पर खेत में होते हैं ये कई नुकसान, फायदे के लिए करें इस्तेमाल
Disadvantages of Stubble Burning : सर्दी का सीजन शुरू होने वाला है। इस मौसम में किसान धान की कटाई कर लेते हैं। सर्दियों के मौसम में ही पराली जलाने की घटनाएं सामने आती है। धान की कटाई होने के बाद किसान खेत में पराली को जला देते हैं। किसानों द्वारा उठाया यह कदम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ किसानों को भी नुकसान पहुंचता है।
UP News : सर्दियों के मौसम की शुरुआत बस होने वाली है। इस मौसम में पराली जलाने की घटनाएं अक्सर सामने आ जाती हैं। सर्दियों के मौसम में पराली जलाने से प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ जाता है। किसानों के द्वारा अपने खेतों में जलाई गई परली से पर्यावरण को नुकसान होने के साथ-साथ जीव जंतुओं को भी प्रभावित करता है।
मिट्टी की उर्वरक क्षमता पर पड़ता हैं प्रभाव
धान की कटाई के बाद किसान पराली जलाते हैं, जो मिट्टी की उर्वरक क्षमता को कम करता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। पराली से वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पराली से खाद बनाकर मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ा सकते हैं। फसल अवशेषों से खाद बनाने से मिट्टी की उर्वरता, लाभदायक जीवाणुओं की संख्या और मिट्टी की संरचना बढ़ती है। साथ ही, अवशेषों की मल्चिंग करने से जल का वाष्पोत्सर्जन कम होता है और खरपतवार भी कम होते हैं।
पत्तियों के पोषक तत्व नष्ट
खेतों में पराली जलाने के कारण कई किसान खेत की उर्वरा शक्ति को नष्ट कर देते हैं, साथ ही मिट्टी में मौजूद उपयोगी जीव-जंतुओं को भी मार डालते हैं। मृदा की उर्वरक क्षमता इससे कम होती है। पराली जलाने से पत्तियों के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और मृदा का तापमान बढ़ जाता है। मिट्टी की जैविक संरचना भी इससे प्रभावित होती है। साथ ही, वायु प्रदूषण बढ़ता है, जो धुंध और अन्य बीमारियों को बढ़ावा देता है।
सड़क दुर्घटनाओं और बीमारियों का खतरा
उन्होंने कहा कि पराली जलाने से आसपास की फसलों और लोगों को धक्का लग सकता है। इसके अलावा, वायु प्रदूषण से सड़क दुर्घटनाओं और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। किसानों को पराली को जलाने के बजाय उसका सही उपयोग करना चाहिए। उप कृषि निदेशक राजीव कुमार ने कहा कि फसल कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को जलाने के बजाय उनसे पोषक तत्वों से भरपूर खाद बनाया जा सकता है। खेतों की उर्वरक क्षमता को बढ़ाने के लिए फसल अवशेषों से वर्मी कम्पोस्ट या कम्पोस्ट खाद बनाया जा सकता है।
