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गेहूं की इस किस्म से किसानों की हुई मौज, प्रति हेक्टेयर 75 क्विंटल तक उत्पादन

Varieties Of Wheat : गेहूं की फसल की बिजाई बड़े पैमाने पर की जाती। किसान गेहूं का अच्छा उत्पादन लेने के लिए कई प्रयास करते हैं। लोगों की ऐसी बहुत सारी किस्म है जो रोग प्रतिरोधक होने के साथ-साथ कम लागत में अधिक उपज देती है। आईए जानते हैं गेहूं की उच्च उत्पादन वाली किस्म के बारे में।

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गेहूं की इस किस्म से किसानों की हुई मौज, प्रति हेक्टेयर 75 क्विंटल तक उत्पादन

How To Cultivate Wheat : भारत एक कृषि प्रधान देश है यहां पर गेहूं की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। गेहूं को रबी सीजन की मुख्य फसल माना जाता है। आगामी नवंबर महीने तक गेहूं की बिजाई शुरू कर दी जाती है। यह महीना गेहूं की बिजाई के लिए बेहतर माना जाता है।

गेहूं की बेहतर उपज के लिए किसान कई प्रयास करते हैं। हालांकि गेहूं की कुछ ऐसी किस्म है जो कम लागत में अत्यधिक मुनाफा देती है। भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र ने हाल ही में गेहूं की एक ऐसी नई किस्म तैयार की है। जो ढाई एकड़ में करीबन 75 क्विंटल तक उत्पादन देने की क्षमता रखती है। यह किस्म पैदावार ही नहीं बल्कि रोग प्रतिरोधी भी है। इसमें रोग आने की संभावना बहुत कम होती है।

कृषि विज्ञान केंद्र  विशेषज्ञ ने बताया कि किसान आमतौर पर नवंबर महीने में गेहूं की बुवाई करते हैं। उन्होंने बताया कि गेहूं की HD-3385 किस्म को उत्तर प्रदेश के किसी भी हिस्से में उगाया जा सकता है, और यह किस्म रोग प्रतिरोधी होने के साथ-साथ उच्च उत्पादन क्षमता वाली है।

बेहतर उपज देने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली है किस्म

कृषि वैज्ञानिक ने बताया गेहूं की HD-3385 किस्म विशेष रूप से रतुआ रोग प्रतिरोधी है। इसके अलावा, यह कीट और अन्य बीमारियों के प्रति भी प्रतिरोधक है। इस किस्म की खेती करते समय किसानों को बहुत कम कीटनाशक का उपयोग करना पड़ता है, जिससे यह किस्म पर्यावरण के अनुकूल साबित होती है। इससे उत्पन्न उपज स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहतर होती है।

कहा से प्राप्त करें बीज 

गेहूं की इस नई किस्म HD-3385 की बुवाई नवंबर के पहले हफ्ते से शुरू की जा सकती है। यह  किस्म से एक हेक्टेयर में 75 क्विंटल तक उपज देने में सक्षम है। किसान इस किस्म के बीज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली से या फिर किसान मेलों में जाकर प्राप्त कर सकते हैं। इस नई किस्म से किसानों को मिल सकता है अधिक उत्पादन के साथ कम लागत का लाभ, जो कृषि क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।