कम पानी में ज्यादा उत्पादन देगी यह धान की किस्म, रोग आने का डर भी कम
Advanced Variety Of Paddy : खरीफ सीजन में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। क्योंकि धान रबी सीजन की मुख्य फसल है। धान की खेती से किसानों को अच्छा उत्पादन मिलने पर काफ़ी मुनाफा होता है। थोड़े ही दिनों बाद बरसात का मौसम शुरू होते ही किसान धान की रोपाई शुरू कर देंगे, ऐसे में हम किसानों को धान की कुछ ऐसी किस्म के बारे में बता रहे हैं, जो कम पानी में अधिक उत्पादन देती है और रोग से लड़ने की क्षमता भी अधिक होती है।

Paddy Cultivation : देश में बरसात के मौसम में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। धान की खेती को खरीफ सीजन की मुख्य फसल मानी जाती है। हालांकि कम पानी होने की वजह से किसानो की धान की फसल बर्बाद हो जाती है। इस समस्या का समाधान करते हुए वैज्ञानिकों ने धान की एक नई किस्म विकसित की है। यह वैरायटी कम पानी में अत्यधिक पैदावार देती है। इसके साथ ही इसमें बीमारियों से लड़ने की रोग प्रतिरोधी क्षमता भी अधिक है। अच्छी तरह से देखभाल होने पर यह किस्म प्रति एकड़ 30 से 32 क्विंटल तक उत्पादन दे सकती है। इसलिए यह किस्म किसानों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है। क्योंकि इससे नए केवल पानी की बचत होती है बल्कि बीमारियों से भी खुद को बचाती है। इससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते है।
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक धान की फसल खरीफ के सीजन में बड़े पैमाने पर बोई जाती है। और इससे किसानों को अच्छी आमदनी मिलती है। हालांकि पानी की कमी होने की वजह से इस फसल की पैदावार नहीं हो पाती। ऐसे वैज्ञानिकों ने धान की कोकिला 33 किस्म विकसित की है, यह किस्म कम समय और थोड़े पानी में अत्याधिक उत्पादन देती है। किसान इस किस्म को लगाकर बंपर मुनाफा कमा सकते हैं।
धान की कोकिला-33 किस्म को शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार की है, यह वेरायटी धीरे-धीरे पूरे भारत के किसानों की पहली पसंद बन रही है। इस किस्म की सबसे खास बात ये है कि यह केवल 110 दिनों में तैयार होकर काटने लायक हो जाती है। इसके पौधे की हाईट 92-96 सेमी होती है व इसका तना मजबूत होता है, जिस वजह से फसल गिरने का जोखिम नहीं रहता। इसके दाने लंबे, पतले और चमकदार होते हैं, जिससे बाजार में इसका भाव अधिक मिलता है।
कोकिला-33 किस्म की एक और खास बात है, यह सबसे कम अवधि यानि 105-110 दिन में तैयार होकर काटने लायक हो जाती है। आमतौर पर धान की अन्य किस्मों को पकने में 120-130 दिन लगते हैं, वहीं कोकिला-33 की 50% पुष्पन अवधि केवल 88 दिन है।
धान की इस वेरायटी में रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है। कोकिला-33 किस्म पी।बी।-1692 और पी।बी।-1509 सेगमेंट की है, हालांकि किसान इसे इन दोनों किस्मों की तुलना में अधिक पसंद करते है। अच्छी देखभाल होने पर यह प्रति एकड़ 30-32 क्विंटल तक की पैदावार दे सकती है। साथ ही कम पानी देने की वजह से इसे किसान अधिक पसंद करते है।
कोकिला 33 किस्म की बिजाइ करने से पहले बीज को फफूंदनाशक जैसे कार्बेन्डाजिम से उपचारित करना आवश्यक होता है क्योंकि इस से फसल जड़ की बीमारियों से बची रहती है। 1 लीटर पानी में 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम का उपयोग कर बीज या पौधों को अच्छे से भिगोना चाहिए और इसका बीज प्रति एकड़ 8–10 किलो डालना चाहिए।