टमाटर की इन किस्मों से किसानों की बल्ले बल्ले, प्रति हेक्टेयर मिल रहा 800 क्विंटल तक उत्पादन
Tomato Cultivation :परंपरागत खेती के साथ-साथ देश में किसान सब्जियों की भी खेती करते हैं। इस समय टमाटर की खेती करने वाले किसान अच्छी उपज के साथ बेहतर कीमत ले सकते हैं। अक्टूबर के शुरुआती दिनों में किसान टमाटर की बुवाई कर सकते हैं। इसके लिए बस किसानों को कुछ उन्नत किस्मों का चयन करना होगा।
Sep 25, 2024, 13:50 IST
Which Variety Of Tomato To Plant : पश्चिम चम्पारण ज़िले में टमाटर की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। बरसात के बाद अक्टूबर के शुरुवाती दिनों से ही सब्जियों सहित अन्य रबी फसलों की बुवाई का काम शुरू हो जाता है। जानकार बताते हैं कि इस सीजन में टमाटर की खेती करने वालों को अच्छी कीमत मिल सकती है। इसके लिए किसानों को बस टमाटर की कुछ उन्नत किस्मों का चुनाव करना होगा।
काशी विशेष प्रजाति
देश भर के अलग-अलग अनुसंधान संस्थान और कृषि विश्वविद्यालयों ने टमाटर की कुछ किस्में विकसित की हैं। आज हम आपको इन्हीं किस्मों की खेती पर कुछ विशेष जानकारी देने वाले हैं। माधोपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत कृषि वैज्ञानिक डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह ने बताया कि टमाटर की काशी विशेष प्रजाति किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है। यह लीफ कर्ल वायरस के लिए प्रतिरोधी होती है। यह पूरी तरफ से लाल, गोलाकार, मध्यम आकार वाले होते हैं। इनका वजन करीब 80 ग्राम तक होता है। यह किस्म 70-75 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 400 से 450 क्विंटल उत्पादन मिलता है।
काशी अमृत प्रजाति
इस प्रजाति के टमाटर का औसत वजन 108 ग्राम होता है। खास बात यह है कि ये प्राजती भी टोबैको लीफ कर्ल वायरस के लिए प्रतिरोधी होती है। यह लगभग 620 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन देती है। यूपी, बिहार तथा झारखंड के किसान इसकी खेती मुख्य रूप से कर सकते हैं।
काशी अभिमानी वेरायटी
इस टमाटर का औसत वजन 75-95 ग्राम होता है और यहां लंबे समय तक नहीं खराब होते हैं। यही कारण है कि इसे लंबी दूरी तक भी भेजा जा सकता है। खास बात यह है कि टमाटर की काशी अभिमानी प्राजति भी लीफ कर्ल वायरस रोग के लिए प्रतिरोधी होती है। मुख्य रूप से इसकी खेती जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल, पंजाब, उत्तर प्रदेश तथा बिहार जैसे राज्यों में की जा सकती है।
अर्का विशेष प्रजाति
इस किस्म के टमाटर का उपयोग प्यूरी, पेस्ट, केचअप, सॉस, बनाने के लिए किया जाता है। इस किस्म से किसान 750 से 800 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन ले सकते हैं। इसके एक फल का वजन 70 से 75 ग्राम का होता है।
अर्का रक्षक किस्म
यह उच्च उपज वाली टमाटर की एक खास प्रजाति है, जो टमाटर में लगने वाले तीन प्रमुख रोगों, पत्ती मोड़क विषाणु, जीवाणु झुलसा व अगेती धब्बे की प्रतिरोधी है। ये किस्म 140 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी खेती में प्रति हेक्टेयर 75 से 80 टन उत्पादन मिलता है.इसके फल चौकोर से गोल, वजन 75 से 100 ग्राम तक होते हैं।
काशी विशेष प्रजाति
देश भर के अलग-अलग अनुसंधान संस्थान और कृषि विश्वविद्यालयों ने टमाटर की कुछ किस्में विकसित की हैं। आज हम आपको इन्हीं किस्मों की खेती पर कुछ विशेष जानकारी देने वाले हैं। माधोपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत कृषि वैज्ञानिक डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह ने बताया कि टमाटर की काशी विशेष प्रजाति किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है। यह लीफ कर्ल वायरस के लिए प्रतिरोधी होती है। यह पूरी तरफ से लाल, गोलाकार, मध्यम आकार वाले होते हैं। इनका वजन करीब 80 ग्राम तक होता है। यह किस्म 70-75 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 400 से 450 क्विंटल उत्पादन मिलता है।
काशी अमृत प्रजाति
इस प्रजाति के टमाटर का औसत वजन 108 ग्राम होता है। खास बात यह है कि ये प्राजती भी टोबैको लीफ कर्ल वायरस के लिए प्रतिरोधी होती है। यह लगभग 620 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन देती है। यूपी, बिहार तथा झारखंड के किसान इसकी खेती मुख्य रूप से कर सकते हैं।
काशी अभिमानी वेरायटी
इस टमाटर का औसत वजन 75-95 ग्राम होता है और यहां लंबे समय तक नहीं खराब होते हैं। यही कारण है कि इसे लंबी दूरी तक भी भेजा जा सकता है। खास बात यह है कि टमाटर की काशी अभिमानी प्राजति भी लीफ कर्ल वायरस रोग के लिए प्रतिरोधी होती है। मुख्य रूप से इसकी खेती जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल, पंजाब, उत्तर प्रदेश तथा बिहार जैसे राज्यों में की जा सकती है।
अर्का विशेष प्रजाति
इस किस्म के टमाटर का उपयोग प्यूरी, पेस्ट, केचअप, सॉस, बनाने के लिए किया जाता है। इस किस्म से किसान 750 से 800 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन ले सकते हैं। इसके एक फल का वजन 70 से 75 ग्राम का होता है।
अर्का रक्षक किस्म
यह उच्च उपज वाली टमाटर की एक खास प्रजाति है, जो टमाटर में लगने वाले तीन प्रमुख रोगों, पत्ती मोड़क विषाणु, जीवाणु झुलसा व अगेती धब्बे की प्रतिरोधी है। ये किस्म 140 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी खेती में प्रति हेक्टेयर 75 से 80 टन उत्पादन मिलता है.इसके फल चौकोर से गोल, वजन 75 से 100 ग्राम तक होते हैं।